Cyber Attack on Zee News: पाकिस्तान ने अब उसके नापाक इरादे सारी दुनिया को दिखाने वाले ZEE NEWS पर सीधा हमला कर दिया है. मंगलवार को पाकिस्तान और बांग्लादेश की तरफ से ZEE NEWS के तीन सेंटर्स (मुंबई, भोपाल, पटना) पर साइबर अटैक किया गया. हालांकि पाकिस्तान की तरफ से की गई इस हरकत को ZEE NEWS की टीम ने नाकाम बना दिया है. पाकिस्तान की तरफ से की गई इस हरकत से साफ नजर आता है कि शहबाज शरीफ और उनकी आर्मी जी न्यूज की कवरेज से बौखला गया है. पाकिस्तान जितनी भी कोशिशें कर ले जी न्यूज पहले की तरह उसकी सच्चाई से लोगों को रूबरू कराता रहेगा.
खैर इस मौके पर हम आपको दुनिया के अंदर हुए 5 सबसे खतरनाक साइबर अटैक के बारे में बताने जा रहे हैं. जिन्होंने सभी को हिला कर रख दिया था और बड़े स्तर पर अपना प्रभाव भी छोड़ा था. नीचे दी गई साइबर अटैक से संबंधित जानकारी Cobalt नाम की वेबसाइट के आधार पर है.
साल 2000 में एक किशोर ने अमेरिका के डिफेंस डिपार्टमेंट के साथ-साथ नासा पर साइबर अटैक किया था. जिसका असर 21 दिनों दिनों तक रहा था. इस दौरान उसने नासा से 1.7 मिलियन डॉलर के सॉफ्टवेयर डाउनलोड किए थे. इतनी बड़ा साइबर अटैक करने के जुर्म में मुजरिम को 6 महीने के लिए हिरासत में रखा गया था.
साल 2007 में 'द आइसमैन' नाम के मशहूर मैक्स बटलर ने कार्डर्समार्केट नाम की वेबसाइट्स पर साइबर अटैक किया और लगभग 2 मिलियन कार्ड्स की जानकारी चुरा ली. इसके अलावा 87 मिलियन डॉलर की धोखाधड़ी भी की थी. इस हरकत को अंजाम देने के लिए मुजरिम को 14 साल की जेल के साथ 40 मिलियन डॉलर का जुर्माना लगा था.
2008 में उस समय दुनिया की 5 सबसे बड़ी कार्ड कंपनियों में से हार्ट लैंड पेमेंट सिस्टम पर साइबर अटैक हुआ था. इसमें अटैक में तकरीबन 100 मिलियन कार्ड्स की जानकारी लीक हुई थी और 650 से ज्यादा फाइनेंशियल कंपनियां भी प्रभावित हुई थीं. इस अटैक के लिए अल्बर्ट गोंजालेज और दो रूसी नागरिकों को मुजरिम ठहराया गया था.
साल 2011 में सोनी की प्लेस्टेशन नेटवर्क पर भी एक बड़ा साइबर हमला हुआ, जिससे 77 मिलियन यूजर्स की जानकारी प्रभावित हुई. इस हमले के चलते कंपनी को 23 दिन तक अपनी सर्विस बंद करनी पड़ी और उन्हें लगभग 171 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ. यह अटैक करने वाले हमलावर की पहचान नहीं हो पाई थी.
2012 में सऊदी अरब की बड़ी तेल कंपनी अरामको पर भी एक बड़ा साइबर हमला हुआ. इस हमले में 'शामून' नामक वायरस का इस्तेमाल किया गया, जिसका मकसद सिर्फ डेटा को खत्म करना था. इस वायरस ने कंपनी के करीब 30,000 कंप्यूटर्स के डेटा को डिलीट कर दिया था, जिससे कंपनी को प्रोडक्शन में काफी देरी हुई. यह हमला कंपनी की कमाई पर ज्यादा असर नहीं डाल सका. अमेरिका की खुफिया एजेंसियों ने इस हमले के पीछे ईरान का हाथ बताया लेकिन ईरान ने इससे इनकार करते हुए यमन को जिम्मेदार ठहराया.
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