What is Putrakameshti Yagna: वैसे तो अधिकांश लोग इस बात को जानते हैं कि मनुष्य रूप में श्रीराम का जन्म पुत्रकामेष्टि के परिणामस्वरूप हुआ था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर पुत्रकामेष्टि यज्ञ क्या होता है. आइए जानते हैं कि पुत्रकामेष्टि यज्ञ क्या होता है.
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Ram Navami 2025 What is Putrakameshti Yagna: चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को घर-घर में प्रभु श्रीराम का जन्मोत्सव मनाया जाता है. इस दिन भगवान श्रीराम के भक्त अपने घरों में विधि-विधान से प्रभु श्रीराम की पूजा करते हैं. इसके साथ ही सुंदर कांड और रामचरितमानस का पाठ किया जाता है. वैसे तो अक्सर लोग यह जानते हैं कि भगवान श्रीराम भगवान विष्णु के अवतार हैं. लेकिन फिर भी अधिकांश लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर भगवान श्रीराम का मनुष्य रूप में जन्म कैसे हुआ. शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि प्रभु श्रीराम का जन्म पुत्रकामेष्टि यज्ञ के परिणामस्वरूप हुआ था. पुत्रकामेष्टि यज्ञ एक वैदिक अनुष्ठान है, जिसे संतान प्राप्ति की कामना से किया जाता है. यह यज्ञ उस समय किया जाता है जब संतान प्राप्ति में बाधाएं आ रही हों या संतान की इच्छा पूरी न हो रही हो. खास बात यह है कि भगवान श्रीराम का जन्म भी राजा दशरथ द्वारा किए गए पुत्रकामेष्टि यज्ञ के फलस्वरूप हुआ था. आइए विस्तार से जानते हैं कि पुत्रकामेष्टि यज्ञ क्या होता है, कैसे किया जाता है, और भगवान राम का इससे क्या संबंध है.
क्या है पुत्रकामेष्टि यज्ञ?
पुत्रकामेष्टि यज्ञ वेदों में वर्णित एक विशेष अग्निहोत्र यज्ञ है जो विशेष रूप से संतान की प्राप्ति के लिए किया जाता है. यह यज्ञ अथर्ववेद और यजुर्वेद की विधियों से किया जाता है. इसे केवल योग्य और विद्वान ब्राह्मणों, ऋषियों या आचार्यों की उपस्थिति में किया जाता है. यज्ञ के दौरान अग्नि देव, इंद्र, वरुण, ब्रह्मा आदि देवताओं को आहुतियां दी जाती हैं. वाल्मीकि रामायण के बालकाण्ड में इस यज्ञ का सुंदर और विस्तृत वर्णन है.
पुत्रकामेष्टि यज्ञ का प्रसंग
अयोध्या के राजा दशरथ के तीन रानियां थीं- कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी. लेकिन उम्र बढ़ने के बाद भी उन्हें कोई संतान नहीं हो रही थी. तब राजा दशरथ ने ऋषि वशिष्ठ से परामर्श किया. वशिष्ठ ने उन्हें ऋष्यश्रृंग मुनि को आमंत्रित कर पुत्रकामेष्टि यज्ञ करवाने का सुझाव दिया.
पुत्रकामेष्टि यज्ञ कैसे हुआ श्रीराम का जन्म
ऋष्यश्रृंग मुनि को विशेष रूप से अयोध्या बुलाया गया. दशरथ ने भव्य यज्ञ की व्यवस्था की और पूर्ण विधि-विधान से पुत्रकामेष्टि यज्ञ संपन्न कराया. यज्ञ के अंत में अग्निदेव प्रकट हुए और उन्होंने दशरथ को पायस (खीर) से भरा हुआ एक पात्र दिया. अग्निदेव ने कहा- "इस दिव्य पायस को अपनी रानियों को खिलाओ, तुम्हें उत्तम पुत्र की प्राप्ति होगी." दशरथ ने पायस का आधा भाग कौशल्या को दिया. शेष आधे में से आधा कैकेयी को दिया और जो थोड़ा सा बचा, वह सुमित्रा को दिया. कहते हैं कि यही पायस खाने के बाद तीनों रानियों को संतान की प्राप्ति हुई. कौशल्या से भगवान श्रीराम, कैकेयी से भरत, सुमित्रा से लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म हुआ.
पुत्रकामेष्टि यज्ञ के लाभ और महत्व
यह यज्ञ संतान प्राप्ति की प्रबल इच्छा रखने वालों के लिए अत्यंत फलदायक होता है. यह वैदिक परंपरा के अनुसार कर्म, श्रद्धा और आहुति के माध्यम से ईश्वर से वरदान प्राप्त करने की प्रक्रिया है. इससे व्यक्ति के जीवन में आने वाली संतान बाधा, कुंडली दोष, या पितृ दोष भी दूर होते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)