Bhagalpur News: धरहरा गांव की अनोखी परंपरा, बेटी के जन्म पर लगाए जाते हैं पेड़, सीएम नीतीश ने भी की थी तारीफ
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Bhagalpur News: धरहरा गांव की अनोखी परंपरा, बेटी के जन्म पर लगाए जाते हैं पेड़, सीएम नीतीश ने भी की थी तारीफ

भागलपुर के धरहरा गांव की अनोखी परंपरा में हर बेटी के जन्म पर 10 पेड़ लगाए जाते हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस परंपरा से प्रभावित होकर 2010 से 2012 तक लगातार तीन वर्षों तक यहां आए और पेड़ लगाए. अब 13 साल बाद गांववाले फिर से मुख्यमंत्री को आमंत्रित कर रहे हैं ताकि वह यहां की हरियाली और अपनी लगाई पेड़ों की स्थिति देख सकें.

धरहरा जहां बेटी के जन्म पर खिलते हैं पेड़
धरहरा जहां बेटी के जन्म पर खिलते हैं पेड़

विश्व पर्यावरण दिवस की बात हो और भागलपुर के धरहरा गांव का जिक्र न हो ऐसा हो ही नहीं सकता. यह गांव देशभर में अपनी अनोखी परंपरा के लिए जाना जाता है. यहां हर बेटी के जन्म पर परिवार द्वारा 10 फलदार पेड़ लगाए जाते हैं. जब देश के अन्य हिस्सों में बेटियों को जन्म से पहले या बाद में मार देने की खबरें आती थीं, तब धरहरा ने समाज को सख्त संदेश दिया कि बेटियां बोझ नहीं, वरदान हैं.

धरहरा गांव नवगछिया अनुमंडल क्षेत्र में स्थित है और हर कोने में हरियाली दिखाई देती है. यहां की आबोहवा, छांव और फलदार पेड़ किसी हरे-भरे जंगल की तरह प्रतीत होते हैं. गांववाले बताते हैं कि ये परंपरा पिछले कई वर्षों से चली आ रही है और पर्यावरण के साथ-साथ सामाजिक सोच में बदलाव भी ला रही है. लोग मानते हैं कि जिस तरह पर्यावरण के लिए पेड़ जरूरी हैं, वैसे ही समाज के लिए बेटियों का होना भी जरूरी है.

धरहरा की इस परंपरा से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इतने प्रभावित हुए कि वे लगातार तीन वर्षों तक इस गांव में आए. 2010 में उन्होंने लवी कुमारी के नाम पर आम का पेड़ लगाया था, जो अब फल दे रहा है. 2011 में उन्होंने लत्तीपाकर गांव में रिमू राज के नाम पर पेड़ लगाया था. लेकिन उसके बाद से मुख्यमंत्री का इस गांव से संपर्क टूट गया. गांववाले और वे बच्चियां, जिनके नाम पर पेड़ लगे थे, अब एक बार फिर सीएम को आमंत्रित करना चाहती हैं.

लवी कुमारी और रिमू राज अब बड़ी हो गई हैं. वे बताती हैं कि पेड़ अब फलदार हो चुके हैं और पर्यावरण के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण हैं. लेकिन उनका ये भी कहना है कि जब मुख्यमंत्री आते थे तो गांव में विकास होता था, अब वह रुका हुआ है. उनका मानना है कि यदि मुख्यमंत्री एक बार फिर आएं तो न केवल उन्हें यहां की हरियाली आकर्षित करेगी, बल्कि क्षेत्र के विकास की गति भी तेज होगी.

धरहरा गांव ने यह साबित कर दिया कि बेटियों का स्वागत कैसे किया जाना चाहिए. उनकी परंपरा सिर्फ पर्यावरण को ही नहीं बचा रही, बल्कि समाज को भी एक नई दिशा दे रही है. गांववाले चाहते हैं कि देशभर के लोग इस परंपरा को अपनाएं ताकि हर बेटी के जन्म पर एक हरियाली की शुरुआत हो.

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