शहीद खुदीराम बोस की 118 वीं शहादत दिवस,सुबह के 3 बजे जेल में फांसी स्थल पहुंचे सभी अधिकारी,अमर शहीद के गांव से भी आए लोग,रंग बिरंगी रोशनी से सजा जेल परिसर.
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आज अमर शहीद खुदीराम बोस की 118 वीं शहादत दिवस पर मुजफ्परपुर सेन्ट्रल जेल का महौल देशभक्ति से सराबोर हो उठा था. आज ही के दिन मुजफ्फरपुर के सेन्ट्रल जेल में सुबह के 3 बजे 18 वर्षीय खुदीराम बोस को फांसी दी गई थी,जिनके नाम पर जेल का नाम अमर शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा पड़ा. हर साल की भांति इस साल भी अमर शहीद खुदीराम बोस के शहादत दिवस पर जिले के सभी वरीय अधिकारी सुबह 3 बजे कारावास स्थित शहीद खुदीराम बोस के फांसी स्थल पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि दी. इस दौरान शहीद के पैतृक गांव पश्चिम बंगाल के मेदीनापुर से उनके ग्रामीण भी पहुंचे और अमर शहीद खुदीराम बोस को नम आंखों से याद किया.
मुजफ्फरपुर सेन्ट्रल जेल रंगीन बल्बों से सजा था, हुमाद की भीनी खुशबू चारो तरफ फैली थी और बैकग्राउंड में धीमी आवाज में वही गीत बज रहा था ‘एक बार विदाई दे मां घूरे आसी, हांसी हांसी परबो फांसी, देखबे जोगोत वासी’, जिसे गाते हुए खुदीराम ने फांसी का फंदा चूमा था.
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अमर शहीद के 118 वी्ं शहादत दिवस पर तिरहुत प्रमंडल के कमिश्नर, DIG, मुजफ्फरपुर के डीएम, एसएसपी सहित सभी वरीय अधिकारी और पुलिस अधिकारी मौजूद थे और अमर शहीद की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया.
डीएम सुब्रत सेन ने कहा खुदीराम बोस की बलिदान ने हमे देश के लिए कुछ करने का जज्बा दिखाया और आज वैसे शहीद के कारण ही देश में हम सुरक्षित है. उनके इस कम उम्र में शहादत देने से युवा पीढ़ी को सीख लेनी चाहिए कि देश के लिए जरूरत पड़े तो आगे आ सके.
इनपुट - मणितोष कुमार
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