Sambhal violence case: संभल हिंसा के मामले में जेल में बंद जामा मस्जिद के सदर जफर अली को लेकर बड़ी खबर सामने आई है. पुलिस ने इस मामले में कोर्ट में केस डायरी दाखिल कर दी है, जिसमें हिंसा के मास्टरमाइंड के बार में बताया गया है. आइए जानते हैं इसके बारे में....
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Sambhal violence case/ सुनील सिंह: उत्तर प्रदेश के संभल में 24 नवंबर को भड़की हिंसा को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है. इस मामले में एडीजे कोर्ट ने जामा मस्जिद के सदर जफर अली की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. एडीजे कोर्ट ने सदर जफर अली पर लगे अरोपों को गंभीर माना है. सरकारी वकील ने पुलिस द्वारा जुटाए गए पुख्ता सबूतों की दलील देते हुए जमानत याचिका खारिज करने की मांग की.
जफर अली और सपा सांसद पर संभल हिंसा के मास्टर माइंड होने के साक्ष्य : सूत्र
संभल पुलिस की केस डायरी के मुताबिक, विवादित जामा मस्जिद के सदर जफर अली और सपा सांसद जिया उर रहमान बर्क की भूमिका संदिग्ध मानी गई है. सूत्रों के मुताबिक, पुलिस की केस डायरी में सदर जफर अली और सांसद जिया उर रहमान वर्क पर संभल हिंसा के मास्टर माइंड होने के साक्ष्य हैं. केस डायरी में सदर जफर अली का कबूल नामा है, जिनमें सपा सांसद का उनपर दबाव था कि वह भीड़ इकट्ठा कर सर्वे का विरोध करें. केस डायरी में सदर जफर अली ने यह कबूल किया है.
'सपा सांसद ने फोन कर लोगों को एकत्रित होने को कहा'
सूत्रों के मुताबिक, सपा सांसद जिया उर रहमान वर्क ने जफर अली से फोन पर कहा था कि मैं बेंग्लुरु में हूं इतनी जल्दी संभल नहीं आ सकता. मेरे बाद आप ही सर्वेसर्वा है, इसलिए लोगों को इकट्ठा करें और सर्वे का विरोध करें. केस डायरी में सदर जफर अली के कबूल नाम से पुलिस जल्दी ही सपा सांसद पर भी शिकंजा कस सकती है. सदर जफर अली की जमानत अर्जी पर मामले की सुनवाई के दौरान जिला न्यायालय में पुलिस की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रही.
साटा गैंग के मुल्ला अफरोज की जमानत याचिका खारिज
वहीं इस मामले में आरोपी शारीक साटा गैंग के सदस्य मुल्ला अफरोज की जमानत याचिका DJ कोर्ट ने खारिज कर दी है. शासकीय अधिवक्ता राहुल दीक्षित ने इसकी पुष्टि की. अफरोज पर हिंसा भड़काने और आपराधिक साजिश रचने का आरोप है.
क्या था मामला?
गौरतलब है कि 24 नवंबर को संभल में अचानक हिंसा भड़क उठी थी. साजिश के तहत पत्थरबाजी की गई, जिसमें कई लोग घायल हो गए थे और हालात बेकाबू हो गए। हिंसा के दौरान कई वाहन जलाए गए और पुलिस पर भी हमला किया गया. इस घटना में तीन लोगों की जान चली गई थी.
स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए प्रशासन ने सख्त कदम उठाए और बड़ी संख्या में लोगों को हिरासत में लिया गया. मामले की जांच SIT को सौंपी गई, जिसने 23 मार्च 2025 को जामा मस्जिद के सदर जफर अली को गिरफ्तार कर लिया.
प्री-प्लान्ड थी हिंसा?
जांच में सामने आया है कि यह हिंसा अचानक नहीं भड़की थी, बल्कि इसे सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया. जामा मस्जिद को लेकर पहले से ही विवाद चला आ रहा था, जिसे एक बड़ी साजिश के तहत दंगे में तब्दील कर दिया गया.
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