MP News-भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसे हालात है. पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने आतंकियों के ठिकानों को नष्ट किया था. इसके बाद से दोनों देशों के बीच जंग के हालात बन चुके हैं. भारत ने पाकिस्तान को आतंकी हमले के बाद मुंहतोड़ जवाब दिया है, भारतीय सेना लगातार जवाबी कार्रवाई कर रही है.
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Ind vs Pak-पहलगाम हमले का बदला भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर लिया, इस ऑपरेशन में 100 से भी ज्यादा आतंकी मारे गए. ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने भारत के कई शहरों पर एयर स्ट्राइक की लेकिन एक भी सफल नहीं हो पाई, भारतीय सेना ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया. अब भारत पाकिस्तान के बीच जंग जैसे हालात हैं. कारगिल युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को बुरी तरह हराया था, इसी युद्ध में इंदौर के लेफ्टिनेंट गौतम जैन ने दुश्मनों को धूल चटाई थी. 2001 में गौतम आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए थे, दम तोड़ने से पहले उन्होंने दो आतंकियों को ढेर कर दिया था.
शहीद लेफ्टिनेंट गौमत जैन के माता-पिता का कहना है कि 2001 में बेटा गौतम देश की सेवा करते हुए शहीद हुआ था और तब से लेकर आज तक हर उन्हें गर्व होता है.
बेटे पर है गर्व
शहीद लेफ्टिनेंट गौतम जैन के के माता-पिता एसपी जैन और सुधा जैन ने जंग के हालातों को लेकर कहा कि इस बार पूरा देश एक स्वर में आतंकवाद के खिलाफ खड़ा हुआ। चाहे वह किसी भी धर्म या राजनीतिक विचारधारा से क्यों न हो. देश के लिए शहादत सबसे बड़ा बलिदान है और हमें गर्व है कि हमारा बेटा 21 साल की उम्र में यह सौभाग्य लेकर गया. हमें गर्व है कि हमारे बेटे ने 21 साल की उम्र में देश के लिए बलिदान दिया.
कारगिल युद्ध में लिया था भाग
उन्होंने बताया कि गौतम भारतीय सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट की 173 फील्ड रेजिमेंट में लेफ्टिनेंट थे. उन्होंने 1999 में कारगिल युद्ध में भाग लिया था. गौतम का शुरू से ही देशभक्ति के प्रति जज्बा था. उन्होंने बताया कि गौतम का पीएमटी में भी सिलेक्शन हो गया था लेकिन इच्छा एयरफोर्स में जाने की थी. वहां सिलेक्शन नहीं हो पाया. फिर 1995 में उसने एनडीए की परीक्षा दी थी और सिलेक्शन हो गया. पहले तो मां तैयार नहीं हुई, लेकिन बेटे की जिद और जज्बे को देख वह राजी हो गई. 13 मई 2000 को वह लेफ्टिनेंट बन गए.
कश्मीरियों जैसा बना लिया था हुलिया
गौतम में अंदरखाने की इन्फॉर्मेसन लेने के लिए कश्मीरियों जैसा हुलिया बना लिया था और उनके जैसे रहने भी लगे थे. एक बार जब गौतम इंदौर अपने घर आए तो उनको देख वॉचमैन भी नहीं पहचान पाया था. जम्मू कश्मीर में कई बार उनके और साथियों की आतंकवादियों से कई बार भिड़ंत हुई थी. अक्टूबर 2001 में गौतम की यूनिट को सूचना मिली कि काला कोट, राजौरी सेक्टर में कुछ आतंकवादी आए हैं. इस दौरान कमांडेंट ऑफिसर ने गौतम की यूनिट को आतंकवादियों को लोकेट करने को कहा. उनकी यूनिट दो दिन तक लगी रही लेकिन आतंकवादी नहीं मिले.
साथी को दी बुलेट प्रूफ जैकेट
आतंकियों को लोकेट करने के लिए ऑपरेशन NIAJ चलाया गया. गौतम को आतंकियों की सूचना मिली, जिस पर वे टीम के साथ सर्च के लिए निकले. गौतम की पोस्टिंग जहां थी वह जंगल, झाड़ियों, पहाड़ियों वाला क्षेत्र था. वहीं झाड़ियों ने तीन आतंकी छिपे थे जिन्हें टीम ने लोकेट कर दिया था. आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी एक गोली गौतम के साथ की जांघ में लग गई, गौतम ने साथी को सुरक्षित करने के लिए अपनी बुलेट प्रूफ जैकेट उतारकर उसे दे दी.
दो आतंकियों को ढेर करके तोड़ा दम
इसी दौरान एक गोली गौतम के सीने में आकर लगी, उन्हें एहसास हो गया कि वो बच नहीं पाएंगे. इस पर उन्होंने ताबड़तोड़ गोलियां बरसाना शुरू कर दिया. इस पर तीनों आतंकी भागने लगे, इसमें दो आतंकियों को गौतम ने ढेर कर दिया. वहीं तीसरे आतंकी को सेना ने मार गिराया. इसी बीच दूसरी तरफ गौतम ने दम तोड़ दिया. गौतम के माता-पिता कहते हैं कि बेटे की शहादत पर उन्होंने आज भी गर्व है.
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