उत्तर भारत में राखी की राजधानी कहा जाता है यूपी का यह जिला, विदेशों तक है धूम, हर साल होता है करोड़ों का कारोबार
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उत्तर भारत में राखी की राजधानी कहा जाता है यूपी का यह जिला, विदेशों तक है धूम, हर साल होता है करोड़ों का कारोबार

Rakshabandhan 2025: रक्षाबंधन आने वाला है और अभी से बाजारों में राखियां सजने लगी हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं यूपी के किस शहर की राखियों की डिमांड बाजार में सबसे ज्यादा रहती है. पश्चिमी यूपी के एक शहर की राखियों की मांग प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश और विदेश में भी है.   

उत्तर भारत में राखी की राजधानी कहा जाता है यूपी का यह जिला, विदेशों तक है धूम, हर साल होता है करोड़ों का कारोबार

मेरठ: भाई-बहन के प्यार का प्रतीक रक्षाबंधन नजदीक है. इस दिन बहने भाइयों के कलाई पर राखी बांध कर उनसे अपनी रक्षा का वचन लेती हैं उन्हें सुख-समृद्धि और सलामती का आशीर्वादी देती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं भाइयों की कलाई पर सजने वाली ये राखियां यूपी में कहां सबसे ज्यादा बनती है  

मेरठ की राखियां 
मेरठ की मशहूर राखियों की मांग देश ही नहीं, विदेशों में भी सिर चढ़कर बोलती है. रक्षाबंधन की तैयारियों में जुटे व्यापारियों और कारीगरों के लिए यह समय पूरे साल की मेहनत का फल देने वाला होता है.

विदेशों तक मेरठ की राखी की धूम
मेरठ अब उत्तर भारत में राखी की राजधानी (राखी) हब बन चुका है. यहां बनने वाली राखियां यूपी सहित दिल्ली, हरियाणा, मध्यप्रदेश और बिहार तक भेजी जाती हैं. साथ ही हजारों बहनें मेरठ से राखी खरीदकर अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा जैसे देशों में रहने वाले भाइयों को भेजती हैं.

शहर की तीन प्रमुख राखी ब्रांड्स — लक्ष्मी राखी, नवरंग और शुभम राखी — बहनों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं. साधारण से लेकर डिज़ाइनर और कारीगरी वाली राखियों की कीमत ₹10 से ₹1500 तक जाती है. मीनाकारी और इको-फ्रेंडली राखियों की इस बार खास डिमांड है.

इको-फ्रेंडली राखी का बढ़ता चलन
इको-फ्रेंडली राखियों की बात करें तो लकड़ी और कलावे से बनी ये राखियां न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं, बल्कि इनके जरिए ‘हरियाली’ और ‘पर्यावरण संरक्षण’ का संदेश भी दिया जा रहा है.

सोने-चांदी की राखियां
सोने-चांदी की राखियों की मांग भी लगातार बढ़ रही है. मेरठ की सर्राफा मंडी में तैयार ये राखियां त्योहार के बाद पेंडेंट के रूप में भी इस्तेमाल की जा सकती हैं.

जानकारी के मुताबिक रक्षाबंधन से पहले ही मेरठ में राखियों का कारोबार 20 से 25 करोड़ रुपए तक पहुंच जाता है. इस बार की तैयारियों और मांग को देखकर लगता है कि यह आंकड़ा और ऊपर जा सकता है.

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