Unnao Latest News: छोटे से घर में पली-बढ़ी उन्नाव की बेटी नीतिका वर्मा ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है, जिससे न केवल उनका परिवार बल्कि पूरा देश गर्व महसूस कर रहा है. अमेरिका के बर्मिंघम में आयोजित वर्ल्ड पुलिस एंड फायर गेम्स 2025 में उन्होंने डिस्कस थ्रो में स्वर्ण पदक जीतकर भारत का परचम बुलंद किया.
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Unnao Hindi News/ज्ञानेंद्र प्रताप: सपनों की कोई सीमा नहीं होती. यह बात सच कर दिखाई है उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले की बेटी नीतिका वर्मा ने. बेहद साधारण परिवार से आने वाली नीतिका ने अमेरिका के बर्मिंघम में आयोजित वर्ल्ड पुलिस एंड फायर गेम्स 2025 में डिस्कस थ्रो (चक्का फेंक) स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर न सिर्फ भारत का परचम लहराया, बल्कि उन सभी लड़कियों के लिए एक मिसाल बन गई जो सीमित साधनों में भी असीमित सपने देखती हैं.
इस प्रतियोगिता में 70 देशों के एथलीटों ने भाग लिया था, लेकिन नीतिका ने अपनी दमदार परफॉर्मेंस से सभी को पछाड़ दिया और गोल्ड मेडल अपने नाम किया. जब अमेरिका में भारत का तिरंगा सबसे ऊपर लहराया गया, तो उस पल ने न केवल नीतिका बल्कि हर भारतीय की आंखें गर्व से भर दीं.
सबसे पहले Zee Media से हुई मुखातिब, बताया संघर्ष भरा सफर
अपने घर लौटते ही नीतिका ने सबसे पहले Zee Media से बात की. उन्होंने कहा, "अगर मुझे सही ट्रेनिंग और आर्थिक सहयोग मिले, तो मैं एशियन गेम्स और ओलंपिक में भी देश के लिए मेडल जीत सकती हूं."
छोटे से घर से निकली बड़ी खिलाड़ी
नीतिका वर्मा का घर उन्नाव के नगर पालिका अध्यक्ष श्वेता भानु मिश्रा के घर के पास, महज एक बिस्वा ज़मीन पर बना छोटा सा मकान है, जिसमें छह परिवार एक साथ रहते हैं. उन्हीं में से एक परिवार के रामलाल वर्मा की बेटी हैं नीतिका, जो वर्तमान में आईटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस) में कांस्टेबल के पद पर चंडीगढ़ के पंचकुला में तैनात हैं.
नीतिका की पढ़ाई सरकारी स्कूलों से हुई है. उन्होंने बताया कि खेल के प्रति रुचि उन्हें अपने बाबा और पिता से विरासत में मिली. दोनों जिला स्तर के अच्छे फुटबॉल खिलाड़ी रहे हैं.
अब तक जीत चुकीं 18 नेशनल मेडल
नीतिका का खेलों में सफर काफी लंबा और संघर्षपूर्ण रहा है. अब तक वे 18 राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में मेडल जीत चुकी हैं. अमेरिका जाने और वहां भारत का प्रतिनिधित्व करने में उनके विभाग ने भी पूरा सहयोग किया.
जश्न का माहौल, लेकिन जरूरत है सहयोग की
नीतिका के घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है. मोहल्ले और जिले भर में खुशी का माहौल है. लेकिन इस गौरवशाली उपलब्धि के पीछे एक सच्चाई यह भी है कि नीतिका को अभी भी आर्थिक सहायता की सख्त जरूरत है.
उन्होंने अपील की है कि अगर सरकार या कोई प्रायोजक उनकी मदद करे, तो वह आने वाले वर्षों में एशियन गेम्स और ओलंपिक जैसी बड़ी प्रतियोगिताओं में भी भारत का तिरंगा लहराने को तैयार हैं.
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