सिंगरौली में बढ़ रही है एक गंभीर बीमारी, बुखार, बदन दर्द और कमजोरी हैं इसके लक्षण
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सिंगरौली में बढ़ रही है एक गंभीर बीमारी, बुखार, बदन दर्द और कमजोरी हैं इसके लक्षण

MP News: सिंहरौली में 'स्क्रब टाइफस' बीमारी का प्रकोप बढ़ गया है. हर रोज स्क्रब टाइफस के 15-20 मरीज, सिंहरौली जिला अस्पताल में देखे जा रहें है. बीमारी का इलाज समय से नहीं किया गया तो लीवर, किडनी और ब्रेन डैमेज हो सकता है.

 

सांकेतिक फोटो
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Scrub Typhus Case in Singrauli: मध्य प्रदेश के जिला सिंहरौली में एक बड़ी ही घातक बीमारी अपना पैर पसार रही है. जिला अस्पताल और ट्रामा सेंटर में रोजाना 15-20 मरीज सिर्फ 'स्क्रब टाइफस' के सामने आ रहे हैं. ये बीमारी बहुत तेजी से ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्रों में रह रहे लोगों को अपना शिकार बना रही है. 'स्क्रब टाइफस' का संक्रमण इतना तेज है कि संक्रमित व्यक्ति के लीवर, किडनी और दिमाग को नुकसान पहुंचा सकता है. अगर आपके शरीर में कमजोरी, दर्द, पेट में गड़बड़ी और बुखार की समस्या बनी हुई है तो तुरंत अपना जांच कराए. 

सिंहरौली में स्क्रब टाइफस का खतरा
सिंहरौली जिला अस्पताल और ट्रामा सेंटर में बढ़ते स्क्रब टाइफस के मामलों ने चिंता बढ़ा दी है. हर रोज अस्पताल में स्क्रब टाइफस के मरीज देखे जा रहे हैं. जुलाई महीने में भी इस बीमारी के 11 मरीज पॉजिटिव पाए गए थे. जिले में स्क्रब टाइफस के बढ़ते मामलों की वजह से डॉक्टर की ओर से लोगों से एहतियात बरतने की अपील की जा रही है. शुरूआती जांच से इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है लेकिन अगर देरी हुई तो इस बीमारी से राहत पाना मुश्किल हो जाता है. 

क्या है स्क्रब टाइफस बीमारी
हेल्थ जानकार के अनुसार, स्क्रब टाइफस एक बैक्टीरियल बीमारी है जो रिकेटसिया कीट के काटने से होती है. कीट के काटने के बाद शरीर पर छोटे घाव बनते हैं औकर फिर तेज बुखार, जोड़ों में दर्द, शरीर में कमजोरी के साथ आखों में जलन होती है. सही समय पर डॉक्टर से सलाह न लेने पर ये बीमारी किडनी, लीवर और ब्रेन के लिए घाटक बन जाती है. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पहाड़ी और गांव देहात में रहने वाले लोगों को सावधान रहने के लिए कहा गया है.

कैसे करें बचाव
अगर आपको बुखार की शिकायत बनी हुई है या फिर जोड़ों में दर्द, आंखों में जलन, पेट में गड़बड़ी और शरीर कमजोर होता जा रहा तो तुरंत जांच कराएं. स्क्रब टाइफस की जांच जिला अस्पताल के आरटीपीसीआर(RTPCR) लैब में की जा रही है. जांच के बाद रिपोर्ट आने  में 3-4 दिन का वक्त लगता है. बीमारी से बचने के लिए अपने आसपास साफ सफाई रखें, शरीर को ढक कर रखें, चूंहों को घर में आने न दें, शरीर की साफ सफाई रखें. बरसात के मौसम में इस बीमारी के बढ़ने का खतरा अधिक रहता है. 

सोर्स: पत्रिका

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