बिहार की राजधानी पटना में एक ऐसा गांव है, जो फौजियों का गांव कहा जाता है. जी हां, हम बात कर रहे हैं मनेर प्रखंड के रतन टोला गांव की- इस गांव के अधिकांश घर के सदस्य बॉर्डर पर तैनात हैं.
राजधानी पटना में एक ऐसा गांव है, जो फौजियों का गांव कहा जाता है. जी हां, हम बात कर रहे हैं मनेर प्रखंड के रतन टोला गांव की, जिसे फौजियों का गांव कहा जाता है. इस गांव के अधिकांश घर के सदस्य बॉर्डर पर तैनात हैं. वहीं, गंगा नदी में जलस्तर बढ़ने के कारण बाढ़ का पानी अब गांव में घुस गया है. जिससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
बाढ़ का पानी गांव के चारों तरफ भर गया है, जिससे शहर मुख्यालय से संपर्क टूट चुका है. सबसे ज्यादा परेशानी जानवरों को है, जिनका चारा बाढ़ के पानी में डूब गया है. फसल भी बाढ़ के पानी में डूब गई है. सरकार की तरफ से अभी तक इस गांव के लोगों के लिए ना तो नाव की व्यवस्था की गई है, ना ही किसी तरह की सुविधा उपलब्ध कराई गई है.
स्थानीय लोग किसी तरह से जुगाड़ से नाव बनाकर अपने रोजमर्रा के सामान के लिए शहर जा रहे हैं. साथ ही अपने पशुओं के चारे के लिए नाव से ही चारा लाने जा रहे हैं. ये लोग बाढ़ से इतने परेशान हैं कि इन्हें पूछने वाला कोई नहीं है.
वहीं, बाढ़ पीड़ित बताते हैं कि ये फौजियों का गांव है. बाढ़ के पानी से सारा फसल डूब चुका है, कोई देखने वाला तक नहीं है. हमलोग पशु के चारा के लिए जुगाड़ वाली नाव बनाकर चारा ला रहे हैं.
उन्होंने कहा कि अभी तक ना तो गांव में स्थानीय विधायक पहुंचे और ना ही सांसद. हम लोगों को सरकार की तरफ से भी कोई व्यवस्था नहीं की गई है. सरकार से आग्रह है कि जल्द से जल्द कोई व्यवस्था की जाए.
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