Ajmer Tajiya: मुहर्रम का महीना शुरू होते ही हर तरफ शिया समुदाय के लोग गमे हुसैन में डूबे नजर आ रहे हैं. अजमेर में भी मुहर्रम पर ताजियादारी का खास इंतजाम किया गया है. इस मौके पर अजमेर दरगाह में चांदी का ताजिया लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.
इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम शुरू होते हुए गम-ए-हुसैन का दौर शुरू हो गया. मुहर्रम का इस्लाम में खासकर शिया समुदाय में खास महत्व है. अजमेर में भी मुहर्रम को लेकर ऐहतमाम किया जा रहा है.
यहां मोहर्रम की पांच तारीख को दौरान सभी इमामबारगाहों में जनाबे अली अकबर (रजि.) का ताबूत उठाकर खिराजे तहसीन पेश किया गया. इसके साथ ही अलम और चौकी का जुलूस निकाल कर जियारत भी करवाई गई.
अंजुमन जाफरिया के सेकेट्री सैय्यद आसिफ अली ने जानकारी देते हुए बताया की पांच मोहर्रम से दौराई में मजलिसों के साथ जियारतों का सिलसिला भी शुरू हो गया है, जो 10 मुहर्रम तक चलेगा. शिया समुदाय के घरों और इमाम बारगाह में भी मजलिसें हो रही हैं.
दौराई में होने वाली मजलिसों को मौलाना हुसैन मेहंदी, मौलाना सलमान अली, मौलाना तकी जाफर खिताब कर रहे हैं. सभी खतीबों ने ईमाम हुसैन (रजि.) के बेटे जनाबे अली अकबर (रजि.) की शहादत के मार्मिक मंजर को बयान किया.
साथ ही पैगंबर-ए-इसलाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के नवासे हजरत इमाम हुसैन रजिअल्लाहो तआला अन्हो और उनके 72 साथियों के शहादत के वाक्यात को बयान किया. इसके बाद मजलिस ए अंजुमन शहीदाने फुरात,अंजुमन फाताहे फुरात, अंजुमन ए जाफरिया के नौजवानों ने जुलूसों में नौहाख्वानी के साथ मातम किया.
अजमेर में कई दूसरी जगहों पर भी मोहर्रामुल हराम के मौके पर ताजियादारी और अजादारी को लेकर मुस्लिम इलाकों में गमे हुसैन देखा जा रहा है हजरत इमाम हुसैन रजिअल्लाहो तआला अन्हो के वसीले से अल्लाह से मुराद हासिल करने वाले अपनी हैसियत के मुताबिक चढ़ावा पेश कर रहे हैं. खास बात यह है कि अजमेर दरगाह में एक चांदी का ताजिया भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.
ताजिया के खिदमतगार शोएब शब्बीर खान के मुताबिक, 40 किलो चांदी का ताजिया एक अकीदतमंद ने अपनी मुराद पूरी होने पर पेश किया था. जिसे आगरा के कारीगरों ने अजमेर में ही रह कर तामीर किया था, जो आज हजारो अकीदतमंदों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.
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