Valmiki Tiger Reserve: वाल्मीकि टाइगर रिजर्व नारायणी गंडक नदी और पहाड़ समेत चित्तवन नेशनल पार्क नेपाल से सटा हुआ है. यह बिहार का इकलौता टाइगर रिजर्व है. VTR में पेड़-पौधों को बचाने के साथ-साथ हरे घास और फलदार वृक्ष लगाने पर जोर दिया जा रहा है.
हाल के दिनों में यहां गैंण्डा अधिवास की भी कवायद शुरू की गई है, जबकि बाघ और तेंदुआ की संख्या में हुई बढ़ोतरी सुखद क्षण है. यह सबकुछ मानव हस्तक्षेप रोकने को लेकर संभव हो सका है. VTR प्रशासन काफी गंभीरता से इस दिशा में काम कर रहा है.
गर्मी के दिनों में जंगली जानवरों को पानी के लिए इधर-उधर ना भटकना पड़े, संरक्षित क्षेत्र में बाघों और अन्य वन्यजीवों को नियमित रूप से पानी उपलब्ध कराने के लिए सौर ऊर्जा से चलने वाले पंप स्थापित किए गए हैं. ऐसा होने पर जंगली जानवर गर्मियों के दौरान पानी की तलाश में मानव बस्तियों में नहीं भटकेंगे.
जीव-जंतुओं के संरक्षण और संवर्धन को लेकर ग्रासलैंड के दायरे को बड़े पैमाने पर विकसित किया गया है. इसके साथ ही प्राकृतिक और कृत्रिम वाटर होल, वाटर टैंक समेत रोहूआ नाला की समय-समय पर साफ-सफाई करवाकर जंगली जानवरों के भोजन-पानी की उत्तम व्यवस्था की गई है.
बताया जा रहा है कि वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व के मदनपुर, चम्पापुर गोनौली, वाल्मीकिनगर, डुमरी रघीया, गोबर्धना, चिउटाहां और हरनाटांड समेत मंगूरहा बगहा रेंज के कई हिस्सों में ग्रासलैंड का दायरा बढ़कर हरी-भरी घास से लबरेज हो रहा है. जहां आसानी से गौर, बाइसन, हिरण, चितल, साम्भर, नीलगाय जैसे शाकाहारी जानवरों को भोजन-पानी मिल रहा है.
गंडक नदी से निकला रोहूआ नाला जंगल के भीतर प्राकृतिक पेयजल का मुख्य स्त्रोत है. इसकी भी समय पर साफ-सफाई कराई जाती है. हालांकि, गर्मी के दिनों में प्राकृतिक पानी के स्त्रोत सूख जाते हैं. इस कारण से वन विभाग की ओर से करीब 100 कृत्रिम वाटर होल और वाटर टैंक बनवाए गए हैं.
जिनमें सोलर लाइट के जरिए सुबह-शाम पानी भरने के लिए वन कर्मियों की टीमें तैनात की गई हैं. 24 घंटे अलग-अलग रेंज के रेंजर और फॉरेस्टर की निगरानी में कैमरा ट्रेप के जरिए ऑनलाइन और ऑफलाइन तरीकों से जंगल के हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है.
इन कैमरा ट्रेप से जानवरों की गिनती करने में भी मदद मिल रही है. वहीं वन कर्मियों की सतत निगरानी और गश्ती से वन तस्कर और अवैध शिकारी भी जंगल से दूर रहते हैं. VTR पर टेढीनजर रखने वाले तस्करों की अब खैर नहीं है.
अब आम इंसान से लेकर खेती किसानी करने जंगल होकर जाने वाले किसानों के अलावा हर शख़्स की गतिविधि पर वनकर्मी पैनी नजर रख रहे हैं. वन विभाग के इस सार्थक पहल से वन्य जीवों की सुरक्षा के साथ उनके संरक्षण और संवर्धन में बल मिल रहा है. यही वजह है कि जंगल में जंगली जानवरों की संख्या बढ़ रही है.
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