बीजेपी और अन्‍नाडीएमके के हाथ मिलाने से तमिलनाडु की सियासत पर क्‍या पड़ेगा असर?
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बीजेपी और अन्‍नाडीएमके के हाथ मिलाने से तमिलनाडु की सियासत पर क्‍या पड़ेगा असर?

BJP and AIADMK Alliance: 2026 में होने जा रहे तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी और अन्‍नाडीएमके ने फिर से एक साथ आने का फैसला किया है. 

बीजेपी और अन्‍नाडीएमके के हाथ मिलाने से तमिलनाडु की सियासत पर क्‍या पड़ेगा असर?

2026 में होने जा रहे तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी और अन्‍नाडीएमके ने फिर से एक साथ आने का फैसला किया है. दो साल पहले ये गठबंधन टूट गया था. सवाल उठता है कि इसका असर आने वाले विधानसभा चुनावों पर क्‍या पड़ेगा? अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो 2021 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी और अन्‍नाडीएमके को 40 प्रतिशत वोट मिले थे. वहीं स्‍टालिन के नेतृत्‍व वाले सत्‍तारूढ़ डीएमके एवं कांग्रेस के गठबंधन को 45 प्रतिशत वोट मिले थे. 

उसके बाद जब अन्‍नामलाई को बीजेपी ने प्रदेश अध्‍यक्ष बनाया तो अन्‍नाडीएमके के साथ संबंध सहज नहीं रहे और 2023 में गठबंधन टूट गया. 2024 के लोकसभा चुनावों में दोनों दलों ने अपने दम पर चुनाव लड़ा. अन्‍नाडीएमके को 20.46% वोट मिले और बीजेपी के नेतृत्‍व वाले एनडीए गठबंधन को 18 फीसद. इस तरह दोनों के वोट प्रतिशत को जोड़ दिया जाए तो करीब 41 फीसद वोट मिला. अलग लड़ने के कारण किसी भी दल को कोई फायदा नहीं मिला और हार मिली. सत्‍तारूढ़ डीएमके और कांग्रेस एवं लेफ्ट गठबंधन को लोकसभा चुनाव में 47 फीसदी वोट मिले और जबर्दस्‍त कामयाबी मिली. 

इसके बाद बीजेपी को ये बात समझ में आ गई कि अन्‍नामलाई की फायरब्रांड और आक्रामक रणनीति के कारण बीजेपी का वोट बैंक 3.7 प्रतिशत से 2024 के लोकसभा चुनावों में अपने दम पर 11.24 प्रतिशत वोट तक जरूर बढ़ा लेकिन पार्टी अपने दम पर अगले कई वर्षों तक तमिलनाडु की सत्‍ता में नहीं आ सकेगी. लिहाजा बीजेपी ने अब अन्‍नाडीएमके के साथ फिर हाथ मिलाया है.

कमांडर की एंट्री
इन सबके बीच एक्‍टर विजय ने भी सियासत में एंट्री ले ली है. युवाओं में उनका क्रेज है. उन्‍होंने टीवीके नाम का दल बनाया है. तमिलनाडु में इस वक्‍त ये कयास लगाए जा रहे हैं कि क्‍या वो बीजेपी और अन्‍नाडीएमके के गठबंधन में शामिल होंगे? या विधानसभा चुनावों में अकेले दम पर चुनाव लड़ेंगे. अगर वो अलग लड़ते हैं तो डीएमके के खिलाफ सत्‍ता विरोधी लहर वाले वोटों को काट सकते हैं. इससे आखिरकार फायदा डीएमके को मिलेगा. लेकिन यदि बीजेपी वाले धड़े के साथ जाते हैं तो इस गठबंधन को मजबूत कर सकते हैं. दूसरी बात ये है कि वो क्रिश्चियन समुदाय से हैं. इसलिए भी अन्‍नाडीएमके उनके साथ गठबंधन का प्रयास करेगी क्‍योंकि ऐसी सूरत में उनको इस तबके का वोट मिलने की उम्‍मीद होगी.

इन सबके अतिरिक्‍त कैप्‍टन विजयकांत की एमडीएमके और एस रामदास की पीएमके फिलहाल बीजेपी के नेतृत्‍व वाले एनडीए की सहयोगी दल हैं. लेकिन जिस तरह से रामदास ने कमान बेटे अंबुमणि से ली है उस पर भी लोगों की निगाह टिक गई है. कहा जाता है कि रामदास एनडीए के साथ बहुत सहज नहीं हैं और द्रविड़ राजनीति करने वाली पार्टियों डीएमके और अन्‍नाडीएमके के साथ रह चुके हैं. ऐसे में अब वो क्‍या करेंगे ये भी देखने वाली बात होगी. 

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