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एक रात में भूतों ने बनाया था ये मंदिर, चंबल के बीहड़ में बसा है अनोखा शिवधाम

Temple of Ghosts-देश के दिल मध्यप्रदेश में कई ऐसे प्राचीन मंदिर हैं, जिनका इतिहास और कहानियां सुनकर हर कोई हैरान रह जाता है. इन मंदिरों की कहानी बेहद ही दिलचस्प है. मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में एक ऐसा मंदिर है जो एक रात में बनाया गया था. साथ ही इस मंदिर को भूतों ने बनाया था. आज भी इस मंदिर को अधूरा माना जाता है, मंदिर के पत्थर बिना किसी सहारे टिके हुए हैं. 

 

ककनमठ मंदिर

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ककनमठ मंदिर

मुरैना के सिहोनिया इलाके में एक ऐसा मंदिर है, जिसका इतिहास हजारों साल पुराना है. भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर को लकेर अलग-अलग कहानियां प्रचलित हैं. माना जाता है कि इसका निर्माण कक्षबघात राजा कीर्ति राज के शासनकाल में हुआ था.

रानी के लिए कराया था निर्माण

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रानी के लिए कराया था निर्माण

माना जाता है कि 11वीं शताब्दी में राजा कक्षबघात ने रानी ककनावति के लिए भगवान शिव के इस मंदिर का निर्माण कराया था. मंदिर का नाम भी ककनमठ रानी के नाम पर ही पड़ा था. कहा जाता है कि रानी भगवान शिव की बहुत बड़ी उपासक थीं. 

भूतों ने किया था निर्माण

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भूतों ने किया था निर्माण

वहीं मंदिर के निर्माण और बनावट को लेकर एक बड़ी ही दिलचस्प कहानी प्रचलित है. लोगों का मानना है कि इस मंदिर का निर्माण भूतों ने किया था. भूतों ने इस मंदिर का निर्माण एक ही रात में किया था. 

 

निर्माण करते समय हुई सुबह

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 निर्माण करते समय हुई सुबह

मंदिर का निर्माण करते-करते सुबह हो गई, जिस वजह से भूत इसे अधूरा छोड़कर ही चले गए. यह मंदिर देखने में भी अधूरा सा लगता है, क्योंकि इसमें गारे या चूने का इस्तेमाल नहीं किया गया है. सिर्फ पत्थरों को एक के ऊपर एक जमाया गया है. 

 

देखने में लगता है डर

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देखने में लगता है डर

पास से खड़े होकर देखने पर लगता है कि यह मंदिर अचानक भर-भराकर गिर जाएगा. लेकिन यह अलौकिक मंदिर हजारों साल से ऐसा ही खड़ा हुआ है. कितनी ही बड़ी आंधी आए या फिर तूफान मंदिर का मुख्य परिसर जरा भी नहीं हिलता है. 

 

आसपास नहीं है अवशेष

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आसपास नहीं है अवशेष

सबसे हैरानी की बात यह है कि इस मंदिर के निर्माण के दौरान जिन पत्थरों का इस्तेमाल हुआ है. उनके जरा भी अवशेष मंदिर और उसके आसपास के इलाके में नहीं मिले हैं, दूर-दूर तक पत्थर के कोई टुकड़े नहीं हैं. इतने पत्थर यहां कैसे आए यह भी एक रहस्य है. 

115 फीट है ऊंचाई

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115 फीट है ऊंचाई

इस मंदिर की ऊंचाई करीब 115 फीट है, अंदर बहुत खूबसूरत नक्काशी की गई है. मंदिर की दीवारों पर अलग-अलग देवी-देवताओं की खूबसूरत मूर्तियां हैं. इस अनोखे शिवधाम में ना दरवाजे हैं और ना ही खिड़कियां. चंबल के बीहड़ो में बना लटकते हुए पत्थरों का यह मंदिर अद्भुत है. 

 

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