Shia स्कॉलर मौलाना कल्बे जवाद ने उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एक मीटिंग में हिस्सा लिया. इस दौरान उन्होंने कहा कि सुन्नी और शिया औकाफ पर खतरा मंडरा रहा है. इसके साथ ही मौलाना जवाद ने कहा कि आज मुसलमान संप्रदायों में बंटा हुआ है.
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Maulana Kalbe Jawad: सहारनपुर में एक खास मीटिंग में औकाफ समेत मुसलमानों के दूसरे मुद्दों पर चर्चा करते हुए प्रसिद्ध विद्वान मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि शिया और सुन्नी औकाफ खतरे में हैं और नए संशोधन कानून की तलवार अभी लटक रही है. उन्होंने कहा कि औकाफ समेत मुसलमानों के ज्यादातर मुद्दे कांग्रेस सरकारों की देन हैं.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने लखनऊ की वक्फ संपत्तियों पर कब्जा कर लिया था, जिनमें आज भी सरकारी कार्यालय स्थापित हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकारों ने दिल्ली के वक्फ के साथ भी ऐसा ही किया. यही वजह है कि आज भाजपा सरकारें भी इन संपत्तियों को सरकार की संपत्ति बता रही हैं.
राष्ट्रीय एकता के सवाल पर उन्होंने कहा कि कौन मुसलमान अंतर-मुस्लिम एकता से इनकार कर सकता है? सभी चाहते हैं कि यह एकता स्थापित हो. लेकिन, सही मायनों में एकता स्थापित नहीं हुई है और मुसलमान संप्रदायों में बंटे हुए हैं. उन्होंने कहा कि मुसलमानों की राजनीतिक एकता तब तक बेमानी है जब तक पिछड़े वर्ग और दलित इस एकता में शामिल नहीं हो जाते और एक राजनीतिक ताकत नहीं बन जाते.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस हो या अब भाजपा, पिछड़े हिंदू समुदायों और दलितों के समर्थन से ही सत्ता में आई है. उन्होंने मुसलमानों में ऊंचे नीचे के भेद को गैर-इस्लामी बताया और कहा कि इस्लाम में ऐसा कोई भेद नहीं है, इस्लाम में सभी मुसलमान समान हैं.
मुस्लिम दलितों के आरक्षण के सवाल पर उन्होंने कहा कि अब तो आम दलितों का ही आरक्षण खत्म किया जा रहा है, मुस्लिम दलितों का आरक्षण तो दूर की बात है. उन्होंने कहा कि संविधान निर्माताओं ने संविधान में दलितों और मुस्लिम दलितों के बीच भेदभाव किया और ईसाई दलितों को भी आरक्षण का अधिकार नहीं दिया. सिख, जैन और बौद्ध अल्पसंख्यकों को भी बाद में इसमें शामिल किया गया और उन्हें संविधान में हिंदू माना गया.
उन्होंने कहा यह भी खंडन किया कि शिया समुदाय पहले जनसंघ और अब भाजपा का समर्थन करता है. उन्होंने कहा कि लखनऊ में राजनाथ सिंह जैसे कुछ भाजपा उम्मीदवारों का उनके अच्छे चरित्र के आधार पर समर्थन करना भाजपा का समर्थन नहीं है. मुसलमानों के प्रति भाजपा के रवैये पर उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्ष दलों का रवैया भी कुछ खास अलग नहीं है. मौजूदा स्थिति यह है कि हर पार्टी मुसलमानों का नाम लेने से डरती है कि कहीं उसके बहुसंख्यक मतदाता उससे नाराज न हो जाएं.