200 साल पुराना ऐतिहासिक नौण खतरे में, बारिश में ढही सुरक्षा दीवार, आसपास के घरों पर भी मंडराया संकट
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200 साल पुराना ऐतिहासिक नौण खतरे में, बारिश में ढही सुरक्षा दीवार, आसपास के घरों पर भी मंडराया संकट

हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के झंडूता क्षेत्र में स्थित 200 वर्ष पुराना ऐतिहासिक नौण भारी बारिश के चलते गंभीर खतरे में आ गया है. ठाकुरद्वारा नरसिंह मंदिर के पास स्थित इस सांस्कृतिक धरोहर की सड़क की ओर बनी सुरक्षा दीवार हाल ही में बारिश में ढह गई.

200 साल पुराना ऐतिहासिक नौण खतरे में, बारिश में ढही सुरक्षा दीवार, आसपास के घरों पर भी मंडराया संकट

Bilaspur News(विजय भारद्वाज): हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिला स्थित झंडूता क्षेत्र के ठाकुरद्वारा नरसिंह मंदिर के समीप 200 साल पुराना ऐतिहासिक नौण जिसे रानी नागर देई ने बनवाया था, खतरे में पड़ गया है. वहीं भारी बारिश के कारण नौण की सड़क की तरफ बनी सुरक्षा दीवार पूरी तरह ढह कर नौण के अंदर गिर गई है. इस घटना ने न केवल इस सांस्कृतिक धरोहर को नुकसान पहुंचाया है बल्कि आसपास के मकानों के लिए भी खतरा पैदा कर दिया है. 

गौरतलब है की यह नौण लगभग 200 वर्ष पुराना है और कहलूर रियासत की सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है. वहीं सड़क के पास की दीवार बारिश के कारण टूटकर नौण में गिर गई है, जिसके चलते सड़क का पानी अब सीधे नौण के बीच में चला जाता है, जिसने इस ऐतिहासिक संरचना को कमजोर कर दिया है. इसके साथ ही पास में बने मकान भी खतरे में आ गए है. 

इस बात कि जानकारी देते हुए स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि मौके पर आकर नौण का निरीक्षण किया जाए और इसके पुनर्निर्माण के लिए आवश्यक बजट उपलब्ध करवाया जाए. साथ ही लोगों का कहना है कि सड़क निर्माण के दौरान उचित मानकों का पालन नहीं किया गया जिसके कारण बारिश का पानी नौण की ओर बह रहा है. 

इसके अलावा गांव वांडा से सड़क तक आने वाली नाली की नियमित सफाई न होने के कारण यहां का गंदा पानी भी नौण में प्रवेश कर रहा है. यह पानी नौण की संरचना को लगातार कमजोर कर रहा है, जिससे बारिश होते ही दीवार ढह गई है. वहीं लोगों का कहना है कि बारिश के मौसम में जलभराव और नाली के पानी का बहाव नौण और आसपास के मकानों के लिए और बड़ा खतरा पैदा कर रहा है. वहीं इस ऐतिहासिक नौण का महत्व केवल स्थानीय लोगों के लिए ही नहीं बल्कि बिलासपुर जिला के लिए है. यह नौण रानी नागर देई की विरासत का प्रतीक है और स्थानीय संस्कृति व इतिहास का अभिन्न अंग है.

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