Dhamdaha Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा इलेक्शन नजदीक है और आज हम पूर्णिया जिले की धमदाहा विधानसभा सीट का विश्लेषण करने जा रहे हैं. हम आपको बताएंगे कि इस सीट पर मुसलमानों की आबादी कितनी है और वे किस उम्मीदवार को वोट देंगे. आइए जानते हैं.
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Dhamdaha Assembly Election 2025: बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं और राजनीतिक पंडित सभी विधानसभा सीटों को लेकर अभी से भविष्यवाणियां कर रहे हैं. साथ ही आम लोग भी यह जानने के लिए काफी उत्सुक हैं कि कौन सी पार्टी किस सीट पर जीतेगी और किन सीटों पर मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण होगा. ऐसे में आज हम पूर्णिया जिले की धमदाहा विधानसभा सीट का विश्लेषण करने जा रहे हैं. हम आपको बताएंगे कि इस सीट पर मुसलमानों की आबादी कितनी है और वे किस उम्मीदवार को वोट देंगे. पिछले 2 चुनावों में वोटिंग ट्रेंड क्या रहा है. इन सभी बातों के बारे में हम विस्तार से बताने जा रहे हैं. आइए जानते हैं.
दरअसल, पूर्णिया जिले की धमदाहा विधानसभा सीट पर राजनीतिक हलचलों का दौर जारी है. पिछले दो दशकों से जेडीयू का दबदबा रहा है और इस सीट पर लेशी सिंह की मजबूत पकड़ है. लेशी सिंह को बिहार के सीएम नीतीश कुमार का करीबी माना जाता है. जिस तरह से लेशी सिंह ने इस सीट पर अपनी मज़बूत पकड़ बनाए रखी है उसने इसे जेडीयू का गढ़ बना दिया है. लेकिन आने वाले चुनावों में इस गढ़ की दीवारें कितनी मज़बूत साबित होंगी, ये तो आने वाला वक्त ही बता सकता है. इस सीट पर भी मुस्लिम निर्णायक भूमिका में हैं. यानी किसी भी पार्टी की हार-जीत में मुस्लिम वोटर्स की अहम भूमिका होती है.
लेशी सिंह का दबदबा
राजनीतिक इतिहास की बात करें तो धमदाहा में सत्ता कभी कांग्रेस और जनता दल तो कभी सेक्यूलर दलों की ओर झुकती रही है लेकिन साल 2000 से इस सीट पर लेशी सिंह का कब्जा है. लेशी ने साल 2000 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीता था, जिसके बाद उनका विजयी रथ कभी नहीं रुका. साल 2020 में भी उन्होंने जीत हासिल की है. अक्टूबर में हुए उपचुनाव में ही लेशी सिंह को राजद उम्मीदवार ने हराया था. लेशी सिंह फिलहाल नीतीश सरकार में मंत्री हैं.
कैसे लेशी सिंह का शुरू हुआ राजनीतिक सफर
लेशी सिंह का राजनीतिक सफर तब शुरू हुआ जब वह अपने शौहर मधुसूदन सिंह की हत्या के बाद राजनीति में आईं. एक समय था जब लेशी सिंह को सिर्फ सहानुभूति की लहर पर जीतने वाला नेता माना जाता था, लेकिन अब वह एक अनुभवी मंत्री और क्षेत्रीय नेतृत्व का चेहरा बन गई हैं. हालांकि इस बार उनके लिए चुनावी मुकाबला आसान नहीं है. 2024 के लोकसभा चुनाव में सीमांचल की कई सीटों पर बीजेपी को बढ़त मिली है, लेकिन अब मुसलमानों का जेडीयू से मोहभंग हो गया है. अब मुसलमानों का झुकाव आरजेडी और कांग्रेस की तरफ हो रहा है. इस सीट पर करीब 18 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं और वे किसी भी उम्मीदवार का चुनावी भविष्य तय कर सकते हैं.
मुसलमानों में बढ़ा है असंतोष का भाव
AIMIM जैसी पार्टियां सीमांचल के मुस्लिम वोटों में सेंध लगाने की कोशिश में जुटी हैं. हालांकि अब तक वे धमदाहा में सीधी पकड़ नहीं बना पाई हैं, लेकिन विकल्प की तलाश और युवा मुस्लिम मतदाताओं में असंतोष की भावना कभी भी बड़ा बदलाव ला सकती है. राजद और कांग्रेस जैसी पारंपरिक धर्मनिरपेक्ष ताकतें भी इस वोट बैंक को अपनी ओर लाने की कोशिश में हैं.