America Action on Khalistani: अमेरिका की आंतरिक सुरक्षा की कमान संभालने वाली खुफिया एजेंसी FBI ने 8 खालिस्तानी आतंकियों को गिरफ्तार किया है. इन गिरफ्तारियों ने ट्रंप के खालिस्तान विरोधी एजेंडे पर मुहर भी लगा दी.
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What is Khalistan: जितनी रुचि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप अपने देश से अवैध प्रवासियों को निकालने में दिखा रहे हैं, उनकी वैसी ही दिलचस्पी अमेरिका को भारत विरोधी गतिविधियों का सेंटर बनाने में जुटे खालिस्तानी आतंक को खत्म करने में भी दिख रही है. अमेरिका की आंतरिक सुरक्षा की कमान संभालने वाली खुफिया एजेंसी FBI ने 8 खालिस्तानी आतंकियों को गिरफ्तार किया है. इन गिरफ्तारियों ने ट्रंप के खालिस्तान विरोधी एजेंडे पर मुहर भी लगा दी.
ये सिर्फ अमेरिका में 8 अपराधियों की गिरफ्तारी नहीं है. इसे भारत की सुरक्षा, ट्रंप की नीति और FBI के नए डायरेक्टर काश पटेल की कार्यप्रणाली के त्रिकोण की तरह देखा जा रहा है. चलिए आपको इस कहानी के फ्लैश बैक और भविष्य पर पड़ने वाले असर के बारे में बताते हैं.
कौन हैं 8 खालिस्तानी आतंकी
सबसे पहले उन 8 आतंकवादियों की प्रोफाइल के बारे में जानिए, जो भारत और अमेरिका दोनों के लिए सिरदर्द बन गए थे, जिन्हें एफबीआई ने गिरफ्तार किया है. इसमें से दो आतंकियों के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था. यानि ये आतंकी भारत के लिए मोस्ट वांटेड थे.
इसमें पहला आतंकी पवित्तर सिंह उर्फ पवित्तर बटाला बब्बर खालसा इंटरनेशनल का आतंकी है, जिस पर पंजाब में हत्या, हत्या के प्रयास, हथियार तस्करी और वसूली जैसे केस दर्ज हैं. अमृतसर में इसके खिलाफ 6 केस और बटाला में 2 केस दर्ज हैं. पवित्तर सिंह की फंडिंग पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI करती थी. इसके अलावा दिलप्रीत सिंह को भी गिरफ्तार किया गया. ये गैंगस्टर से खालिस्तानी आतंकी बन गया था. इस पर हत्या और वसूली के आरोप हैं. इनके साथ अर्शप्रीत सिंह, अमृतपाल सिंह, विशाल, गुरताज सिंह, मनप्रीत रंधावा और सरबजीत सिंह को भी गिरफ्तार किया गया है. इन सभी पर भारत में अवैध हथियार रखने, अपहरण, टॉर्चर, और आतंकी धमकी जैसे गंभीर आरोप हैं.
भारी मात्रा में गोला-बारूद बरामद
इन आतंकियों को FBI और कैलिफोर्निया की SWAT टीम ने सैन जोक्विन काउंटी से गिरफ्तार किया. इनके खिलाफ अमेरिका में भी अपहरण, टॉर्चर, सेमी-ऑटोमैटिक और शॉर्ट बैरल राइफल बनाने के आरोप हैं. यानी, ये सभी आतंकी अमेरिका को भारत विरोधी गतिविधियों का अड्डा बनाने में जुटे थे, जिसके लिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद से ड्रग्स, हथियार और टेरर फंडिंग का नेटवर्क खड़ा कर रहे थे.
इनके पास से 5 हैंडगन, एक असॉल्ट राइफल और सैकड़ों राउंड गोला बारूद और मैगजीन मिली है. यानि ये किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की तैयारी में थे.
अब इन खालिस्तानी आतंकियों की गिरफ्तारी का मतलब और खालिस्तानियों के खिलाफ अमेरिका की सोच में आ रहे बदलाव को भी जान लेते हैं. खालिस्तानी आतंक के खिलाफ अमेरिका का एक्शन भारत के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका ने पहली बार खालिस्तानियों को सीधा आतंकी मानकर गिरफ्तार किया है. ये गिरफ्तारियां भारत-अमेरिका काउंटर टेररिज्म सहयोग का मजबूत संकेत हैं. इसके अलावा अमेरिका ने बता दिया है कि उनकी जमीन पर मौजूद खालिस्तानी नेटवर्क को अब सुरक्षित पनाहगाह नहीं मिलने वाली.
काश पटेल ने कसी खालिस्तानियों पर नकेल
इन आतंकियों को जिस एफबीआई ने गिरफ्तार किया, उसके डायरेक्टर इस वक्त भारतीय मूल के काश पटेल हैं, जिन्हें एफबीआई में राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की नीतियों को लागू करने की जिम्मेदारी मिली है.
काश पटेल की FBI डायरेक्टर पद पर नियुक्ति के बाद एफबीआई ने खालिस्तानी आतंकी हरप्रीत सिंह उर्फ हैप्पी पस्सिया को भी कैलिफोर्निया से गिरफ्तार किया था. हैप्पी पंजाब पुलिस पर ग्रेनेड अटैक समेत 14 आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड था. उस पर भारतीय एजेंसियों ने 5 लाख का इनाम रखा था. हैप्पी भारत में हथियारों और ग्रेनेड की सप्लाई भी कर रहा था.
हैप्पी की गिरफ्तारी के बाद काश पटेल ने कहा था कि एफबीआई ऐसे लोगों को ढूंढती रहेगी जो हिंसा करते हैं, चाहे वे कहीं भी छिपे हों. काश पटेल के इस बयान के बाद अमेरिका में खालिस्तानी नेटवर्क पर एक्शन तेज हो गया है.
खालिस्तानियों पर रखी जा रही कड़ी नजर
अमेरिकी खुफिया एजेंसी FBI ने भारत से जुड़े खालिस्तानी टेरर नेटवर्क की प्रोफाइलिंग तेज की. इसके अलावा FBI ने अमेरिका में अवैध अप्रवासियों को पकड़ कर देश से बाहर भेजने वाली एजेंसी Immigration and Customs Enforcement यानि आइस के साथ मिलकर वीजा फ्रॉड, हवाला चैनल और ड्रग-टेरर लिंक पर एक टास्कफोर्स बनाई, जो खालिस्तानी आतंकियों पर भी नजर रखने लगी. अमेरिका में पहली बार खालिस्तानी समर्थकों के प्रभाव वाले गुरुद्वारों को एडवाइजरी जारी की गई, कि वो टेरर फंडिंग से बचें और ये सब खालिस्तानी टेरर पर ट्रंप की नीतियों के हिसाब से किया गया. अब समझिए कि ट्रंप प्रशासन और जो बाइडेन प्रशासन के दौरान खालिस्तानियों को लेकर अमेरिका का नज़रिया कितना अलग अलग था.
बाइडेन प्रशासन ने कई खालिस्तानी आतंकियों को शरण दी. जबकि ट्रंप प्रशासन में No Safe Haven for Khalistani Terrorists पॉलिसी लाई गई. यानि खालिस्तानी आतंकियों को अमेरिका में पनाह देना बंद कर दिया. बाइडेन प्रशासन के दौरान खालिस्तानी रैलियों को फ्री स्पीच के नाम पर छूट दी गई. लेकिन ट्रंप ने FBI को निर्देश दिए खालिस्तानियों के साथ आतंकियों जैसा व्यवहार हो.
अमेरिका में नहीं घुस पाएंगे खालिस्तानी
पहले अमेरिका में NIA के नोटिस और UAPA केसों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा था. लेकिन अब भारतीय खुफिया संपर्क डेस्क को फिर से एक्टिव कर दिया. और हर जानकारी पर एक्शन होता है.
इसके अलावा 2023-24 में सैन फ्रांसिस्को और न्यूयॉर्क में भारतीय दूतावासों पर हमले हुए थे. इसके बाद FBI की प्रतिक्रिया काफी धीमी थी. लेकिन ट्रंप प्रशासन ने पंजाब के मोस्ट वांटेड आतंकियों की लिस्ट को एफबीआई की टेरर वॉचलिस्ट से लिंक कर दिया है. यानि अगर ये आतंकी अमेरिका में घुसने की कोशिश करेंगे तो अमेरिकी एजेंसियां अलर्ट हो जाएंगी,जिससे इन आतंकियों को अमेरिका में घुसने से रोका जा सकेगा.
अमेरिका में खालिस्तानियों पर शुरू हुए एक्शन का असर कनाडा के खालिस्तानी नेटवर्क पर पड़ने की भी उम्मीद है, जहां पर ट्रूडो की विदाई के बाद नई सरकार खालिस्तानियों को ज्यादा छूट देने को तैयार नहीं है.