Snows on Mars: नासा ने प्राचीन नदी डेल्टा की खोज की, जो इस बात का सबूत है कि अरबों साल पहले जेज़ेरो क्रेटर में एक बड़ी नदी बहती थी. रिसर्चर का मानना है कि यह कभी ये ग्रह गर्म और गीला था.
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Mars planet: वैज्ञानिकों का लंबे वक्त से मानना है कि मंगल ग्रह ( Mars planet ) पर कभी नदी और झीले हुआ करती थीं. अब इसे लेकर NASA ने बड़ा खुलासा किया है. नासा के पर्सिवियरेंस रोवर ने प्राचीन नदी डेल्टा की खोज की, जो इस बात का सबूत है कि अरबों साल पहले जेज़ेरो क्रेटर में एक बड़ी नदी बहती थी. हालांकि, इस पानी का स्रोत अभी तक नहीं मिला है.
कैलटेक के पर्सिवियरेंस के प्रोजेक्ट साइंटिस्ट केन फ़ार्ले ने कहा, 'हमने लैंडिंग साइट के रूप में जेज़ेरो क्रेटर को चुना क्योंकि ऑर्बिटल इमेजरी ने एक डेल्टा दिखाया.स्पष्ट सबूत है कि एक बड़ी झील क्रेटर को भर देती थी. एक झील एक संभावित रहने योग्य वातावरण है और डेल्टा चट्टानें भूगर्भीय रिकॉर्ड में जीवाश्मों के रूप में प्राचीन जीवन के संकेतों को दफनाने के लिए एक बढ़िया वातावरण हैं.'
इसलिए मंगल को ठंडा और शुष्क ग्रह माना जाता है. लेकिन रिसर्चर का मानना है कि यह कभी ये ग्रह गर्म और गीला था. वहीं, एक नए स्टडी के अनुसार, ग्रह पर पानी लगातार बारिश की वजह से आया था. लाल ग्रह ( Red Planet ) पर अपने इतिहास में एक वक्त पर नियमित रूप से बारिश होती थी, जिसने नदी घाटियों और झीलों के विशाल नेटवर्क बना दिया था. हालांकि, यह स्टडी जर्नल ऑफ़ जियोफिजिकल रिसर्च, प्लैनेट्स में प्रकाशित हुआ है.
रिसर्चर की टीम ने कंप्यूटर सिमुलेश के जरिए पता लगाया कि मंगल ग्रह पर जल निकाय ( Water Body ) पिघली हुई बर्फ की परतों से नहीं, बल्कि बारिश होने से बने थे. उन्होंने कहा कि पृथ्वी का पड़ोसी ग्रह हमेशा बर्फीला नहीं था, बल्कि गर्म और गीला था.
क्या मंगल ग्रह कभी पृथ्वी जैसा था?
जबकि रिसर्च टीम यह समझने की कोशिश कर रही थी कि क्या मंगल पर कभी पृथ्वी जैसी जलवायु थी? इसका पता लगाने के लिए रिसर्च टीम ने मंगल के एक हिस्से का डिजिटल संस्करण बनाया और अलग-अलग परिदृश्यों का विश्लेषण ( Analysis ) किया, कुछ में बारिश और हिमपात और कुछ में पिघलती ध्रुवीय बर्फ़ का पता चला. इस खास सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल करके उन्होंने एक ऐसा लैंडस्केप बनाया, जिसमें हज़ारों सालों तक पानी बहता रहा. लेकिन इसके बाद फिर क्या हुआ? आइए जानते हैं.
रिसर्च टीम को मिली सफलता
दरअसल, रिसर्च टीम को यहीं पर सफलता मिली, क्योंकि दोनों परिदृश्यों में वाटर कंस्ट्रक्शन अलग-अलग था. क्लाइमेट में बारिश और हिमपात को जोड़ने से अलग-अलग ऊंचाई बिंदुओं पर घाटियों और धाराओं को बनते हुए देखा गया. लेकिन जब यह केवल पिघली हुई बर्फ से था, तो घाटियां केवल इन बर्फ की टोपियों के पास के क्षेत्रों में ही बनीं.
स्पेसशिप ली गई तस्वीर में हुआ ये खुलासा
उन्होंने नासा के स्पेसशिप द्वारा कक्षा से ली गई मंगल ग्रह की तस्वीर की सतह को भी देखा. ज़मीन पर पैटर्न वैसा ही था जैसा कि बारिश और बर्फ़ गिरने पर होता है. नासा का कहना है कि मंगल पर अभी भी बर्फबारी होती है, हालांकि इसे कभी कैमरे में कैद नहीं किया गया है. यह पोल्स पर तब होता है जब वहां बहुत ठंड होती है और रात में जब बादल ग्रह को ढक लेते हैं.