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बुझती हुई माचिस की तीली पर लिखा गया था ये सुपरहिट गाना, हमेशा के लिए हो गया अमर, आज भी छू जाता है दिल

Bollywood Superhit Song: एक संगीताकार के लिए गाना लिखना, उसकी धुन तैयार करना और उसको बोलों को म्यूजिक के साथ पिरोकर लोगों के सामने पेश करना आसान नहीं होता. इसलिए उनको कई बार इतनी गहरी सोच में डूबना पड़ता है कि प्यार हो या दर्द अंदर से बाहर नजर आने लगे. ऐसे कई गाने हैं, जिनके पीछे की कहानियां बेहद अलग और हैरान कर देने वाली होती हैं. आज हम आपको एक ऐसे ही सुपरहिट गाने का बारे में बताने जा रहे हैं.

सालों पुराना वो गाना, जिसमें प्यार भी है और दर्द भी

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सालों पुराना वो गाना, जिसमें प्यार भी है और दर्द भी

बरसते सावन की रात थी, तेज हवाएं चल रही थीं और बादल गरज रहे थे. एक मशहूर गीतकार सिगरेट जलाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन माचिस की तीली बार-बार बुझ रही थी. मगर उसी बुझती तीलियों के बीच उसके मन में एक गाने की शुरुआत होने लगी. वो गाना जो आगे चलकर लोगों के दिलों में बस गया. ये कोई आम गाना नहीं था, बल्कि इसमें दर्द भी था और प्यार भी और इसे लिखने का किस्सा उतना ही दिलचस्प था जितना खुद वो गाना.

53 साल पुरानी फिल्म का सुपरहिट गाना

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53 साल पुरानी फिल्म का सुपरहिट गाना

ये किस्सा जुड़ा है 1972 में आई फिल्म 'अमर प्रेम' से, जिसमें राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर नजर आए थे. ये फिल्म बना रहे थे मशहूर निर्देशक शक्ति सामंत. एक रात शक्ति सामंत एक पार्टी में गए जहां उनकी मुलाकात गीतकार आनंद बक्शी से हुई. बातचीत के दौरान शक्ति सामंत ने अपनी फिल्म के लिए एक इमोशनल गाना लिखवाने की इच्छा जाहिर की. पार्टी खत्म होने के बाद जब दोनों बाहर निकले, तब बारिश, तूफान और बिजली सब हो रहा था. 

ऐसे आया था इस गाने का आइडिया

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ऐसे आया था इस गाने का आइडिया

शक्ति सामंत गाड़ी में बैठ गए, लेकिन आनंद बक्शी अब भी उस माहौल में डूबे हुए थे. उन्होंने वहां खड़े-खड़े अपनी जेब से सिगरेट का पैकेट निकाला और सिगरेट मुंह में रख कर उसको जलाने के लिए माचिस निकाली, लेकिन तेज हवाओं से बार-बार वो तीली बुझ रही थी. इसी कोशिश में जब आधी माचिस खत्म हो गई, तब बक्शी के मन में एक लाइन कौंधी. उन्होंने तुरंत कागज और पेन मांगा और उसी पल गाने की शुरुआत कर दी. ये वो पल था जब एक यादगार गाने का जन्म हुआ.

ऐसे बनकर तैयार हुआ ये यादागार गाना

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ऐसे बनकर तैयार हुआ ये यादागार गाना

आनंद बक्शी ने जो लाइनें उस रात लिखीं, वो आगे चलकर 1972 का सबसे मशहूर गाना बन गया. ये गाना था 'चिंगारी कोई भड़के तो सावन उसे बुझाए, सावन जो अग्न लगाए तो उसे कौन बुझाए'. आनंद बक्शी के इन बोलों को आर.डी. बर्मन (पंचम दा) ने अपने संगीत के रंग में रंगा और किशोर कुमार ने अपनी आवाद से उसको और रंगीन बना दिया. इस तिकड़ी ने ऐसा जादू रचा कि ये गाना आज भी दिल को छूता है और हर दौर में उतना ही ताजा लगता है.

आज भी दिल को छू जाता है ये गाना

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आज भी दिल को छू जाता है ये गाना

इस गाने के बोल के साथ-साथ नजारा भी बहुत खूबसूरत चुना गया था. आधी रात, एक नदी और उसपर गोते खाती नाव, जिनमें राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर बैठे हैं और काका उनको अपने दिल में छिपा दर्द बयां कर रहे हैं. दोनों की केमिस्ट्री, पंचम दा का म्यूजिक और आनंद बक्शी के बोलों ने मिलकर इस गाने को अमर बना दिया. ये गाना सिर्फ एक धुन या शब्दों का मेल नहीं है, ये एक एहसास है जो हर उस शख्स को छू जाता है, जो कभी प्यार या दर्द से गुजरा हो. 

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