MP News: रतलाम स्थित विक्रम विश्वविद्यालय की बड़ी लापरवाही सामने आई है. उत्तरपुस्तिकाओं के जांचकर्ताओं ने 26 छात्राओं को एक विषय में एक साथ फेल कर दिया है, जबकि छात्राओं का कहना है कि कुछ को अंक मिले थे, लेकिन हमें नहीं.
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Ratlam Vikram University News: आप सभी ने बच्चों से गलती होते हुए देखा और सुना होगा, लेकिन क्या हो जब प्रदेश की नामी यूनिवर्सिटी ही लापरवाह निकले? दरअसल, रतलाम स्थित विक्रम विश्वविद्यालय से एक बड़ी लापरवाही सामने आई है. यहां एक साथ 26 छात्राओं को इंडियन इकॉनॉमिक्स के पेपर में फेल कर दिया गया है, यानी उन्हें शून्य अंक दिए गए हैं. जबकि इन सभी छात्राओं का कहना है कि उनके पेपर बहुत अच्छे गए थे और फेल होने की कोई वजह नहीं थी.
यह पूरा मामला मध्य प्रदेश के रतलाम जिले स्थित विक्रम विश्वविद्यालय का है, जहां बी.कॉम 3rd ईयर के 26 छात्रों को इंडियन इकॉनॉमिक्स के पेपर में शून्य अंक दिए गए हैं. विश्वविद्यालय द्वारा परिणामों में की गई गड़बड़ी को देखकर सारी छात्राएं परेशान हो उठीं. कॉलेज में उनकी सुनवाई न होने के कारण उन्होंने जनसुनवाई का रुख किया, जहां उन्होंने अपनी उत्तरपुस्तिकाओं की फिर से जांच कराने की मांग की.
2 छात्राओं को नहीं मिला समाधान
जनसुनवाई में पहुंची बी.कॉम 3rd ईयर की 26 छात्राओं ने बताया कि उन्हें इंडियन इकॉनॉमिक्स के प्रश्नपत्र में शून्य अंक दिए गए हैं. हैरानी की बात यह है कि सारी छात्राएं एक ही क्लास में परीक्षा दे रही थीं और कुछ को अंक भी मिले थे, जबकि 26 छात्राओं को जीरो अंक दिए गए. उनका कहना था कि उनका पेपर काफी अच्छा और संतोषजनक था. जनसुनवाई के बाद 24 छात्राओं के अंकों में सुधार हो गया, लेकिन दो छात्राओं के मामले में अभी भी समस्या बनी हुई है.
कॉलेज प्रशासन ने दिया बयान
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, छात्राओं की जनसुनवाई की बात जब अपर कलेक्टर डॉ. शालिनी श्रीवास्तव के माध्यम से कलेक्टर राजेश बाथम तक पहुंची, तो उन्होंने कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य की बजाय पीएम कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस के प्राचार्य डॉ. वायके मिश्रा को बुलाया. कलेक्टर ने डॉ. मिश्रा को निर्देश दिए कि वे तुरंत विक्रम विश्वविद्यालय से संपर्क करें और समस्या का समाधान करें. कलेक्टर के निर्देश के बाद विक्रम विश्वविद्यालय से चर्चा की गई, जिसके परिणामस्वरूप 24 छात्राओं की अंकसूची में सुधार कर उनके अंक बढ़ा दिए गए. हालांकि, दो छात्राओं के मामले में अभी भी गलती बनी हुई है, जिसके कारण उनका समाधान नहीं हो पाया है.