अशोकनगर में जिन्होंने बचाई थी पंचायत सचिव की जान, 12 दिन बाद आया हैरानी वाला आदेश
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अशोकनगर में जिन्होंने बचाई थी पंचायत सचिव की जान, 12 दिन बाद आया हैरानी वाला आदेश

Ashoknagar News: अशोकनगर जिला पंचायत सीईओ ने 12 दिन पहले जिस पंचायत सचिव का रेस्क्यू कर उसकी जान बचाई थी, अब उसी की बर्खास्ती का आदेश जारी कर दिया है, जिससे पंचायत सचिव भी हैरान रह गया. 

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MP News: अशोकनगर जिले में बीते दिनों हुई तेज बारिश में एक पंचायत सचिव पुलिया पर फंस गए थे, इस बात की जानकारी जैसे ही प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को लगी तो वह पंचायत सचिव को बचाने पहुंचे. अशोकनगर जिले के पंचायत सीईओं ने भी मौके पर पहुंचकर भाजपा नेताओं के साथ पंचायत सचिव का रेस्क्यू किया और उनकी जान बचाई थी. लेकिन जिस सचिव की उन्होंने 12 दिन पहले जान बचाई थी, अब उसी सचिव की बर्खास्ती का आदेश उन्होंने जारी किया है, जिससे पंचायत सचिव भी हैरान रह गया. जिससे अशोकनगर जिले का यह मामला चर्चा में बना है, सब यही जानने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर पंचायत सचिव को क्यों हटाया गया. 

नाले पर फंस गए थे पंचायत सचिव 

दरअसल, बताया जा रहा है कि बारिश के दौरान जिला प्रशासन अशोकनगर की तरफ से आदेश जारी किया गया था कि बाढ़ और बारिश के दौरान किसी तरह की लापरवाही बिल्कुल भी न बरती जाए. लेकिन 30 जुलाई की रात में साढ़े 11 बजे के आसपास कोलुआ गांव के पास एक नाले में करेया बुद्धू गांव के पंचायत सचिव सचेंद्र अहिरवार फंस गए थे. जैसे ही पंचायत सचिव के फंसे होने की जानकारी बीजेपी नेता सत्येंद्र कलावत और उनके साथियों को मिली तो वह मौके पर पहुंचे, जबकि प्रशासन की तरफ जनपद सीईओ और जिला पंचायत सीईओ समेत सभी अधिकारी मौके पर पहुंचे और रस्सियों के सहारे उनको बाहर निकाल लिया गया. 

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1 अगस्त को जारी किया नोटिस 

पंचायत सचिव को इस मामले में जिला पंचायत सीईओ की तरफ से 1 अगस्त को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया. क्योंकि जिला प्रशासन ने लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी थी. लेकिन पंचायत सचिव होने के बाद भी उन्होंने मामले में लापरवाही बरती थी, जिसके चलते उन्हें नोटिस दिया गया और 6 अगस्त को उसका जवाब देने का समय निर्धारित किया गया था. लेकिन पंचायत सचिव की तरफ से जो जवाब जिला पंचायत सीईओ को भेजा गया वह उन्हें संतुष्टि पूर्ण नहीं लगा. ऐसे में अशोकनगर जिला पंचायत सीईओं ने मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम के तहत अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करने पर निलंबन की कार्रवाई की है. 

जबकि इस तरह के मामलों में लापरवाही बरतने के लिए पंचायत सचिव के खिलाफ एफआईआर भी करने के आदेश जारी किए गए हैं. क्योंकि पंचायत सचिव अपने कर्तव्यों के मामलों में दोषी पाए गए थे. यही वजह है कि यह मामला चर्चा में बना हुआ है. (सोर्स नवभारत टाइम्स) 

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