MP News: एमपी के खंडवा जिले में स्थित मोरटक्का पुल खस्ताहाल हालात में है. इस पर 25 टन से अधिक वजनी वाहनों के आवाजाही पर रोक है. इसके बावजूद इस पर 80 टन से अधिक वजनी डंपर धड़ल्ले से चल रहे हैं. यह पुल कभी भी धाराशायी हो सकता है.
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Moratakka Bridge Khandwa: गुजरात के वडोदरा जिले में बुधवार को बड़ा पुल हादसा हो गया. जहां पादरा तालुका में आणंद और पादरा को जोड़ने वाले पुल का एक हिस्सा गिर गया. पुल ढहने की घटना में करीब 10 लोगों की मौत हो गई. पुल ढहने की घटना के बाद से शासन-प्रशासन में हड़कंप की स्थिति है. वहीं, इन सबके बीच मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी पर स्थित जर्जर पुल पर 80 टन वजनी डंपर चल रहे हैं. यह पुल कभी भी गिर सकता है और बड़ा हादसा हो सकता है.
दरअसल, खंडवा में नर्मदा नदी पर बना मोरटक्का पुल पूरी तरह जर्जर (खस्ताहाल) हो चुका है. यह पुल कभी भी ढह सकता है. क्योंकि इस पुल को एनएचएआई और एमपीआरडीसी द्वारा भी कमजोर घोषित किया जा चुका है. 25 टन से अधिक के भारी मालवाहकों के आवागमन पर रोक है. इसके बावजूद यहां से 80 टन से अधिक वजनी वाले वाहन धड़ल्ले से चल रहे हैं. जिसके चलते कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.
24 घंटे रहता है ट्रैफिक
मोरटक्का पुल से हर दिन करीब 25 हजार से अधिक बड़े वाहन होकर गुजरते हैं. इस पर 24 घंटे ट्रैफिक रहता है. यह पुल कई बार बाढ़ का सामना कर चुका है. जो अब पूरी तरह खस्ताहाल हो चुका है और कभी भी धाराशायी हो सकता है. इसके बावजूद इस पुल से क्षमता से अधिक वजनी वाहन गुजर रहे हैं. हालांकि, सावन में कांवड़ियों की भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने इस पुल से बड़े मालवाहकों के जाने पर रोक लगा दी है.
अगर भरभराकर गिरता है पुल....
गौरतलब है कि मोरटक्का पुल की जीएसआईटीएस इंदौर की टीम द्वारा जांच की गई. इस दौरान नए निर्माणाधीन पुल के कार्यों में तेजी को लेकर चेतावनी भी दी गई. इसके बावजूद नया पुल निर्धारित तिथि से डेढ़ साल पिछड़ गया है. अगर खस्ताहाल मोरटक्का पुल भरभराकर गिरता है तो बड़ा हादसा हो सकता है. यही नहीं इससे इंदौर से खंडवा और बुरहानपुर जिलों के अलावा महाराष्ट्र का सीधा संपर्क कटने से आने-जाने में परेशानी होगी. इस पुल पर आए दिन जाम लगता है, जिसके कारण ओंकारेश्वर तीर्थ स्थल आने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है.
जानिए कितना पुराना है यह पुल
जानकारी के मुताबिक, नर्मदा नदी पर बना मोरटक्का पुल का निर्माण 1947 में हुआ था. जो पिछले 10 सालों के भीतर तीन बार बाढ़ की पानी में डूब चुका है. पिछले 2 साल पहले 2013 में इस पुल को भारी नुकसान हुआ था. उस वक्त बाढ़ के कारण पुल का डामर उखड़ गया था और रेलिंग में नर्मदा नदी में बह गई थी. यही नहीं पिलरों के बीच में दरार भी गई थी. लगातार बाढ़ का पानी झेलने से यह पुल काफी कमजोर हो चुका है. जिसके चलते इस पर 25 टन से अधिक भार डालना उचित नहीं है. इस प्रतिबंध के बावजूद इस पुल से 80 टन से अधिक वजनी वाहन गुजर रहे हैं.
सोर्स- नई दुनिया
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