Jabalpur News: मध्य प्रदेश के जबलपुर में मदन महल की पहाड़ी पर शारदा माता का एक प्रसिद्ध मंदिर है. इस मंदिर के बारे में कई कहानियां प्रचलित हैं. यहां की सबसे खास बात यह है कि इस मंदिर में वर्षों से एक परंपरा चली आ रही है कि सावन के महीने में यहां झंड़ा चढ़ाने से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है. इसीलिए सावन के पवित्र महीने में भक्त अपनी मनोकामनाएं लेकर इस मंदिर में आते हैं. आइए जानते हैं इस अनोखी परंपरा के बारे में.
सावन का पवित्र महीना चल रहा है. इस दौरान भक्त भगवान भोलेनाथ की भक्ति में डूब जाते हैं और बाबा को प्रसन्न करने के लिए कई जतन करते हैं. इन्हीं में से एक है जबलपुर के शारदा मंदिर की परंपरा जो कई सालों से चली आ रही है.
जबलपुर में मदन महल की पहाड़ी पर स्थित यह अद्भुत मंदिर आज भी एक अनोखी परंपरा से जुड़ा है. कहा जाता है कि यहां सावन के महीने में झंड़ा चढ़ाने से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है.
इस मंदिर के बारे में कई कहानियां प्रचलित हैं. इन सब में रानी दुर्गावती से जुड़ी एक कहानी बहुत प्रचलित है. लगभग 550 साल पहले सावन के तीसरे सोमवार को रानी दुर्गावती ने बाज बहादुर पर विजय प्राप्त की थी. उसी दिन से लोग देवी को झंड़ा चढ़ाते हैं और उनकी पूजा करते हैं. धीरे-धीरे जब लोगों की मनोकामनाएं पूरी होने लगीं तो सावन आते ही दूर-दूर से हज़ारों लोग मां शारदा मंदिर में झंड़ा चढ़ाने पहुंचते हैं.
मंदिर के निर्माण की बात करें तो शारदा मंदिर का निर्माण वर्ष 1550 में हुआ था. कहा जाता है कि मां ने स्वप्न में आकर यहां मंदिर निर्माण के बारे में बताया था. सावन के तीसरे सोमवार को मंदिरों में हजारों लोग मां शारदा मंदिर पहुंचकर झंड़ा भी चढ़ाते हैं.
कहा जाता है कि रानी दुर्गावती ने अपने शासनकाल में दो शारदा मंदिर बनवाए थे. एक मंदिर जबलपुर के बरेला क्षेत्र में एक पहाड़ी पर स्थित है, जबकि दूसरा मदन महल किले के नीचे बना है. जब रानी दुर्गावती ने मदन महल किले को अपना निवास बनाया तो वे नीचे स्थित शारदा मंदिर में पूजा करने आती थीं.
इसके अलावा रानी दुर्गावती ने कालिंजर में रहते हुए आठ युद्ध जीते थे. लेकिन गोंडवाना शासन के दौरान यह उनका पहला युद्ध था, जिसे जीतने के बाद उन्होंने विजय का जश्न मनाने के लिए शारदा माता मंदिर पर झंड़ा चढ़ाया था. तभी से इस मंदिर पर झंडा चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई. (सोर्स- ईटीवी भारत)
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