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यूपी-बिहार में छठ की तरह छत्तीसगढ़ में भी मनाई जाती है कमरछठ, जानें इस महापर्व का महत्व

Kamarchhath Festival Chhattisgarh: यूपी-बिहार में छठ की तरह छत्तीसगढ़ में भी कमरछठ का महापर्व धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल 14 अगस्त को माताएं अपनी संतान की दीर्घायु के लिए कमरछठ (हलषष्ठी) का पारंपरिक पर्व मनाएंगी. इस पर्व की तैयारियां शुरू हो गई हैं. आइए जानते हैं इस त्योहार का महत्व.

 

कब है कमरछठ

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कब है कमरछठ

कमरछठ, जिसे हलषष्ठी के नाम से भी जाना जाता है छत्तीसगढ़ का एक पारंपरिक त्यौहार है जो 14 अगस्त को बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा. यह त्यौहार माताओं द्वारा अपने बच्चों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की प्रार्थना के लिए मनाया जाता है.

 

त्यौहार से पहले बाज़ार में चहल-पहल

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त्यौहार से पहले बाज़ार में चहल-पहल

इस अवसर पर कोरबा के बाजारों में पूजा सामग्री की दुकानें सज गई हैं. व्रत रखने वाली माताएं बिना पानी पिए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और शाम को सूर्य को जल चढ़ाने के बाद अपना व्रत तोड़ती हैं.

 

संतान की लंबी उम्र के लिए

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संतान की लंबी उम्र के लिए

बता दें कि जिस तरह यूपी-बिहार में सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा संतान की लंबी उम्र के लिए मनाया जाता है, उसी तरह छत्तीसगढ़ में भी माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए कमरछठ का व्रत रखती हैं.

 

पसहर चावल की खास मांग

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पसहर चावल की खास मांग

कमरछट पूजा के लिए 'पसहर चावल' की विशेष मांग होती है, जो बिना जुताई के काटे गए धान से तैयार किया जाता है.

 

भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा

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भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा

कोरबा के पंडित के अनुसार, कमरछठ जिसे हलछठ या हलषष्ठी भी कहा जाता है, छत्तीसगढ़ के प्रमुख त्योहारों में से एक है. इस व्रत को करने वाली माताएं निर्जल रहकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं.

 

कमरछठ की कथा

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 कमरछठ की कथा

पूजा के दौरान, एक सगरी बनाकर सभी अनुष्ठान किए जाते हैं. इसके बाद कमरछठ की कथा सुनी जाती है और शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत तोड़ा जाता है. 

Disclaimer- यहां दी गई जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स और इंटरनेट से ली गई है. ZEEMPCG इसकी पुष्टि नहीं करता है.

 

 

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