मध्य प्रदेश के इस आम ने देश-दुनिया में भी मचाई धूम, राजाओं से लेकर सीएम भी हैं दीवानें
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मध्य प्रदेश के इस आम ने देश-दुनिया में भी मचाई धूम, राजाओं से लेकर सीएम भी हैं दीवानें

GI Tag Sundarja Mango: रीवा जिले के गोविंदगढ़ का 'सुंदरजा आम' न सिर्फ मध्य प्रदेश की शान है, बल्कि अब अंतरराष्ट्रीय पहचान भी बना चुका है. इस आम की सबसे बड़ी खासियत है इसका सुनहरा रंग, रेशे रहित गूदा होता है. इस आम को 2023 में इसे GI टैग भी मिला, जिससे इसकी पहचान और बढ़ गई. वहीं मुख्यमंत्री मोहन यादव समेत आमजन भी इसके दीवाने हैं.

रीवा का सुंदरजा आम
रीवा का सुंदरजा आम

Rewa Sunderja Mango: मध्य प्रदेश के रीवा जिले का नाम सुनते ही लोगों के जहन में दो ही चीजें आती हैं. पहल सफेद बाघ और दूसरा सुंदरजा आम. दरअसल, आज हम बात कर रहे हैं सुंदरजा आम की, जो कि यह साधारण आम नहीं है, बल्कि अपनी खूबसूरती, स्वाद और खासियतों की वजह से दुनिया भर में मशहूर हो चुका है. इस आम की शुरुआत करीब 140 साल पहले गोविंदगढ़ किले में हुई थी, जहां तत्कालीन महाराजा रघुराज सिंह ने इसकी वैरायटी तैयार की थी.

मिली जानकारी के अनुसार, सुंदरजा आम की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें रेशे नहीं होते, यानी इसे आप चम्मच से आइसक्रीम की तरह खा सकते हैं. इसका रंग पकने पर सुनहरा (गोल्डन) हो जाता है और इसकी खुशबू खाने के बाद भी हाथों में लंबे समय तक बनी रहती है. यह आम शुगर के मरीजों के लिए भी फायदेमंद है, क्योंकि इसमें शक्कर की मात्रा कम होती है. देखने में खूबसूरत और खाने में लाजवाब होने के कारण ही इसे 'सुंदरजा' नाम दिया गया.

देश भर में मिली पहचान
आपको बता दें कि सुंदरजा आम को 1970 में दिल्ली में आमों की प्रदर्शनी में पहला इनाम मिला था और इसकी चर्चा उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तक पहुंची. उन्होंने इस आम की तारीफ करते हुए 50 पैसे का डाक टिकट भी जारी किया था. यही नहीं, साल 2023 में इसे जीआई टैग (Geographical Indication) भी मिला, जिससे इसकी अंतरराष्ट्रीय पहचान और मजबूत हुई. अब यह आम देश ही नहीं विदेशों में भी निर्यात किया जा रहा है.

रिसर्च सेंटर तक का सफर
पहले सुंदरजा आम सिर्फ गोविंदगढ़ किले के अंदर ही उगाया जाता था और रीवा के राजपरिवार के लिए खास हुआ करता था. लेकिन 1970 के बाद इसे किले से बाहर लाया गया और रीवा कृषि महाविद्यालय के कुठलिया अनुसंधान केंद्र में इसकी वैज्ञानिक तरीके से खेती शुरू हुई. यहां की मिट्टी और मौसम इस खास वैरायटी को खूब सूट करते हैं, इसलिए इसका असली स्वाद यहीं के पेड़ों से आता है.

आकार में भी सबसे खास
इस आम का औसत वजन 350 ग्राम होता है, लेकिन यह 200 से 500 ग्राम तक में मिलता है. इसकी लंबाई करीब 12 इंच और चौड़ाई 8 इंच होती है. पकने के बाद इसका रंग सुनहरा हो जाता है और गूदा 75% तक होता है. सुंदरजा में कुल घुलनशील ठोस पदार्थ (TSS) करीब 22% होता है, जो इसे खासा मीठा और रसीला बनाता है. यह आम 10 से 12 दिन तक ताजा बना रहता है.

प्रदेश के सीएम भी फैन
सुंदरजा आम की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हाल ही में मुख्यमंत्री मोहन यादव जब रीवा दौरे पर आए, तो उन्होंने मंच से सुंदरजा आम का जिक्र बड़े गर्व से किया. उन्होंने कहा कि रीवा के स्वादिष्ट सुंदरजा आम की मांग पूरे देश में रहती है. यह आम अपनी मिठास, रसीलेपन और खुशबू के लिए जाना जाता है. आज रीवा आने वाला हर मेहमान इस आम की फरमाइश करता है. इसका स्वाद ऐसा है कि एक बार जो खा ले, वो हमेशा के लिए इसका दीवाना बन जाता है. यही वजह है कि अब इसकी मांग विदेशों तक पहुंच चुकी है और यह आम रीवा की असली पहचान बन गया है.

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