New Rules for Promotion in MP: मध्य प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों को प्रमोशन का इंतजार खत्म हो गया है. 9 साल बाद प्रदेश में सामान्य प्रशासन विभाग की तरफ से मध्य प्रदेश लोक सेवा पदोन्नति नियम 2025 को जारी कर दिया गया है. इसी महीने जून में मंत्रालय के कर्मचारियों के प्रमोशन प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी
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MP Promotion News: मध्य प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों-अधिकारियों के लिए खुशखबरी सामने आई है. प्रदेश में 9 साल बाद सामान्य प्रशासन विभाग की तरफ से मध्य प्रदेश लोक सेवा पदोन्नति नियम 2025 को जारी कर दिए गए हैं. जो कि गुरुवार से से ही लागू हो चुके हैं. आपको बता दें कि इसी महीने जून में मंत्रालय के कर्मचारियों के प्रमोशन प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. इसके अलावा, जुलाई महीने के अंत तक बाकी विभागों में पात्र उम्मीदवारों को मौका दिया जाएगा.
मिली जानकारी के अनुसार, इसके बाद सितंबर-अक्टूबर महीने में डीपीसी (वरिष्ठता पात्रता सूची) जारी की जाएगी. उसके बाद प्रमोशन दिया जाएगा. इस बीच नए नियमों को समझने और उनके तहत अधिकारियों, कर्मचारियों को पदोन्नत किए जाने संबंधी प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. इसकी पूरी व्यवस्था सामान्य प्रशासन विभाग की तरफ से की जाएगी. आपको बता दें कि अगले दो सालों में लगभग 4.50 लाख सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों का प्रमोशन किए जाएंगे. इसके बाद, जब 2 लाख पद खाली हो जाएंगे, तो इन खाली पदों पर अगले चार सालों में नई भर्तियां भी की जाएंगी.
2 महीने में ज्वाइन करें
सूचना के अनुसार, प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के प्रमोशन के 2 महीने में ज्वाइन करना अनिवार्य है, अगर जो भी अधिकारी कर्मचारी ज्वाइन नहीं करेगा, तो उसे अगले 5 सालों तक पदोन्नति का लाभ नहीं दिया जाएगा. सरकारी वसूली के आदेश वाले कर्मचारी, 100 फीसद हिस्सा जमा करने के एक साल तक पदोन्नति के हकदार नहीं होंगे. यह प्रावधान सामान्य प्रशासन की तरफ से गुरुवार को जारी मप्र लोकसेवा पदोन्नति नियम 2025 में किए हैं. नए नियमों का गजट नोटिफिकेशन भी हो गया. अब विभागीय पदोन्नति समितियां बनाकर पदोन्नति की प्रक्रिया शुरू होगी.
पदोन्नति का नया नियम
नए नियम के मुताबिक, अब क्लास-1 के कर्मचारियों को प्रमोशन मेरिट पहले और सीनियरिटी बाद में देख कर दिया जाएगा, जबकि उससे नीचे के कर्मचारियों को सीनियरिटी पहले और मेरिट बाद में देखी जाएगी. पदोन्नति में एससी और एसटी वर्ग के लिए क्रमशः 20% और 16% आरक्षण का प्रावधान पहले की तरह जारी रहेगा. साथ ही, पदोन्नति की प्रक्रिया देखने वाली डीपीसी (विभागीय पदोन्नति समिति) में एससी और एसटी वर्ग के अधिकारियों को भी शामिल करना अनिवार्य होगा. इस समिति की अध्यक्षता संबंधित विभाग के सचिव या विभागाध्यक्ष करेंगे, जबकि सामान्य प्रशासन विभाग का उप सचिव स्तर का अधिकारी या उससे ऊपर का कोई अधिकारी समिति का हिस्सा बनेगा. जिन कर्मचारियों पर आपराधिक मामला चल रहा हो, निलंबन में हों, या जिन पर आरोप तय हो चुके हों, उन्हें पदोन्नति के लिए अयोग्य माना जाएगा.
तय समय पर प्रक्रिया पूरी
इधर, नए नियमों को लेकर कुछ संगठनों ने नाराजगी जताई है. सपाक्स और कुछ अन्य कर्मचारी संगठन पदोन्नति में आरक्षण और 8 लाख रुपये से अधिक सालाना आय वाले एससी/एसटी कर्मचारियों को लाभ मिलने के प्रावधान का विरोध कर रहे हैं. सरकार को आशंका है कि इस पर कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है, इसलिए जबलपुर हाईकोर्ट और उसकी खंडपीठों में कैविएट दायर करने का फैसला लिया गया है, ताकि बिना सरकार की बात सुने कोई स्टे ना मिले. इस बार डीपीसी (पदोन्नति की बैठक) दो बार होगी. पहली जून से जुलाई के बीच और दूसरी सितंबर-अक्टूबर में. अगले वित्त वर्ष से डीपीसी सिर्फ सितंबर-अक्टूबर में ही होगी. इससे तय समय पर प्रमोशन प्रक्रिया पूरी की जा सकेगी. (सोर्सः पत्रिका)
नया नियम का अब तक
1. अप्रैल 2016 में पदोन्नति नहीं हुई.
2. 8 अप्रैल 2025 को सीएम मोहन यादव ने पदोन्नति की पहली बार घोषणा की.
3. 10 जून 2025 को कैबिनेट में नए नियम के प्रस्ताव पर चर्चा की गई.
4. 17 जून 2025 को कैबिनेट में मंजूरी मिली, उसके बाद नियम लागू.
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