Nalanda News: नेपुरा के बुनकर सदियों से हैंडलूम बुनाई की परंपरा को जीवित रखे हुए हैं. पीएम मोदी भी अपनी मन की बात कार्यक्रम के 124वें एपिसोड में नेपुरा गांव के बुनकरों का जिक्र कर चुके हैं. प्रधानमंत्री ने यहां के युवा बुनकर नवीन कुमार की मेहनत और उनके इनोवेशन की सराहना की थी.
नेपुरा गांव को लोग 'बुनकरों का गांव' और 'सिल्क सिटी' के नाम से भी जानते हैं. सिल्क नगरी के रूप में न केवल बिहार बल्कि पूरे देश में मशहूर है. इस गांव में करीब 100 परिवार बुनकरी के पेशे से जुड़े हैं. ये लोग महात्मा गांधी के खादी ग्रामोद्योग की परंपरा को आज भी जीवंत बनाए हुए हैं.
यहां के बुनकरों के हाथ से बने सिल्क वस्त्र न सिर्फ भारत बल्कि विदेशों तक जाते हैं. विधायक कौशल किशोर ने सरकार से अनुशंसा की है कि नेपुरा गांव को आधिकारिक रूप से "सिल्क सिटी" का दर्जा दिया जाए और इसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाए.
जेडीयू विधायक ने कहा कि यहां की बुनाई कला और सामाजिक एकता अद्वितीय है. गांव में 18 जातियों के लोग रहते हैं, लेकिन सभी में आपसी समरसता है, जो विकास के लिए सबसे बड़ी ताकत है.
ग्रामीणों का कहना है कि यदि नेपुरा गांव को पर्यटन मानचित्र पर स्थान मिले, तो यहां भी देश-विदेश के पर्यटक राजगीर, नालंदा और पावापुरी की तरह आएंगे. पर्यटक न केवल यहां के सिल्क उत्पाद देखेंगे बल्कि खरीदेंगे भी, जिससे बुनकरों की आय बढ़ेगी और जीवन स्तर सुधरेगा.
बता दें कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने "मन की बात" कार्यक्रम में इसी गांव के एक बुनकर का नाम लेकर उनके कार्यों की सराहना की थी. पीएम ने कहा था कि नवीन (नेमरा का बुनकर) से प्रभावित होकर बच्चे हैंडलूम टेक्नोलॉजी की पढ़ाई कर बड़े ब्रांड्स में काम कर रहे हैं.
बुनकर कोटे के चलते स्थानीय युवाओं को NIFT जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में पढ़ाई का मौका मिल रहा है, जिससे इस परंपरागत कला को नया भविष्य मिल सकता है. हालांकि, इस पेशे में बाजार तक पहुंच और समय पर भुगतान सबसे बड़ी समस्या है.
बुनकरों का कहना है कि हमारा कपड़ा बड़ी मेहनत के बाद दिल्ली और पटना के बड़े-बड़े मॉल्स में पहुंचता है. वहां भी शर्त यह रहती है कि जब कपड़ा बिकेगा तभी भुगतान होगा. ऐसे में अगले ऑर्डर के लिए धागा खरीदना और घर का खर्च चलाना बेहद मुश्किल हो जाता है.
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