Success Story of Vallari: आज के इस दौर में महिलाएं भी किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है. वो चाहे हमारे देश की सुरक्षा की बात हो या फिर किसी खेल की. महिलाएं हर कदम पर पुरुष की ताल में ताल मिलाकर आगे बढ़ रही है. वहीं छत्तीसगढ़ की रहने वाली एक महिला हैं, उन्होंने किसानों के लिए मिसाल कायम की है.
दरअसल, इस महिला किसान का नाम वल्लरी चंद्राकर है, जो कि महासमुंद जिले की रहने वाली हैं. जो किसान खेती को घाटे का सौदा मानते रहे लेकिन उन्होंने एसा कर दिखाया कि उनकी हर तरफ चर्चा हो रही है. आपको बता दें कि वल्लरी चंद्राकर, एक इंजीनियर है. उन्होंने असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी छोड़ कम पानी में भी स्ट्रॉबेरी की खेती कर इतिहास रच दिया है.
आपको बता दें कि महिला किसान वल्लरी इस फसल से न सिर्फ कमाई कर रही हैं, बल्कि 30 से ज्यादा महिलाओं को रोजगार भी दे रही हैं. महासमुंद जिले के बागबाहरा ब्लॉक के सिर्री गांव की रहने वाली वल्लरी ने बताया कि उन्होंने 2012 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद रायपुर के दुर्गा कॉलेज में कम्पूटर साइंस और गणित की प्रोफेसर बनी.
2016 में वल्लरी ने M. Tech. की पढ़ाई की, उन्होंने बताया कि पिता को देखकर मेरे मन में खेती करने का ख्याल आया. इसके बाद मैं आपने गांव पहुंची, जहां पर पापा के साथ-साथ खेती करने का तौर तरीका सीखा. इसके बाद उन्होंने बताया कि प्रयोग के तौर पर लगभग 30 डिसमिल खेत में लगभग तीन हजार पौधे लगाए.
वहीं आगे बताते हुए किसान वल्लरी ने कहा कि ये सब लगातार 2 सालों तक किया, लेकिन फायदा नहीं हुआ. फिर इस खेती की मिट्टी की जांच करवाई, तब जाकर पता लगा कि खेत में कौन से पोषक तत्व कितनी मात्रा में देना चाहिए. वहीं उन्होंने आगे कहा कि स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए तापमान 18 से 30 डिग्री सेल्सियस तक होना फायदेमंद माना जाता है. इसके अलावा, स्ट्रॉबेरी की खेतीक के लिए 5.0 से 6.5 तक पीएच वाली मिट्टी बेहद फायदेमंद मानी जाती है.
किसान वल्लरी का कहना है कि अगर दोमट मिट्टी वाले खेत में स्ट्रॉबेरी की खेती की जाए तो फसल की दोगुनी पैदावार हो सकती है. उन्होंने कहा कि मैने स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए बांस का उपयोग कर लो टनल बनवाई, जिसमें नेट का भी उपयोग किया. फिर रात के समय में क्यारी को नेट से ढक देते थे. ताकि फसल को पाला या सर्दी से नुकसान हो. इसके बाद दिन में हटा दिया करते थे.
वल्लरी कहतीं हैं कि मैंने अपने 40 एकड़ के फॉर्म हाउस में ड्रिप पद्धति से कई तरह की फसलों की खेती कर रही हूं. जैसे- करेला, खीरा, बरबट्टी (बोरो), मर्च, लौकी, पपीता और आम जैसे कई फल-सब्जियां भी शामिल हैं. इस काम के साथ साथ गांव की लगभग 35 महिलाओं को रोजगार भी दे रही हूं. एक एकड़ खेत में लगभग सब्जी की जितनी पैदावार होती है, उससे कई गुना मुनाफा आधा एकड़ खेत में स्ट्रॉबेरी से हो जाता है.
उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि महासमुंद जिले में कोई बड़ा बाजार नहीं है. बाजार मिल भी जाए, तो जिले के किसानों के लिए स्ट्रॉबेरी की खेती के रूप में बड़ी संभावनाएं खुल सकती हैं. क्योंकि स्ट्रॉबेरी में विटामिन-सी, आयरन, पोटेशियम, फाइबर होता है. इसका उपयोग एसेंस के रूप में, जेम आइसक्रीम, चॉकलेट, केक और सौन्दर्य प्रसाधन में काफी होता है.
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