1 घंटा 52 मिनट की वो फिल्म, जिसको लेकर मचा तगड़ा बवाल, बैन करने की उठ रही मांग, क्यों भड़के हिंदू संगठन?
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1 घंटा 52 मिनट की वो फिल्म, जिसको लेकर मचा तगड़ा बवाल, बैन करने की उठ रही मांग, क्यों भड़के हिंदू संगठन?

Movie Controversy: हाल ही में कन्हैयाकुमार हत्याकांड पर बन रही फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' को लेकर खूब बवाल मचा, जिसपर अब विराम लग चुका है, लेकिन इसी बीच एक और फिल्म को लेकर महाराष्ट्र में तगड़ा कैलश हो गया है, जिसके खिलाफ हिंदू संगठन ने बैन की मांग की है.

1 घंटा 52 मिनट की वो फिल्म, जिसको लेकर मचा तगड़ा बवाल
1 घंटा 52 मिनट की वो फिल्म, जिसको लेकर मचा तगड़ा बवाल

Khalid Ka Shivaji Controversy: हाल ही में कन्हैयाकुमार हत्याकांड पर बन रही फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' को लेकर खूब बवाल मचा, जिसपर अब विराम लग चुका है और सरकार की तरफ से उनको स्क्रीनिंग की परमिशन भी मिल चुकी है, लेकिन इसी बीच एक हालिया रिलीज फिल्म को लेकर तगड़ा विवाद खड़ा हो गया है. ये एक मराठी फिल्म है, जिसका नाम 'खालिद का शिवाजी' है, जो विवादों में आ गई है. 

राइट विंग समूह सकल हिंदू समाज ने इस फिल्म पर झूठा इतिहास फैलाने और हिंदुओं को आपस में बांटने का आरोप लगाया है. संगठन ने कहा कि फिल्म में इतिहास को गलत तरीके से दिखाया गया है. इसके बाद मुंबई पुलिस को मामले में दखल देना पड़ा और उन्होंने शांति बिगाड़ने के आरोप में एक औपचारिक नोटिस जारी किया. इस फिल्म का निर्देशन राज मोरे ने किया है और इसकी कहानी एक मुस्लिम लड़के पर आधारित है.

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फिल्म को लेकर क्यों हो रहा विवाद? 

वो लड़का छत्रपति शिवाजी महाराज से इंस्पायर होकर अपने जीवन में बदलाव लाता है. फिल्म एक नया नजरिया पेश करती है, जिससे कुछ लोगों को आपत्ति हुई है. इसमें शिवाजी महाराज को एक सेक्युलर नेता के तौर पर दिखाया गया है, जिससे कई हिंदू संगठनों को आपत्ति है और उन्होंने सेंसर बोर्ड को विरोध पत्र भेजा है. पुणे स्थित हिंदू महासंघ के अध्यक्ष आनंद दवे ने इस फिल्म पर नाराजगी जताते हुए कहा कि ये फिल्म शिवाजी महाराज की असली पहचान के खिलाफ है. 

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कई हिंदू संगठनों ने जताई आपत्ति

उन्होंने पुणे के सभी थिएटर मालिकों से अपील की है कि वे फिल्म को न दिखाएं. साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि अगर फिल्म ग्रामीण इलाकों में दिखाई गई तो वे वहां जाकर लोगों को शिवाजी महाराज के सही इतिहास के बारे में बताएंगे और विरोध प्रदर्शन करेंगे. हिंदू महासंघ का कहना है कि फिल्म का नाम और उसकी कहानी छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत का अपमान है. संगठन का मानना है कि इस फिल्म से इतिहास के तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है. 

मेकर्स ने भी दी अपनी सफाई 

दूसरी ओर, फिल्म के मेकर्स इसे एक नया नजरिया बताकर समाज में पॉजिटिव सोच लाने की बात कर रहे हैं. लेकिन विवाद के चलते ये मामला अब महाराष्ट्र की राजनीति और संस्कृति से जुड़ी बहस का हिस्सा बन गया है. मुंबई के भांडुप इलाके की पुलिस ने एक वॉट्सऐप ग्रुप एडमिन को नोटिस भेजा है, जिसने सोशल मीडिया पर इस फिल्म के खिलाफ विरोध फैलाया था. पुलिस का कहना है कि इस तरह के संदेशों से शहर में शांति भंग हो सकती है. 

विरोध के बावजूद फिल्म को मिल रहा प्यार 

उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर भविष्य में ऐसे संदेश फैलाए गए तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी. हालांकि, सकल हिंदू समाज ने इस नोटिस को अपने संवैधानिक अधिकारों पर हमला बताया है. फिल्म 'खालिद का शिवाजी' एक ऐसे लड़के की कहानी है, जो अपनी धार्मिक पहचान की वजह से अकेलापन महसूस करता है. बाद में वो शिवाजी महाराज से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में नया मकसद ढूंढता है. फिल्म को आलोचनाओं के बावजूद दर्शकों-क्रिटिक्स के अच्छे रिव्यू मिल रहे हैं.

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वंदना सैनी

जी न्यूज में सब ए़डिटर. 11 साल से डिजिटल मीडिया में सक्रिय. एंटरटेनमेंट की खबरें लिखती हैं. दिल्ली से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद IGNOU से हिंदी में मास्टर्स किया. रचनात्मक कहानियां ...और पढ़ें

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