Explained: आकाश आनंद तो सिर्फ बहाना हैं, 'बहनजी' की एक गुगली से पार्टी तोड़ने वाले पस्त!
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Explained: आकाश आनंद तो सिर्फ बहाना हैं, 'बहनजी' की एक गुगली से पार्टी तोड़ने वाले पस्त!

Akash Anand BSP: आकाश आनंद की वापसी की पटकथा उन्हें हटाए जाने के दिन से ही लिखी जा रही थी. मायावती की राजनीति पर नजर रखने वाले एक्सपर्ट्स तुरंत समझ गए कि यह पार्टी राजनीति को बचाने की रणनीति थी. लेकिन आखिर कैसे?

Explained: आकाश आनंद तो सिर्फ बहाना हैं, 'बहनजी' की एक गुगली से पार्टी तोड़ने वाले पस्त!

Mayawati Akash Anand: एक जमाने में उत्तर प्रदेश.. यहां तक कि की राजनीति में बहुजन समाज पार्टी और दलित वोटर्स का एक अटूट रिश्ता रहा. मायावती को बहुत मजबूत नेता माना जाता था. लेकिन समय ने ऐसी पलटी खाई कि उनकी खुद की पार्टी में लंबे समय से उठापटक जारी है. हलांकि बार-बार बहन जी ने चौंकाने वाले फैसले लिए. इस बार भी वही हुआ. बसपा में बीते कुछ हफ्तों से जो उठा पटक चल रही थी उसकी असली पटकथा अब सामने आ गई. पार्टी से निष्कासित किए गए मायावती के भतीजे आकाश आनंद की ड्रामैटिक वापसी सिर्फ एक सामान्य राजनीतिक फैसला नहीं था बल्कि इसके मायावती ने पार्टी में अपने विरोधियों को पस्त करने की चाल भी चल दी. ये और कोई नहीं उनके रिश्तेदार ही हैं.

असली पटकथा अब सामने आ गई

असल में मायावती की राजनीति पर नजर रखने वाले एक्सपर्ट्स तुरंत समझ गए कि यह पार्टी राजनीति को बचाने की रणनीति थी. मायावती के इस मास्टरस्ट्रोक ने सिर्फ आकाश को दोबारा पार्टी में जगह नहीं दिलाई बल्कि उन लोगों की रणनीति भी ध्वस्त कर दी जो भीतर ही पार्टी को तोड़ने में लगे थे जिनमें खुद आकाश आनंद के ससुराल पक्ष के लोग भी शामिल थे.

साजिशकर्ताओं को साफ संदेश दे दिया

बमुश्किल 41 दिन बाद आकाश आनंद ने एक के बाद एक चार पोस्ट करके सार्वजनिक रूप से अपनी बुआ मायावती से माफी मांगी. उन्होंने स्वीकार किया कि उनसे गलती हुई है और आगे वे न तो रिश्तेदारों की सुनेंगे न निजी संबंधों को पार्टी हित से ऊपर रखेंगे. इसके ढाई घंटे के भीतर मायावती का भी जवाब आ गया माफी मंजूर है. लेकिन उत्तराधिकारी कोई नहीं होगा. मायावती ने यह भी क्लियर किया कि आकाश के ससुर अशोक सिद्धार्थ की पार्टी में वापसी नहीं होगी क्योंकि उनकी गतिविधियां अक्षम्य हैं. यही वो संकेत था जिसने उन अंदरूनी साजिशकर्ताओं को साफ संदेश दे दिया कि बसपा सुप्रीमो का नेतृत्व अब भी मजबूत है.

पार्टी की रणनीतिक जरूरत

इतना ही नहीं आकाश आनंद की वापसी की पटकथा उन्हें हटाए जाने के दिन से ही लिखी जा रही थी. मायावती को पता है कि सपा और चंद्रशेखर जैसे नेतृत्व वाली ताकतें कैडर में सेंध लगा चुकी हैं और बीजेपी भी आंबेडकर के नाम पर सक्रिय है. ऐसे में मायावती के सामने आकाश आनंद को दोबारा लाना पार्टी की रणनीतिक जरूरत बन गई थी. खासकर तब जब मायावती खुद हर मोर्चे पर अकेली खड़ी हैं संगठन, प्रचार, और पार्टी के नैरेटिव को संभालने में.

बसपा को नई ऊर्जा दे पाएंगे?

अब सवाल ये कि क्या आकाश आनंद बसपा को नई ऊर्जा दे पाएंगे? एक्सपर्ट्स का मानना है कि दलित युवाओ विशेषकर जाटव बिरादरी में आकाश की मजबूत पकड़ है जो चंद्रशेखर की चुनौती का जवाब बन सकती है. मायावती ने आकाश को 2019 में नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया था और 2023 में उन्हें उत्तराधिकारी भी घोषित किया था. फिलहाल मायावती के इस फैसले से पार्टी कैडर में जोश लौटता दिख रहा है और यह भी साफ हो गया है कि आकाश आनंद पार्टी की जरूरत भी हैं और भविष्य भी हो सकते हैं.

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