What is Tulbul Project: पाकिस्तान से सिंधु जल संधि समझौता तोड़ने के बाद भारत ने एक और बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर ली है. लेकिन पाकिस्तान की हरकतों को देखते हुए भारत ने और बड़ा झटका पड़ोसी मुल्क को देने की तैयारी की है.
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Tulbul Project: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को रद्द कर पाकिस्तान को बड़ा झटका दिया था. लेकिन अब उस पर एक और वाटर बम गिराने की तैयारी है. दरअसल, भारत ने जम्मू-कश्मीर की तुलबुल परियोजना को दोबारा शुरू करने का निर्णय किया है. इस नदी के जरिये भारत झेलम नदी के पानी का भरपूर इस्तेमाल करेगा, जो जम्मू-कश्मीर में पेयजल संकट दूर करेगा.पाकिस्तान लंबे समय से इस जल परियोजना का विरोध करता रहा है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार लंबे समय से अटकी तुलबुल नेवीगेशन प्रोजेक्ट को बहाल करने पर विचार कर रही है. तुलबुल प्रोजेक्ट की विस्तृत डीपीआर तैयार की जा रही है और साल के आखिरी में इसे मंजूरी के लिए पेश किया जा सकता है.इसे पानी के भरपूर इस्तेमाल की भारत की रणनीति माना जा रहा है.
क्या है तुलबुल परियोजना
तुलबुल परियोजना के तहत कश्मीर घाटी के सोपोर जिले में झेलम नदी किनारे पानी का बड़ा जलाशय बनाने की योजना है. 1984 में सबसे पहले इस परियोजना का विचार आया और वुलर झील के मुहाने पर 439 फुट लंबे और 40 फुट चौड़े जलाशय के निर्माण का प्लान बना. वुलर झील एशिया में ताजा पानी की सबसे बड़ी झील है.
इस परियोजना का मकसद वुलर झील के जल प्रवाह को नियंत्रित कर गर्मी के महीनों में भी झेलम नदी में पर्याप्त पानी का भंडार सुनिश्चित करना है. इसमें 3 लाख एकड़ फीट पानी का भंडार किया जाएगा. इससे बारामुला से श्रीनगर तक जलापूर्ति की जाएगी. इस पानी का इस्तेमाल निचले इलाकों की जल विद्युत परियोजनाओं के लिए भी किया जा सकता है.
पाकिस्तान की कड़ी आपत्ति के बाद भारत ने 1985 में इसका काम रोक दिया था. 1986 में पाकिस्तान ने सिंधु जल आयोग में ये मुद्दा उठाया और 1987 में ये परियोजना ठप पड़ गई. वर्ष 2010 में परियोजना पर दोबारा काम शुरू हुआ. भारत का कहना है कि सिंधु जल संधि के अनुच्छेद 9 के तहत भी भारत को पानी के इस्तेमाल का हक है. 2016 में तो यहां तक दावा गया कि उमर अब्दुल्ला की अगुवाई वाली एनसी-कांग्रेस सरकार ने प्रोजेक्ट का 80 फीसदी काम पूरा कर लिया. लेकिन बीजेपी-पीडीपी सरकार में प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ा.वुलर बांध से जिन महीनों में कम पानी आता है, उस दौरान भी पर्याप्त बिजली उत्पादन हो सकेगा.
सिंधु जल समझौते के तहत छह नदियों के पानी का बंटवारा भारत और पाकिस्तान के बीच किया गया था. सिंधु-झेलम और चिनाब का पानी पाकिस्तान तो सतलुज-व्यास और रावी के जल का इस्तेमाल भारत करता है. भारत का कहना है कि उसे सिंधु जल संधि समझौते केतहत पश्चिमी छोर की नदियों के पानी का भी बिना खपत वाले उद्देश्यों जैसे परिवहन, बिजली उत्पादन और भंडारण क्षमताबनाने का अधिकार है. भारत अपनी भंडारण क्षमता बढ़ा सकता है.