HRSC : प्रॉपर्टी ट्रांसफर से जुड़े ऑफलाइन अपील को भवन में ही बैठे अधिकारी को भेजा गया था, पंजीकृत डाक से भेजने के बाद लापता हो गई. हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने इसे प्रशासनिक शिथिलता बताया.
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Chandigarh News: हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग (Haryana Right to Service Commission) ने प्रॉपर्टी ट्रांसफर से जुड़ी एक शिकायत पर हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को कड़ी फटकार लगाई है. आयोग ने कहा, मामले में एस्टेट कार्यालय कुरुक्षेत्र और जोनल प्रशासक पंचकूला के बीच अनावश्यक देरी और अस्पष्ट प्रक्रिया की वजह से काम में 10 माह की देरी हुई, जिससे शिकायतकर्ताओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. आयोग ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के कार्यप्रणाली पर कड़ी आपत्ति जताते हुए उसे निर्देश दिया कि वह शिकायतकर्ता को 5 हजार रुपये का हर्जाना दे.
दरअसल आयोग का मुख्य उद्देश्य विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं की उपलब्धतता सुनिश्चित करना है. हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि शिकायतकर्ताओं ने संपत्ति हस्तांतरण के लिए 9 जून 2023 को आवेदन दिया था, लेकिन बार-बार तकनीकी और प्रशासनिक आधार पर इसे अस्वीकार किया जाता रहा.
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जांच में पाया गया कि जोनल प्रशासक कार्यालय की ओरसे बार-बार की गई अस्वीकृतियां और देरी पूर्णतः अनुचित थीं और यह शिकायतकर्ताओं का उत्पीड़न करने जैसा है. आयोग ने 9 जून 2023 से 5 अप्रैल 2024 तक कार्यभार में रहे सभी जोनल प्रशासकों पर अपनी नाराजगी जताई. जांच में एसजीआरए सह प्रशासक (मुख्यालय) के कार्यालय में भी गंभीर लापरवाही पाई, जहां एक ऑफलाइन अपील को भवन में ही बैठे अधिकारी को भेजा गया था, पंजीकृत डाक से भेजने के बाद लापता हो गई. आयोग ने इसे प्रशासनिक शिथिलता का गंभीर उदाहरण बताते हुए एस.जी.आर.ए के स्पष्टीकरण को अस्वीकार कर दिया.
आयोग के अवर सचिव 26 जून 2025 को संबंधित कार्यालयों का निरीक्षण किया था और रिपोर्ट 4 जुलाई 2025 को पेश की. निरीक्षण में यह सामने आया कि डाक प्राप्ति के रिकॉर्ड जैसे पियॉन बुक में जिम्मेदार अधिकारी का नाम स्पष्ट नहीं था.
रजिस्टर में अधिकारियों की जानकारी दर्ज करना जरूरी
आयोग ने हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम, 2014 की धारा 17(1)(ह ) के अंतर्गत शिकायतकर्ता को 5 हजार रुपये हर्जाना देने के निर्देश हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को दिया. आयोग ने कहा कि यह राशि HSVP प्रारंभ में स्वयं वहन करेगा और फिर इस मामले से जुड़े संबंधित अधिकारियों से वसूल करेगा.
साथ ही आयोग ने एचएसवीपी के सभी संबंधित कार्यालयों को निर्देश दिया है कि पियॉन बुक, प्राप्ति रजिस्टर और प्रेषण रजिस्टर में जिम्मेदार अधिकारियों का पूरा नाम व पदनाम अनिवार्य रूप से दर्ज किया जाए या पदनाम की मुहर लगाई जाए, ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की जवाबदेही से बचा न जा सके.
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