खजाने की खोज में चंदेलकालीन मंदिरों को तहस-नहस कर रहे लोग! दीवारें उखाड़ीं, गर्भगृह को भी खोद डाला
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खजाने की खोज में चंदेलकालीन मंदिरों को तहस-नहस कर रहे लोग! दीवारें उखाड़ीं, गर्भगृह को भी खोद डाला

MP News: सागर के लखनझिर और पत्थरगढ़ के जंगलों में चंदेलकालीन मंदिरों के गर्भगृह को खजाने की तलाश में काफी गहराई तक खोद दिया गया. जिससे प्राचीन धरोहर को नुकसान पहुंच रहा है.

 

खजाने की खोज में चंदेलकालीन मंदिरों को तहस-नहस कर रहे लोग! दीवारें उखाड़ीं, गर्भगृह को भी खोद डाला

Sagar News: मध्य प्रदेश के सागर जिले के लखनझिर और पत्थरगढ़ गांव के जंगलों में चंदेलकालीन मंदिरों के खंडहरों में खजाने की खोज में लोगों ने गर्भगृह तक खोद डाला है. 9वीं से 13वीं सदी के नागर शैली में बने इन प्राचीन मंदिरों के गर्भगृह में लोगों ने गहरी खुदाई कर दी है, साथ ही दीवारें भी उखाड़ दी हैं. मंदिरों के शिखर और मूर्तियां खंडित अवस्था में हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि खुदाई के लिए यूपी से लोग मशीनें लेकर आए थे.

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चंदेलकालीन मंदिरों के खंडहरों में खजाने की खोज
दरअसल सागर के लखनझिर और पत्थरगढ़ गांवों के घने जंगलों में स्थित चंदेलकालीन मंदिरों को खजाने की खोज में गहराई तक खोद डाला गया है. ये ऐतिहासिक मंदिर 9वीं से 13वीं शताब्दी के बीच नागर शैली में निर्मित किए गए थे. उजनेटी गांव से लगभग 12 किमी दूर, सूखी बांकरई और धसान नदी के रास्ते इन खंडहरों तक पहुंचा जा सकता है. बताया जा रहा है कि यहां तीन मंदिरों के गर्भगृह को गहराई से खुदाई कर तहस-नहस कर दिया गया है.

देवी-देवताओं की मूर्तियां खंडित
खजाने की तलाश में की गई इस खुदाई ने मंदिरों की सुंदरता और ऐतिहासिकता को भारी नुकसान पहुंचाया है. देवी-देवताओं की मूर्तियां खंडित हो चुकी हैं, मंदिरों के शिखर और नंदी की प्रतिमाएं भी क्षतिग्रस्त हैं. दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि इन धरोहरों की सुरक्षा के लिए अभी तक पुरातत्व विभाग द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. विनायका गांव में स्थित संरक्षित विष्णु मंदिर के आसपास भी 80 मीटर के क्षेत्र में खुदाई की गई है, जबकि नियमों के अनुसार यहां 200 मीटर तक खुदाई प्रतिबंधित है. अब जाकर विभाग ने यहां सुरक्षा के लिए चौकीदार तैनात किए हैं.

यूपी से आई थी खुदाई की मशीनें
स्थानीय निवासियों के अनुसार, उत्तर प्रदेश से कुछ लोग खुदाई के लिए भारी मशीनें लेकर इस क्षेत्र में पहुंचे थे. कभी यह स्थान एक प्रमुख बाज़ार हुआ करता था, जिसे स्थानीय लोग ‘पुतरों की ओल’ के नाम से जानते हैं. यह इलाका एक समय डकैतों का गढ़ भी रहा है. यहां खुदाई का सिलसिला कोई नया नहीं, बल्कि कई वर्षों से जारी है. खजाने की लालसा में एक बैंककर्मी ने तो अपनी स्थायी नौकरी तक छोड़ दी थी.

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इतिहासकारों की चिंता
इतिहासकार प्रो. नागेश दुबे के अनुसार, पुराने समय में लोग सुरक्षा के लिए जमीन में धन गाड़ते थे. लेकिन यह जरूरी नहीं कि हर जगह खजाना मिले. उन्होंने कहा कि ऐसी ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने के लिए पुरातत्व विभाग को गंभीर और ठोस प्रयास करने चाहिए.

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