Gold Vs Silver Investment: साल दर साल चांदी और सोने की तुलना करें तो 1974 से 1980 के बीच चांदी की कीमतों में 1419 फीसदी का इजाफा हुआ था, जबकि सोने की कीमत 721 फीसदी ही बढ़ी थी.
Trending Photos
Silver Prices in India: अगर आप इस समय चांदी खरीदने का मन बना रहे हैं, तो बिलकुल सही कर रहे हैं. शुक्रवार को चांदी के भाव ने रिकॉर्ड तोड़ दिया. एक दिन में एक किलो चांदी की कीमत में 2500 रुपये तक बढ़ गई. इस तरह एक किलो चांदी की कीमत 1 लाख 13 हजार 600 रुपए हो गई. इससे पहले 18 जून को चांदी का भाव 1 लाख 12 हजार 300 रुपये हो गया था. लेकिन फिर इसकी कीमत में गिरावट आ गई थी. शुक्रवार को फिर इसकी कीमत में रिकॉर्ड बढ़त देखने को मिली.
सोने से बहुत तेज है चांदी की रफ्तार
बाजार के जानकारों का कहना है कि दुनिया में लगातार बढ़ते तनाव और ट्रंप की नई टैरिफ पॉलिसी को देखते हुए दुनिया भर में लोग एक बार फिर सुरक्षित निवेश के तौर पर सोना और चांदी को देख रहे हैं. सोने के दाम में भी 700 रुपये की तेजी आई है. और इस तरह 10 ग्राम सोने का भाव 1 लाख के पार पहुंच गया. लेकिन सोने के भाव की तुलना में चांदी की रफ्तार सोना से बहुत आगे है.
साल दर साल चांदी और सोने की तुलना करें तो 1974 से 1980 के बीच चांदी की कीमतों में 1419 फीसदी का इजाफा हुआ था, जबकि सोने की कीमत 721 फीसदी ही बढ़ी थी. 2001 से 2008 में भी चांदी का भाव 413 फीसदी बढ़ा था. इस दौर में सोना 292 फीसदी की दर से ही बढ़ पाया था. अब अगर हम साल 2007 से 2012 तक की बात करें तो इस काल में चांदी का दाम 441 फीसदी बढ़ा था.
2025 में चांदी ने दिया शानदार रिटर्न
यहां भी सोना 167 फीसदी की रफ्तार के साथ चांदी से पिछड़ गया था. और अब इस साल यानी 2025 में चांदी ने अब तक 22 से 30 फीसदी तक रिटर्न दिया है. यह सोने के 25 से 27 फीसदी रिटर्न से ज्यादा है. यानी चांदी सिर्फ आज ही नहीं, हमेशा से ही सोने से बेहतर रिटर्न देती रही है. चांदी की डिमांड कई वजहों से और कई जगहों से बढ़ रही है. उद्योगों में चांदी की मांग 56 से 81 फीसदी तक बढ़ रही है.
खास कर सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक वाहनों से जुड़े उद्योग और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों में चांदी का इस्तेमाल बहुत ज्यादा होता है. इन्वेस्टमेंट के खयाल से भी चांदी से रिटर्न मिलने की उम्मीद 25 से 30 फीसदी की दर से बढ़ी है. अगर गहनों और बर्तनों की पारंपारिक मांगों पर गौर करें तो चांदी की मांग 10-12 फीसदी की दर से बढ़ रही है.
उद्योगों में भी है चांदी की मांग
चांदी की खरीदारी में क्यों समझदारी है. भविष्य में भी चांदी की चमक कैसे कायम रहेगी, इसका विश्लेषण करें तो सबसे पहले उद्योगों में चांदी की मांग लगातार बढ़ रही है. साल 2030 तक इसमें 170 फीसदी की बढ़त की उम्मीद है. उद्योगों में चांदी की जरूरतों को इसी बात से समझा जा सकता है कि एक सौर सेल में 111 मिलीग्राम चांदी लगती है. उद्योगों के कच्चे माल की लागत में 7 से 10 फीसदी खर्च सिर्फ चांदी में ही होता है.
खास तौर से अगर हम इलेक्ट्रॉनिक वाहनों से जुड़े उद्योगों की बात करें तो हर EV में 25 से 50 ग्राम चांदी की जरूरत होती है. हाइब्रिड कारों में 18 से 34 ग्राम चांदी लगती है. अनुमान है कि 2035 तक हर दूसरी कार EV होगी.
चांदी के भाव बढ़ने की उम्मीद
लेकिन चांदी की जितनी डिमांड है, उतनी सप्लाई नहीं हो पा रही है. इस वजह से भी चांदी का भाव लगातार बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है. साल 2025 में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चांदी की डिमांड सवा बिलियन आउंस से ज्यादा है जबकि सप्लाई सिर्फ 1 बिलियन आउंस ही हो पा रही है. लगातार पांचवे साल डिमांड ज्यादा और सप्लाई कम हो रही है.
लेकिन चांदी की खरीदारी करते वक्त इससे जुड़े रिस्क फैक्टर्स को भी जान लें. जब कीमतों में उतार-चढ़ाव तेजी से होता है तो चांदी की कीमतें सोने के मुकाबले ज्यादा हिलती हैं. मंदी के वक्त इसकी मांग में एकाएक भारी गिरावट आती है. उद्योग क्षेत्रों में चांदी का विकल्प ढूंढने की कोशिशें तेज हैं. अगर विकल्प मिल गया तो चांदी की मांग अचानक गिर जाएगी. इसलिए हमारी सलाह है कि चांदी में निवेश करने से पहले इन जोखिमों का भी खयाल कर लें और सोच-समझ कर अपने पैसे लगाएं.