Movie Review: आज सिनेमाघरों में कई फिल्मों ने एक साथ दस्तक दी, जिनमें से एक सुनील शेट्टी, सूरज पंचोली और विवेक ओबेरॉय की ऐतिहासिक एक्शन फिल्म 'केसरी वीर' भी शामिल है. अगर आप आज या वीकेंड पर इस फिल्म को देखना का प्लान बना रहे हैं तो टिकट बुक करने से पहले फिल्म का रिव्यू जरूर पढ़ लें.
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फिल्म: केसरी वीर
डायरेक्शन: प्रिंस धीमान
स्टार कास्ट: सुनील शेट्टी, सूरज पंचोली, आकांक्षा शर्मा और विवेक ओबेरॉय
स्टार रेटिंग: 3
Khesari Veer Movie Review: भारत की धरती पर जन्मे योद्धाओं की कहानियां आज भी लोगों के बीच प्रचलित हैं. फिल्म ‘केसरी वीर’ एक ऐसी ही सच्ची और वीरता से भरी कहानी को बड़े पर्दे पर उतारी गई है. ये कहानी है गुजरात के बहादुर योद्धा और भगवान शिव के भक्त हमीरजी गोहिल की, जिन्होंने सोमनाथ मंदिर की रक्षा के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी थी. फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे उन्होंने तुगलक साम्राज्य जैसी बड़ी ताकत से लोहा लिया और अपने धर्म और आस्था की खातिर आखिरी सांस तक लड़ते रहे.
फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी 14वीं शताब्दी की है, जब दिल्ली का तुगलक शासक सोमनाथ मंदिर को लूटने की साजिश करता है. इसी दौरान हमीरजी गोहिल (सूरज पंचोली) ये शपथ लेते हैं कि वो मंदिर की रक्षा करेंगे. इस धर्मयुद्ध में उनके साथ खड़ा होता है उनका सच्चा दोस्त वेगड़ा (सुनील शेट्टी). दोनों मिलकर युद्ध की रणनीति बनाते हैं और तुगलक सेना का डटकर सामना करते हैं. फिल्म में हर मोड़ पर देशभक्ति, बलिदान और साहस की भावना साफ दिखाई देती है.
फिल्म में मुख्य खलनायक है जफर (विवेक ऑबेरॉय), जो एक क्रूर और सत्ता का भूखा इंसान है. वो चाहता है कि सोमनाथ मंदिर पर कब्जा कर ले और वहां की सारी संपत्ति लूट ले. जफर चाहता है कि पूरे देश पर उसकी सत्ता हो और हर जगह उसके धर्म का झंडा फहराया जाए. वो जबरन धर्म परिवर्तन करवाता है और भगवा झंडे हटवाकर अपना झंडा लगवाता है. मगर हमीर उसके हर इरादे को नाकाम करता है. दोनों के बीच की टक्कर और जबरदस्त एक्शन फिल्म को खास बनाते हैं.
फिल्म की जबरदस्त स्टार कास्ट
इस फिल्म से सूरज पंचोली 4 साल बाज जबरदस्त वापसी कर रहे हैं और उन्होंने अपने किरदार को ईमानदारी से निभाया है, जिसमें गुस्सा, दर्द और साहस तीनों का बेहतरीन मेल देखने को मिलता है. सुनील शेट्टी, जो वेगड़ा के किरदार में हैं, अपने शांत लेकिन मजबूत व्यक्तित्व को दिखाते हैं. आकांक्षा शर्मा, जो वेगड़ा की बेटी राजल बनी हैं, ने भी अपने किरदार में खूब जान डाली. वहीं विवेक ऑबेरॉय की खलनायक के तौर पर मौजूदगी फिल्म को और ज्यादा धमाकेदार बनाती है.
फिल्म का डायरेक्शन
निर्देशक प्रिंस धीमान ने इस फिल्म को बहुत संजीदगी और ईमानदारी से बनाया है. उन्होंने इतिहास को इतनी बखूबी दिखाने की कोशिश की है कि कुछ सीन आपके रोंगटे भी खड़े कर देंगे. हर एक सीन में भव्यता और भावनाओं का बैलेंस देखने को मिलता है. चाहे युद्ध का मैदान हो या मंदिर का आंगन, हर जगह की लोकेशन और सीन दिल को छू जाते हैं. फिल्म में ऐतिहासिक डिटेलिंग पर भी खास ध्यान दिया गया है जो दर्शकों को उस समय से आखित कर जोड़े रखता है. ऐसे में आपका इसे एक बार तो देखना बनता है.