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रीवा से कुछ ही दूरी पर बसी ये अलग दुनिया, फिजिक्स का लॉ देख चकरा जाएगा दिमाग

Rewa Deur Kothar: रीवा से लगभग 70 किमी की दूरी पर बसा है देऊर कोठार, जिसे एक अलग दुनिया माना जाता है. इस जगह पर फिजिक्स का एक ऐसा लॉ फॉलो होता है जिसका आनंद लेने यहां कई किमी दूर से लोग आते हैं. कहते है कि देऊर कोठार का अस्तित्व आज से कम से कम 5 हजार साल पुराना है. यहां पर मौजूद हजारों साल पुराने मंदिर,  बौद्ध स्तूप और शैलचित्र, देऊर कोठार को एक अलग दुनिया में होने का एहसास दिलाते हैं.

 

देऊर कोठार के बारे में

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देऊर कोठार के बारे में

रीवा  से कुछ ही किमी दूर बसा देऊर कोठार, उन जगहों में से एक है जो बहुत ज्यादा चर्चित तो नहीं है लेकिन उनके होने से भारत के इतिहास के बारे में बहुत कुछ पता चलता है.  देऊर कोठार की गुफाएं, मंदिर और बौद्ध स्तूप इस बात का जीता जागता प्रमाण है कि भारत का इतिहास कितना समृद्ध रहा है.

 

देऊर कोठार में फॉलो होती है फिजिक्स लॉ

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देऊर कोठार में फॉलो होती है फिजिक्स लॉ

देऊर कोठार की वादियों की सबसे बड़ी खासियत है यहां पर फॉलो होने वाला फिजिक्स लॉ. फिजिक्स का ये लॉ बच्चो से लेकर बड़ों को भी रोमांचित करता है. साउंड रिफलेक्शन जिसे साइंटिफिट टर्म में echo कहते हैं, इस जगह पर महसूस किया जा सकता है.

इको करता है सबका मनोरंजन

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इको करता है सबका मनोरंजन

देऊर कोठार में मौजूद गुफाओं के आखिर में खड़े होकर और वादियों के तरफ मुंह कर के आप जो कुछ भी बोलेंगे, आपकी  आवाज दूर ट्रैवल कर के वापस आपको सुनाई देगी. आवाजों का यहां इको होना सभी को रोमांचित करता है. 

मध्य प्रदेश की आर्कियोलॉजिकल टीम को मिले अवशेष

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मध्य प्रदेश की आर्कियोलॉजिकल टीम को मिले अवशेष

आज से 25 साल पहले मध्य प्रदेश की आर्कियोलॉजिकल टीम ने इस जगह का सर्वे किया था , तो उस वक्त उन्हें यहां बौद्ध आर्किटेक्चर के कई अवशेष मिले थे. इन अवशेषों में बौद्ध स्तूप और विहार के अवशेष भी दिखाई दिए थे. यहां मौजूद बौद्ध स्तूप  की उम्र भी 2 हजार साल आंकी गई है. 

लोगों को कब पता चला बौद्ध स्तूप के बारे में

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लोगों को कब पता चला बौद्ध स्तूप के बारे में

दुनिया के सामने बौद्ध स्तूप की पहल झलक 1982 में सामने आई थी. तब से इस जगह और यहां मिले अवशेषों की खोज चलाई जा रही है. रीवा के देऊर कोठार में बौद्ध स्तूप भी है इस बात की जानकारी भी लोगों को बहुत समय बाद पता चली थी. ये स्तूप आज के समय में हरि भरी वादियों में छिपा हुआ है.

 

रॉक पेंटिंग करती है हैरान

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रॉक पेंटिंग करती है हैरान

यहां पत्थरों पर ब्राह्मी लिपि में दानदाताओं के नाम भी खुदे दिखाई देते हैं. वहीं आदिमानव द्वारा गुफाओं की दीवार पर बनी पेंटिंग्स भी साफ दिखाई देती हैं.

क्यों है देऊर कोठार खास

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क्यों है देऊर कोठार खास

यहां की विशाल चट्टानें, घने हरी भरी वादियां और ऊपर से नीचे तक दूर-दूर तक फैली हरियाली का मनमोहक नज़ारा इस जगह को और भी खास बनाता है. यहां आने पर ना सिर्फ आपको ईसा पूर्व दूसरी और तीसरी शताब्दी के बारे में जानने को मिलेगा बल्कि भारत के इतिहास से भी रूबरू होने का अवसर मिलेगा.

 

सोर्स: etv bharat

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