Dacoit Ghanshyam Kevat Encounter Story: डकैत घनश्याम केवट यूपी का ऐसा कुख्यात दस्यु था जिसने अकेले ही अपनी रायफल से 400 पुलिसवालों का 52 घंटे मुकाबला किया था. घनश्याम की तरह उसके गैंग के सदस्य भी कम खूंखार नहीं थे. बीते वर्ष उसके गैंग का एक सदस्य उम्रकैद की सजा काटकर बाहर आया तो एक जिंदा सांप को चबा गया था.
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Chitrakoot: तारीख 16 जून 2009... समय 11 बजे और जगह उत्तर प्रदेश के चित्रकूट के राजापुर इलाके का जमौली गांव. मुखबिर की सूचना पर दो-तीन थानों की पुलिस ने कुख्यात डकैत घनश्याम केवट को घेर लिया था. लेकिन जब अकेले घनश्याम केवट ने फायरिंग शुरू की तो पुलिसवालों की हालत खराब हो गई. घनश्याम केवट के गैंग के ही गुर्गे गंगा प्रसाद का जुलाई 2024 में सांप को जिंदा चबाकर खा जाने का वीडियो भी वायरल हुआ था, आइये विस्तार से बताते हैं यूपी के डकैत घनश्याम केवट का वो एनकाउंटर जिसमें वो अकेले ही 400 पुलिसवालों से 52 घंटे तक लोहा लेता रहा था.
16 जून 2009 को चित्रकूट पुलिस को एक मुखबिर से खबर मिली कि कुख्यात डकैत घनश्याम केवट राजापुर इलाके के जमौली गांव में है.खबर मिलते ही दो-तीन थानों की पुलिस ने जमौली गांव को घेर लिया. पुलिस को लगा कि घनश्याम अकेला है. दो-तीन थानों की पुलिस उसके लिए काफी होगी. पुलिस ने लाउडस्पीकर पर घनश्याम को सरेंडर करने के लिए कहा, लेकिन घनश्याम ने जवाब दिया अपनी .315 बोर की दोनाली से. उसने ताबड़तोड़ एक बाद एक कई फायर झोंक दिये.
400 पुलिस जवानों का अकेले मुकाबला
पुलिस अफसर समझ गए कि घनश्याम ऐसे काबू में आने वाला नहीं है. चार थानों की पुलिस और बुलाई गई. अब घनश्याम केवट को पूरे 400 पुलिस जवानों ने घेर लिया था. गोलियों को आवाज भले ही चित्रकूट के राजापुर इलाके में सुनाई दे रही थी लेकिन उनकी गूंज लखनऊ तक महसूस हो रही थी. डकैत घनश्याम केवट अकेला ही दो मंजिला मकान से अपनी .315 बोर की रायफल से पुलिसवालों पर बारूद बरसा रहा था. काफी देर तक दोनों तरफ से फायरिंग के बाद भी जब कुख्यात डकैत ने सरेंडर नहीं किया तो पूरे गांव को खाली करा लिया गया और आसपास की झोपड़ियों में आग लगा दी गई ताकि घनश्याम धुएं से परेशान होकर बाहर भागे.
धुएं से भी ना निकला, 4 पुलिसकर्मी हुए शहीद
6 घंटे तक झोंपड़ियां सुलगती रहीं लेकिन घनश्याम बाहर नहीं आया. हारकर यूपी पुलिस के जवानों ने एक बार फिर घनश्याम की तरफ फायरिंग शुरू की. लेकिन घनश्याम कहां हार मानने वाला था, वह भी हर गोली का जवाब गोली से दे रहा था. इस मुठभेड़ में घनश्याम की गोली से चार पुलिसवाले भी शहीद हो गए और 6 जख्मी हो गए.
2 दिन चली फायरिंग में ढेर हुआ डकैत घनश्याम
16 जून से फायरिंग शुरू हुई थी और 18 जून हो गई थी. तभी दोपहर करीब 2 बजे जिस मकान में घनश्याम छुपा बैठा था वहां से कुछ हलचल सी दिखाई दी. शायद घनश्याम की गोलियां खत्म हो गई थी. वह भागने की कोशिश में था. घनश्याम केवट ने दो मंजिला मकान से ही छलांग लगा दी. वह स्पाइडर मैन की तरह एक छत से दूसरी छत पर कुलांचे मारता हुआ भाग रहा था, लेकिन पुलिस ने हर गली और चौराहे को घेर रखा था. जैसे ही घनश्याम निशाने पर आया गोलियां चल पड़ी और चित्रकूट का दस्यु ढेर हो गया.
डकैत घनश्याम के एनकाउंटर पर 52 लाख खर्च
मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारियों ने घनश्याम के ढेर होने की सूचना देते हुए बताया कि 52 घंटे चली इस मुठभेड़ में पुलिस के 52 लाख रुपये खर्च हुए और 400 पुलिस जवानों ने मोर्चा संभाला था. 4 जवान शहीद हुए और कई घायल हुए लेकिन डाकू घनश्याम का आतंक अब खत्म हो चुका था.
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