Gaya News: जेईई की मुख्य परीक्षा के परिणाम 19 अप्रैल को घोषित हुए थे. इस परीक्षा में गया के पटवा टोली गांव के 40 से ज्यादा अभ्यर्थी पास हुए हैं. पास होने वाले छात्रों ने 90 फीसदी से ज्यादा अंक हासिल किए हैं.
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Gaya News: बिहार को ज्ञान की धरती कहा जाता है. देश के सबसे ज्यादा आईएएस और आईपीएस अधिकारी बिहार ही देता है. अब बिहार इंजीनियर की खदान भी बन चुका है. बिहार के गया जिले के एक गांव ने तो कमाल कर दिया है. इस गांव से 40 से अधिक इंजीनियरिंग अभ्यर्थियों ने इस साल की संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) मुख्य में सफलता हासिल की है. इस गांव का नाम है पटवा टोली गांव. इस गांव के छात्रों ने एक बार फिर अच्छा प्रदर्शन किया है. जेईई मेन्स-2 परीक्षा के ताजा नतीजों (JEE Mains-2 Results) में इस गांव के 40 छात्रों ने सफलता पाई है. जानकारी के मुताबिक, इस गांव में अधिकतर बुनकर समाज के लोग रहते हैं, जो अपने घरों में पावरलूम से कपड़े बुनने का काम करते हैं. यह बताता है कि संसाधनों की कमी सपनों की उड़ान को नहीं रोक सकती. मेहनत, लगन और शिक्षा के सहारे कोई भी शख्स बुलंदी छू सकता है.
बता दें कि जेईई की मुख्य परीक्षा के परिणाम 19 अप्रैल को घोषित हुए थे. वृक्ष फाउंडेशन के अध्यक्ष दुगेश्वर प्रसाद ने मीडिया को बताया कि आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद, शिक्षा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता ने एक प्रेरणादायक विरासत बनाई है. ग्रामीणों के बच्चे शिक्षा के माध्यम से नयी ऊंचाइयों को छू रहे हैं. वृक्ष फाउंडेशन एक गैर सरकारी संगठन है जो छात्रों को इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करने में मदद करता है. प्रसाद ने कहा कि हमारे वित्तीय और बुनियादी ढांचे के सहयोग से, अकेले पटवा टोली के 40 से अधिक छात्रों ने इस साल की जेईई मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण की है. ये सभी छात्र अब अगले महीने होने वाली जेईई एडवांस परीक्षा में शामिल होंगे.
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अच्छे अंक लाने वाले गांव के छात्रों में शरण्या ने 99.64 प्रतिशत अंक और आलोक ने 97.7 प्रतिशत अंक प्राप्त किए. इसके अलावा शौर्य (97.53 प्रतिशत), यशराज (97.38 प्रतिशत), शुभम (96.7 प्रतिशत), प्रतीक (96.55 प्रतिशत) और केतन (96 प्रतिशत) ने भी अच्छे अंक प्राप्त किए. सागर कुमार ने भी इस परीक्षा में 94.8 अंक प्राप्त किए. सागर के पिता का निधन तब हो गया था, जब वे बहुत छोटे थे. इसके बाद उनकी मां ने पटवा टोली में रहकर सूत काटने का काम शुरू किया और सागर को पढ़ाया. मां की मेहनत रंग लाई और सागर ने जेईई मेन्स में सफलता पाई.
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