MP Municipality President News: मध्य प्रदेश में नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष या उपाध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की समय सीमा बढ़ाने का प्लान तैयार किया जा रहा है. सरकार की तरफ से नगर पालिका अधिनियम 1961 के संशोधन के तहत अविश्वास प्रस्ताव लाने का समय को बढ़ाकर 4.5 साल करने की तैयारी हो रही है.
Trending Photos
MP Municipal Council News: मध्य प्रदेश में नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष या उपाध्यक्षों को हटाना आसान नहीं होगा. क्योंकि सरकार की तरफ से नगर पालिका अधिनियम 1961 में संशोधन के तहत अविश्वास प्रस्ताव लाने की समय सीमा को बढ़ाकर 4.5 साल करने की तैयारी हो रही है. फिलहाल यह अवधि पिछले साल अगस्त में 2 साल से बढ़ाकर 3 साल की गई थी, लेकिन अब इसे बढ़ाने का मसौदा तैयार हो चुका है. नगरीय विकास एवं आवास विभाग का प्रस्ताव वरिष्ठ सचिव समिति के पास है. वहीं हरी झंडी मिलने के बाद इसे कैबिनेट में अंतिम निर्णय के लिए पेश किया जाएगा.
आंकड़ों के मुताबिक, प्रदेश के अंदर 16 नगर निगम, 98 नगर पालिका, 264 नगर परिषद हैं, जिनमें से ज्यादातर पर पदों पर भाजपा या उसके समर्थकों के पास हैं. वहीं पार्षदों और अध्यक्षों के बीच में टकराव की वजह से कई जगहों पर अविश्वास प्रस्ताव की स्थिति बन रही थी. पिछले साल अवधि बढ़ाने का मकसद यही था, कि निकायों में स्थिरता बनी रहे. लेकिन हालात में खास बदलाव नहीं आया. अब कई जगहों से फिर अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी की खबरें बनने लगी हैं, जिससे सरकार इसे बढ़ाकर लंबा करने के पक्ष में है.
संघ ने सीएम को लिखा पत्र
आपको बता दें कि नगर पालिका संघ ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि पार्षदों के दबाव के कारण विकास कार्य रुक जाते हैं. इसी लिए अविश्वास प्रस्ताव लाने की अवधि बढ़ाना जरूरी है. वहीं सरकार का मानना है कि लंबे कार्यकाल में अध्यक्ष या उपाध्यक्ष अपने योजनाओं और प्रोजेक्ट्स को बिना बाधा के पूरा कर पाएंगे. इसी तर्क के आधार पर साढ़े चार साल की समय सीमा तय करने का अध्यादेश तैयार किया गया है. इसमें प्रावधान है, कि तीन चौताई पार्षद प्रस्ताव लाएंगे. इसके बाद विशेष बैठक में बहुमत से पारित होने पर पद खाली होगा, जिसके बाद उपचुनाव भी होंगे.
कांग्रेस ने शुरू किया विरोध
हालांकि, इसका कांग्रेस ने विरोध करना शुरू कर दिया है. पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव का कहना है कि सरकार लोकतांत्रिक अधिकारियों को खत्म कर रही है. इसके अलावा, भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा दे रही है. वहीं उन्होने आरोप लगाया है कि यह कदम अध्यक्षों की मनमानी की खुली छूट देने के लिए उठा जा रहा है, ताकि उनके खिलाफ कोई आवाज न उठा सके. वहीं कांग्रेस की तरफ से चेतावनी दी गई है कि अगर यह संशोधन लागू हुआ तो प्रदेशभर में पार्षदों का बड़ा सम्मेलन बुलाया जाएगा. अगर जरूरत पड़ी तो हाईकोर्ट में भी इसकी चुनौती दे सकते हैं.
ये भी पढ़ेंः भोपाल में झंडा फहराएंगे CM मोहन यादव, MP में कौन मंत्री किस जिले में करेंगे ध्वजारोहण
मध्य प्रदेश नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहां पढ़ें MP Breaking News in Hindi हर पल की जानकारी। आपके जिले भोपाल की हर खबर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार। जुड़े रहें हमारे साथ और बने रहें अपडेटेड!