Orchha-मध्यप्रदेश के निवाड़ी जिले में बसा ओरछा एक छोटा सा शहर है. यह शहर अपनी ऐतिहासिक विरासतों और समृद्ध इतिहास के लिए जाना जाता है. बुंदेला शासक राजा रुद्र प्रताप सिंह ने ओरछा को 1531 में अपनी राजधानी के रूप में स्थापित किया था. बेतवा नदी के किनारे स्थित यह शांत शहर अपनी खूबसूरती के लिए भी दुनियाभर में प्रसिद्ध है. ओरछा का कंचना घाट इतिहास की अनगिनत कहानियां सुनाता हैं.
बेतवा नदी के किनारे बसा ओरछा शहर बुंदेला राजवंश की समृद्ध विरासत का प्रतीक है. इसके साथ ही भक्ति और हिंदू-मुस्लिम एकता को भी ये शहर अपने अंदर समेटे हुए है. उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश बॉर्डर पर स्थित होने से यहां की संस्कृति में मिश्रण दिखाई देता है.
कंचना घाट ओरछा की सबसे सुंदर जगहों में से एक है. इस घाट की खूबसूरती देख लोग यहां के दीवाने हो जाते हैं. बेतवा की कल-कल और शांत वातावरण इस जगह बेहद ही खास बनाता है. यहां बैठकर आपको मन की शांति का अलग ही अनुभव मिलेगा.
बेतवा नदी अपने घुमावदार रास्ते और शांत वातावरण के साथ कंचना घाट की प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ाती है. सू्र्योदय और सूर्यास्त के समय यहां का दृश्य अद्भुत हो जाता है. सूर्योदय के समय जहां नदी में धार्मिक संस्कृति दिखाई देती है, तो वहीं सूर्यास्त के समय प्राकृतिक एहसास मन को गुदगुदाता है.
कंचना घाट 14 छतरियों से सुसज्जित है. जिन्हें बुंदेला राजवंश के महान शासकों की स्मृति में बनवाया गया है. यह छतरियां राजवंश के शासकों के गौरव का प्रमाण हैं. इन महान शासकों की कहानियां यहां बनी विशाल संरचनाओं में अंकित है.
कंचना घाट पर सुबह-सुबह हवा आपका स्वागत पक्षियों की चहचहाहट के साथ करती है. प्राकृतिक सुंदरता के साथ नदी का पानी और ताजी ठंडी हवा इसे और भी खास बना देती है. नदी का किनारा शांति का अनुभव कराने वाली चुनिंदा जगहों में से एक है.
बेतवा नदी की धारा में आप नाव की सवारी का आनंद भी ले सकते हैं. नदी के बीच से आप घाट की सुंदरता और इसकी भव्यता को निहार सकते हैं. इसके अलावा ओरछा में घूमने के लिए बहुत कुछ है, जिसे देखकर आप हैरान हो जाएंगे. इस छोटे से शहर में कई सारी चीजें वाकई में अद्भुत हैं.
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