Biography of Prophet Muhammad (PBUH): आप (स.अ) पर कुरान की पहली आयता नाजिल होने से पहले उनके अंदर कई तरह के बदलाव आ रहे थे, फिर वह दिन आया जब पहली बार जिबरील (अलैहि) कुरान की पहली आयत लेकर मोहम्मद (स.अ) के पास आए.
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Biography of Prophet Muhammad (PBUH): इस्लाम में चार किताबें अलग-अलग पैगंबरों पर नाज़िल (अल्लाह ने भेजा) हुईं, जिनमें इस्लाम के मुताबिक सबसे आखिरी और सबसे पुख्ता किताब, कुरआन है. कुरआन पैगंबर मोहम्मद (स.अ) पर नाज़िल हुई थी, और इस किताब की हिफाजत करने का जिम्मा खुद अल्लाह ने लिया है. लेकिन, क्या आपको पता है कि जब कुरआन की पहली आयत पैगंबर मोहम्मद (स.अ) पर नाज़िल हुई तो उस वक्त और उससे पहले क्या-क्या हुआ? तो आइये जानते हैं.
कुरआन की आयत नाज़िल होने से कई दिनों पहले से ही पैगंबर मोहम्मद (स.अ) को सच्चे ख्वाब आ रहे थे. उनके सामने सारी सच्चाई आ रही थी, जो वह कई सालों से खोज रहे थे, जिसके लिए वह हमेशा से ध्यान लगाते आए थे और इबादत करते आए थे. इसके बाद एक दिन वह हुआ जो आप (स.अ) ने कभी सोचा भी नहीं था.
रमज़ान के कुछ दिन बीते थे, और आप एक दिन गारे हिरा (हिरा की पहाड़ी) में आराम कर रहे थे. सुबह का सुहाना मौसम था और उसी वक्त आपको एक फरिश्ता दिखाई दिया. बेहद हसीन और खूबसूरत फरिश्ता, जिसने अपने हाथ में रेशम का एक टुकड़ा लिया हुआ था. वह बोला, "पढ़ो"
आप (स.अ) घबराकर बोले, मुझे पढ़ना नहीं आता है. इसके बाद आपको ऐसा महसूस हुआ, जैसे उनके जिस्म को कोई भीच रहा हो. फिर छोड़ दिया और कहा,"पढ़ो". आपने फिर फरमाया कि मुझे पढ़ना नहीं आता है और फिर से उन्हें शरीर भीचने का एहसास हुआ और फरिश्ते ने कहा कि पढ़ो. इसके बाद मोहम्मद (स.अ) ने सोचा कि अगर मैं अब मना करता हूं, तो फिर ये शरीर को ज़ोर से भीचेगा, तो आपने कहा कि क्या पढूं?
बोला,"पढ़ो अपने रब के नाम से जिसने पैदा किया. पैदा किया इंसान को खून की फुटकी से, पढ़ो तु्म्हारा महरबान रब ही है, जिसने कलम से सिखाया. इंसान को वह सिखाया जो उसे मालूम नहीं था." (कुरान)
फरिश्ते के बताते ही आप (स.अ) ने उसे पढ़ा और उन्हें यह पूरा याद हो गया. इसके बाद फरिश्ता चला गया और मोहम्मद (स.अ) उठ खड़े हुए. आपके चेहरे पर घबराहट साफ तौर पर दिखाई दे रही थी. वह सहमी निगाहों से गुफा में चारों और देख रहे थे. उन्होंने मन में सोचा कि अभी मैंने किससे बात की थी और कौन मुझे पढ़ा कर गया.
आप गुफा से भाग निकले और पहाड़ में घाटियों से गुजरने लगे, आपका जिस्म थर-थर कांप रहा था. मन में सवाल आया कि पहले मुझे ख्वाब दिखाई दिए, वह सच्चे साबित हुए और कई सच्ची बातें खुलकर सामने आईं. लेकिन, अब ये कौन था, जो यहां खड़ा था, वह कौन था जो मुझे पढ़ने के लिए कह रहा था.
अचानक आपको आवाज़ सुनाई दी, "मोहम्मद".
आप चौंके और सिर उठाकर देखा तो वही फरिश्ता इंसान की शक्ल में खड़ा है. फरिश्ते ने कहा कि मुहम्मद तुम अल्लाह के रसूल हो और मैं जिबरील हूं." इसके बाद आप और घबरा गए. जहां देखते वहीं आपको वह फरिश्ता दिखता.
उधर खदीजा परेशान हो रही थीं, उन्होंने आपको देखने के लिए किसी को गुफा में भेजा लेकिन, आप वहां नहीं थे. फरिश्ता चला गया और आप भागते हुए खदीजा के पास आए और कहा कि मुझे चादर ओढा दो. तुरंत बीवी ने चादर ओढा दी. जब आप नॉर्मल हुए तो खदीजा ने पूछा कि आपको क्या हुआ है और आप कहां थे.
आप ने हिम्मत करके पूरा वाकिया बताया. मोहम्मद (स.अ) की बातें सुनकर खदीजा बिलकुल भी हैरान नहीं हुईं और उनके चेहरे पर इत्मीनान और यकीन की मुस्कुराहट थी और बोलीं, चाचा के लाड़ले खुश हो जाओ और जो कर रहे हो करते रहो. कसम खाती हुईं बोलीं, जो आपने देखा उसमें घबराने की कोई बात नहीं है, आप इस उम्मत के नबी नहीं होंगे तो और कौन होगा? खदीजा की बात सुनकर आपको बड़ी तसल्ली हुई.
बेचैनी दूर हुई और आपका चेहरा खुशी से चमक उठा. आपने इस तसल्ली देने के लिए खदीजा का शुक्रिया अदा किया और फिर सो गए. खदीजा इस बात से काफी खुश थीं, लेकिन आपकी उनको फिक्र भी हुई. फैसला किया कि क्यों न चचेरे भाई वरक़ा से इस बात का जिक्र किया जाए. वरका उस वक्त के बहुत बड़े आलिम थे. अलग-अलग मज़हबों को उन्होंने पढ़ा था.
खदीजा ने उन्हें पूरा वाकिया सुनाया तो उनकी हैरानी से आंखें फटी रह गईं. बोले अगर तुम्हारी बात सही है तो यह वही फरिश्ता है जो मूसा (अलैहि) के पास आता था. अल्लाह की कसम मोहम्मद इस उम्मत के नबी होंगे. उनसे कहो कि डरे नहीं, जो कर रहे हैं करते रहें. वरका से हुई बातचीत खदीजा ने आप (स.अ) को बताई. इसके बाद आपको और तसल्ली हो गई. अब आपको इंतेजार था कि कब दूसरी बार जिबरील (अलैहि.) दिखाई देंगे.