7 Sunnah of Prophet Muhammad (S.W): पैगंबर मोहम्मद (स.अ) की वह सात सुन्नतें जो हम भूल चुके हैं या फिर नजरअंदाज करते रहते हैं. ये सुन्नतें हमारी जिंदगी में बरकत, बरकत और अखलाक में इजफा कर सकती हैं.
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7 Sunnah of Prophet Muhammad (S.W): पैग़ंबर मुहम्मद (स.अ) की सुन्नतें न सिर्फ इबादत का तरीका हैं, बल्कि एक मुकम्मल ज़िंदगी जीने की राह भी दिखाती हैं. बहुत-सी सुन्नतें ऐसी हैं जो हम या तो जानते ही नहीं, या धीरे-धीरे उन्हें अपनाना छोड़ चुके हैं. ये सुन्नतें आज भी हमारी ज़िंदगी को बरकत, सादगी और सुकून से भर सकती हैं. आज हम आपको ऐसी ही सिन्नतों के बारे में जानकारी देने वाले हैं, तो आइये जानते हैं.
नबी (स.अ) हमेशा लोगों से मुस्कुराकर मिलते थे. यह छोटी सी बात दिलों को जीत लेती है और आपसी रिश्तों को मजबूत बनाती है. हदीस: तिर्मिज़ी में लिखा है कि आपका भाई के लिए मुस्कुराना भी सदक़ा है.
पैगंबर मोहम्मद (स.अ) ने से पहले और बाद में हमेशा हाथ धोते थे. ये केवल एक सुन्नत ही नहीं बल्कि हेल्थ के नजरिए से भी काफी अहम है.
पैगंबर (स.अ) हमेशा दाहिने हाथ से खाते और पीते थे और उन्होंने इसकी हिदायत भी दी है. आजकल बहुत लोग इस पर ध्यान नहीं देते हैं.
आप (स.अ) वुज़ू करके ही सोया करते थे. ऐसा करने से नींद में सुकून मिलता है और यह रूहानी पाकीज़गी भी बढ़ती है.
जब मुअज़्ज़िन अज़ान देता है, तो उसका जवाब देना सुन्नत है. आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में बहुत से लोग अज़ान को नजरअंदाज कर देते हैं.
छींक आने पर "अल्हम्दुलिल्लाह" कहना और जवाब में "यरहमुकल्लाह" कहना सुन्नत है. आप (स.अ) ने छींकने पर "अल्हम्दुलिल्लाह" और सुनने वाले को "यरहमुकल्लाह" कहने की तालीम दी है. ये एक मामूली लेकिन बहुत प्यारी सुन्नत है जो समाज में आपसी प्यार को बढ़ाती है.
आप (स.अ) दूसरों के लिए भी दिल से दुआ करते थे, खासतौर पर बिना बताए. यह सुन्नत बहुत खास है, क्योंकि जो आप दूसरों के लिए चाहते हैं, वही आपको भी मिलेगा.
ये सुन्नतें छोटी ज़रूर हैं, लेकिन इनका असर बहुत बड़ा है. जो लोग इन्हें भूल चुके हैं, वह दोबारा इन्हें अपनी ज़िंदगी में लाकर पैगंबर मोहम्मद (स.अ) की मोहब्बत को ताज़ा कर सकते हैं और अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में बरकत, अदब और अख़लाक बढ़ा सकते हैं.