IIT Indore-आईआईटी इंदौर ने एक बार फिर चमत्कार कर दिखाया है. यहां शोधकर्ताओं नएक ऐसा स्मार्ट गिलास विकसित किया है जो मौसम के अनुसार खुद को नियंत्रित कर सकता है. यह एडवांस स्मार्ट ग्लास आगे चलकर घरों और ऑफिसों में पर्दों की जरूरतों को खत्म कर सकता है.
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Indore News-आईआईटी इंदौर के शोधकर्ताओं ने एक बार फिर नया कारनामा कर दिखाया है. शोधकर्ताओं का दावा है कि उन्होंने ऐसा स्मार्ट ग्लास विकसित किया है जो स्वयं का नियंत्रित कर सकता है. यह घरों और कार्यालयों में खिड़कियों के उपयोग के तरीके को बदल सकता है. यह अत्याधुनिक कांच न सिर्फ सूरज की रोशनी और गर्मी को कंट्रोल करता है, बल्कि बिजली की खपत भी कम करता है.
इस अत्याधुनिक कांच से घरों और कार्यालयों में पर्दों की जरूरत धीरे-धीरे खत्म हो सकती है.
स्मार्ट ग्लास में क्या है खास
इस स्मार्ट ग्लास को खास किस्म की कोटिंग से तैयार किया है, जो हल्की बिजली से भी पारदर्शिता और रंग बदल सकता है. इसकी खासियत यह है कि सूरज की रोशनी के बढ़ते ही ही अपने आपको गहरे रंगों में बदल देता है ताकि कम रोशनी और गर्मी अंदर आए. वहीं बाहर ठंड या कम रोशनी होने पर यह ग्लास फिर से हल्के रंगों का हो जाता है. जिससे रोशनी और गर्मी अंदर आ सके.
खास कोटिंग से किया गया तैयार
इस कमाल के स्मार्ट ग्लास को तैयार करने में वायलोजन-बेस्ट पारास आर्गेनिक पालिमर (पीओपी) की मदद ली गई है. यह न सिर्फ सूरज की रोशनी बल्कि कमरे की गर्मी को भी नियंत्रित कर सकेगा. इस ग्लास को लगाने के लिे स्प्रे कोटिंग या डीप कोटिंग का उपयोग किया जाएगा. जिससे यह सतह पर अच्छे और लंबे समय तक टिका रहेगा. फिलहाल इस तकनीक को अभी प्रयोगशाला में सफलतापूर्वक टेस्ट किया गया है.
भविष्य में हो सकता है उपयोगी
यह स्मार्ट ग्लास डा. सायंतन सरकार द्वारा ट्रांसलेशनल रिसर्च फेलोशिप योजना के तहत विकसित किया जा रहा है. वैज्ञानिकों के अनुसार, यह स्मार्ट ग्लास तापमान और रोशनी को इस तरह नियंत्रित करता है कि घर या कार्यालयों में एसी और लाइट्स पर निर्भरता काफी हद तक कम हो जाती है. इस इन्वेंशन को निकट भविष्य में स्मार्ट होम्स, ग्रीन बिल्डिंग्स, और ऊर्जा-संवेदनशील कार्यालयों में उपयोग किया जा सकेगा.
आईआईटी इंदौर के निदेशक प्रोफेसर सुहास एस. जोशी ने कहा कि यह प्रोजेक्ट न केवल बिजली की खपत को घटाएगा, बल्कि पर्यावरण के संरक्षण में भी सहायक सिद्ध होगा। प्रो. मुखोपाध्याय और प्रो. राजेश कुमार ने भी इसे भविष्य की जरूरतों के अनुरूप एक निर्णायक तकनीकी पहल बताया है.
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