हिमाचल में जारी मानसून के कहर से मरने वालों की संख्या बढ़कर 85 हो गई है, जिसमें 54 लोग भूस्खलन, बादल फटने, अचानक बाढ़ और डूबने जैसी बारिश से उत्पन्न आपदाओं के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं, जबकि सड़क दुर्घटनाओं में 31 लोगों की मौत हो गई है.
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Himachal Rain: हिमाचल प्रदेश में मानसून के चलते हुई तबाही में अब तक 85 लोगों की जान जा चुकी है, जिसमें से 54 मौतें भूस्खलन, बादल फटने, फ्लैश फ्लड और डूबने जैसी बारिश से जुड़ी घटनाओं में हुई हैं, जबकि 31 लोग सड़क हादसों में मारे गए हैं. यह जानकारी राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) ने मंगलवार को दी.
SDMA की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, 20 जून 2025 से अब तक, जब से राज्य में आधिकारिक रूप से मानसून शुरू हुआ, हिमाचल में जनजीवन, निजी-सार्वजनिक संपत्तियों, मवेशियों और बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा है.
रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक 718 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति को नुकसान हुआ है.
129 लोग घायल हुए हैं,
340 मकान पूरी तरह से तबाह हो चुके हैं,
और 10,255 पशु व पोल्ट्री मारे गए हैं.
मंडी जिला सबसे ज्यादा प्रभावित रहा है, जहां 17 मौतें बारिश संबंधी घटनाओं में हुईं.
यहां 247 घर, 149 गौशालाएं क्षतिग्रस्त हुई हैं और 225 मवेशियों की मौत हुई है.
मंगलवार शाम को जारी एक स्थिति रिपोर्ट के अनुसार:
198 सड़कें बंद हैं,
159 बिजली के ट्रांसफॉर्मर ठप हैं,
और 297 पेयजल योजनाएं बाधित हैं.
SDMA ने कहा, “मरम्मत और बहाली का कार्य जारी है, लेकिन नुकसान का स्तर बहुत बड़ा है.”
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्यवासियों से सावधानी बरतने की अपील की है. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र सबसे अधिक दबाव में हैं, जबकि शहरी क्षेत्रों की स्थिति तुलनात्मक रूप से सामान्य है.
शिमला के ढली और भट्टा कुफ़र क्षेत्रों के दौरे के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा, “हम प्रभावित परिवारों को हर संभव सहायता दे रहे हैं. मुआवजा और बुनियादी ढांचे की बहाली से जुड़ी योजनाएं आगामी कैबिनेट बैठक में लाई जाएंगी.”
फिलहाल हिमाचल प्रदेश में मौसम को लेकर हाई अलर्ट जारी है, क्योंकि राज्य में मानसून की तीव्रता बढ़ रही है.