Bhopal Independence-हिंदुस्तान को आजादी 15 अगस्त 1947 में आजादी मिली थी, लेकिन मध्यप्रदेश का एक शहर ऐसा भी है जिसे 2 साल बाद आजादी मिली थी. देश को आजादी मिलने के 659 दिनों के बाद यहां तिरंगा झंडा फहराया गया था. इस शहर की रियासत को भारत में विलय होने में लगभग 2 साल लग गए थे. ये शहर मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल है. चलिए जानते हैं पूरी कहानी
भोपाल रियासत को भारत गणराज्य में विलय होने लगभग 2 साल का समय लगा. इसकी वजह भोपाल नवाब हमीदुल्ला खां थे, वो इसे स्वतंत्र रियासत रखना चाहते थे. वहीं भोपाल नवाब और हैदराबाद निजाम अपनी रियासतों को पाकिस्तान में विलय के लिए पुरजोर कोशिशों में लगे हुए थे.
भोपाल रियासत का भौगोलिक दृष्टि से यह असंभव था. यही वजह थी की आजादी मिलने के लंबे समय बाद भी भोपाल रियासत का विलय भारत में नहीं हुआ. लंबे समय तक भोपाल रियासत का विलय नहीं होने से जनता में भारी आक्रोश था. यही आक्रोश विलीनीकरण आंदोलन में बदल गया.
इसके बाद भोपाल रियासत के भारत में विलय की लिए आंदोलन की शुरुआत हुआ. धीरे-धीरे आंदोलन बढ़ता चला गया, इसी आंदोलन को चलाने के लिए जनवरी 1948 में प्रजा मंडल की स्थापना की गई. इस आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाने के लिए 'किसान' नामक समाचार पत्र भी निकाला था.
सीहोर के इछावर से शुरु हुआ विलीनीकरण आंदोलन दूसरे शहरों में पहुंचा. . 14 जनवरी 1949 को रायसेन जिले के उदयपुरा तहसील के ग्राम बोरास के नर्मदा तट पर विलीनीकरण आंदोलन को लेकर विशाल सभा हुई थी. इसमें सीहोर, रायसेन और होशांगाबाद से लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए थे.
आंदोलन की सभा के दौरान तिरंगा झण्डा फहराया जाना था. लेकिन आंदोलन का संचालन करने वाले सभी बड़े नेताओं को पहले ही बंदी बना लिया गया था. झंडा हाथ में लेकर चल रहे युवाओं पर पुलिस ने गोलियां चला दी, जिसमें 4 लोग शहीद हो गए.
बोरास गोलीकाण्ड की सूचना सरदार वल्लभ भाई पटेल को मिलते ही उन्होंने बीपी मेनन को भोपाल भेजा था. भोपाल रियासत का 1 जून 1949 को भारत गणराज्य में विलय हो गया. इसके बाद 659 दिन बाद 1 जून 1949 को भोपाल में तिरंगा झंडा फहराया गया था. बाद में मध्यप्रदेश की स्थापना के बाद भोपाल को ही राजधानी बनाया गया.
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