What is India-US trade Deal: डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका की सत्ता संभालने के साथ ही दुनियाभर पर टैरिफ का बम फोड़ा था. भारत भी इस धमाके से खुद को बचा नहीं सका. अमेरिका ने भारत पर 26 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया, हालांकि बाद में 90 दिनों की मोहलत भी दी. अब वो मोहलत 9 जुलाई को खत्म होने वाली है.
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India US Trade Deal: डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका की सत्ता संभालने के साथ ही दुनियाभर पर टैरिफ का बम फोड़ा था. भारत भी इस धमाके से खुद को बचा नहीं सका. अमेरिका ने भारत पर 26 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया, हालांकि बाद में 90 दिनों की मोहलत भी दी. अब वो मोहलत 9 जुलाई को खत्म होने वाली है. टैरिफ को लेकर भारत और अमेरिका के बीच डील होने वाली है. ट्रेड डील को लेकर बैठकों का दौर चल रहा है. रविवार को खबर आई कि 9 जुलाई से पहले ये डील हो जाएगी. हालांकि ये पहला मौका नहीं है, जब भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील को लेकर कुछ कहा गया हो. इससे पहले ट्रंप 7 बार इस डील को लेकर बोल चुके हैं.
ट्रेड डील में क्यों हो रही है देरी ?
कभी वो कहते हैं भारत के साथ बड़ी डील होने वाली है और फिर पलट जाते हैं तो कभी वो चीन के साथ डील होने की बात करते हैं. कभी वो भारत को टैक्स वसूलने वाला देश बता देते हैं तो कभी कहते है कि प्रधानमंत्री मोदी अच्छे मित्र है. कुल मिलाकर भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील का पेंच फंसा है.भारत को 9 जुलाई से पहले चीन की तरह ही इस डील को खत्म करना है, ताकि दोनों देशों के बीच का कारोबारी संबंध, अर्थव्यवस्था और भारतीय शेयर बाजार ठीक से चलता रहे. अब समझना ये है कि आखिर ये डील है क्या और भारत के लिए ये डील इतना जरूरी क्यों है? तीन महीने बीतने के बाद भी ये डील पूरी क्यों नहीं हो पाई हैं?
क्या है भारत अमेरिका की ट्रेड डील
ट्रेड डील के जरिए भारत और अमेरिका ये तय कर लेंगे कि भारत का सामान अमेरिका में बेचने पर उसे कितना टैक्स देना होगा. वहीं अमेरिकी प्रोडक्ट्स भारत में बेचेने के लिए कितना टैक्स लगेगा. ट्रंप की ओर से बार-बार ये शिकायत होती है कि भारत उनपर ज्यादा टैक्स लगाता है, जबकि वो भारतीय सामानों पर कम टैक्स लगाते हैं. इस वजह से अमेरिका को व्यापार घाटा हो रहा है, वहां नौकरियाँ कम हो रही हैं, उनकी अर्थव्यवस्था पर असर पड़ रहा है. इसी वजह से उन्होंने आते ही सबसे पहले टैरिफ लगाना शुरू किया. 9 अप्रैल को अमेरिका ने भारत पर 26 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान किया. 90 दिनों का ग्रेस पीरियड दिया है, जो 9 जुलाई को खत्म होने वाली है.
9 जुलाई से पहले बन जाएगी बात, कहां फंसा है पेंच?
टैरिफ वार के बाद से भारत और अमेरिका सरकार के प्रतिनिधि लगातार ट्रेड डील पर बातचीत कर रहे हैं. बैठकों का दौर चल रहा है, लेकिन कुछ मुद्दों पर ये डील अटकी हुई है. अमेरिका एग्रीकल्चर और डेयरी प्रोडक्ट पर कम टैक्स चाहता है. अमेरिका चाहता है कि दूध, डेयरी उत्पाद, पिस्ता, बादाम, सोया, मक्का और गेहूं पर भारत टैक्स कम करें, लेकिन भारत उसकी इन शर्तों को मानने को तैयार नहीं है, क्योंकि इन शर्तों का सीधा असर भारत के किसानों, पशुपालकों पर होगा. अगर टैक्स कम किया गया तो सस्ते अमेरिकी सामान भारत के कृषि और पशुपालन उद्योग को नष्ट कर देंगे. भारत अपने किसानों और पशुपालकों के उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका की इन शर्तों को नहीं मान सकता है. सिर्फ इतना ही नहीं अमेरिका अपनी कंपनियों जैसे अमेजन, वॉल मार्ट जैसे ईकॉमर्स के लिए डायरेक्ट सेल चाहता है. वो चाहता है कि ये कंपनियां भारत में सीधे माल बेच सके, लेकिन इस शर्त को मानना भी भारत के लिए मुश्किल है, क्योंकि इससे सीधे-सीधे छोटे दुकानदारों पर असर होगा. भारत का MSME सेक्टर प्रभावित होगा.
क्यों जरूरी है ये ट्रेड डील
भारत और अमेरिका के बीच अगर 9 जुलाई से पहले ये ट्रेड डील नहीं हुई तो शेयर बाज़ार में फिर से उथल-पुथल मच सकती है. ट्रेड डील नहीं होने पर व्यापार की मुश्किलें बढ़ेगी. इस डील के जरिए दोनों देश द्विपक्षीय व्यापार को मजबूत करना चाहते हैं. ट्रेड डील का मकसद मौजूदा 191 अरब डॉलर के ट्रेड को बढ़ाकर साल 2030 तक 500 अरब डॉलर तक पहुंचाना है. इस डील के जरिए अमेरिका और भारत दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं, कारोबारियों और लोगों का फायदा होगा.