DNA: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अर्मिनिया और अजरबैजान के बीच चले आ रहे विवाद को भी खत्म करवा दिया है. चलिए जानते इसके पीछे क्या सच्चाई है और क्या मकसद है.
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इस खबर में हम अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की सीज़फायर चालीसा का विश्लेषण करने जा रहे हैं. हमने चालीसा शब्द का प्रयोग इसलिए किया है, क्योंकि पिछले 3 महीनों में ट्रंप 40 बार सीजफायर कराने का दावा कर चुके हैं लेकिन हर बार उनके दावे को नकार दिया गया. आज पहली बार ट्रंप के जरिए कराए गए किसी सीजफायर की सच्ची तस्वीर सामने आई है. ट्रंप के इस ठोस सीजफायर से जुड़ी ये तस्वीर आपको भी ध्यान से देखनी चाहिए.
व्हाइट हाउस से आए इस वीडियो में आपको बीच में ट्रंप बैठे नजर आएंगे. ट्रंप के दाईं तरफ बैठे हैं अजरबैजान के राष्ट्रपति इलहाम आलियेव और ट्रंप के बाईं तरफ बैठे हैं आर्मीनिया के प्रधानमंत्री निकोल पेशनियान. ट्रंप की मौजूदगी में अजरबैजान और आर्मीनिया ने सीजफायर के दस्तावेज पर दस्तखत किए और आने वाले वक्त में युद्ध जैसी स्थितियों को दूर रखने का भरोसा भी दिया. पहली बार ट्रंप की ओर से सीजफायर कराने का सबूत सामने आया तो साथ ही ट्रंप के दिल की एक ख्वाहिश का जिक्र भी व्हाइट हाउस के इसी मंच से हुआ. ये ख्वाहिश है NOBEL PEACE PRIZE की. आर्मेनिया और अजरबैजान के राष्ट्राध्यक्षों ने एक सुर में ट्रंप को NOBEL PEACE PRIZE देने की हिमायत की.
#DNAWithRahulSinha | ट्रंप की 'सीजफायर चालीसा' का DNA टेस्ट.. क्या अब ट्रंप को नोबल पुरस्कार मिलेगा ?
ट्रंप के मिशन मध्य एशिया का विश्लेषण#DNA #DonaldTrump #ArmeniaAzerbaijanPeace @RahulSinhaTV pic.twitter.com/aUCTCWRT9L
— Zee News (@ZeeNews) August 9, 2025
अमेरिका समेत दुनिया को लग रहा है कि अजरबैजान और आर्मीनिया के बीच युद्धविराम कराकर ट्रंप ने पांच साल पुराने टकराव को खत्म किया है. शांति का नया रास्ता खोला है लेकिन असल में इस सीजफायर के पीछे ट्रंप का अपना स्वार्थ है. उनका नया सामरिक प्लान है, जिसमें अमेरिका का ही सबसे ज्यादा फायदा होने वाला है. ट्रंप के इस प्लान को समझने के लिए आपको सबसे पहले उस ऑफर के बारे में जानना चाहिए जो आर्मीनिया ने अमेरिका को दिया है.
सीजफायर कराने के बदले में आर्मीनिया ने अमेरिका को अपने दक्षिणी हिस्से में स्थित एक जमीनी मार्ग के अधिकार दे दिए हैं. इस मार्ग का नाम रखा जाएगा. TRUMP ROUTE FOR INTERNATIONAL PEACE AND SECURITY यानी TRIPS अमेरिकी कंपनियों को आर्मीनिया के इस हिस्से में तेल के खनन के अधिकार मिलेंगे और सुरक्षा बनाए रखने के लिए अमेरिकी सेना की भी तैनाती की जाएगी. अजरबैजान पहले ही सामरिक तौर पर अमेरिका के करीब आ चुका है.
अगर आर्मीनिया जैसे देशों में किसी भी शक्ल में अमेरिका की सैन्य मौजूदगी हुई तो ये सीधे तौर पर मध्य एशिया में रूस के प्रभुत्व के लिए चुनौती बन जाएगी. यही है ट्रंप का वो मकसद जो अजरबैजान और आर्मीनिया के बीच हुए सीजफायर के दस्तावेजों के अंदर छिपा है. रूस को घेरने के लिए ट्रंप लंबे वक्त से काम कर रहे हैं. ट्रंप के इस एंटी पुतिन ब्लूप्रिंट का पूरा खाका भी आपको समझाएंगे लेकिन उससे पहले आपको दुनिया के नक्शे पर उस इलाके की सामरिक अहमियत समझनी चाहिए. जिसे अब ट्रंप कॉरीडोर के नाम से जाना जाएगा.
आर्मीनिया के दक्षिणी हिस्से का एक बॉर्डर सीधे तौर पर ईरान से लगता है और पश्चिम में तुर्किए भी स्थित है यानी आर्मीनिया के इस हिस्से में किसी किस्म की सैन्य तैनाती करके ट्रंप सीधे ईरान और तुर्किए को अपनी निगरानी में रख सकते हैं दूसरी तरफ अजरबैजान जो रूस के साथ बॉर्डर साझा करता है. वहां अमेरिकी नेतृत्व में नाटो की पहले से मौजूदगी है जो पुतिन को जरूर खल रही होगी. इजरायल से टकराव की वजह से ईरान पहले ही कमजोर हो चुका है. इसी वजह से अब ट्रंप का पूरा गौर रूस की घेराबंदी करने की तरफ नजर आता है. जिसके लिए ट्रंप ने अफगानिस्तान से लेकर रूस के बॉर्डर तक सहयोगियों की फौज खड़ी करने की तरफ कदम बढ़ाए हैं. इस घेराबंदी को पूरा करने के लिए ट्रंप क्या लेन-देन कर रहे हैं. ये भी आपको बेहद गौर से समझना चाहिए.
तालिबान के टॉप कमांडर्स के ऊपर घोषित ईनाम को रद्द करके ट्रंप ने तालिबान को अपने खेमे में लाने की कोशिश की है. अजरबैजान और तुर्कमेनिस्तान को अब्राहम समझौते का हिस्सा बनाने की पेशकश भेज दी गई है. साथ ही ये भी कहा गया है अगर अब्राहम समझौते में शामिल होने के लिए. अजरबैजान कुछ और मध्य एशियाई देशों को साथ ला पाया तो अजरबैजान में अमेरिका निवेश भी करेगा. इसके साथ ही साथ रूस को यूक्रेन युद्ध में उलझाए रखने के लिए. अमेरिका ने नाटो के यूक्रेन पैकेज के लिए.हथियारों की नई खेप भी भेज दी है.
यानी ट्रंप अफगानिस्तान से लेकर मध्य एशियाई देशों तक एक ऐसा जमीनी मार्ग तैयार कर लेंगे. जिसके जरिए रूस की सैन्य घेराबंदी हो सके और अगर जरूरत पड़ी तो सैन्य मौजूदगी को रूस की सरहद तक पहुंचाया जा सके. DNA में शुक्रवार को हमने आपको बताया था कि जल्द डॉनल्ड ट्रंप और पुतिन की मुलाकात होने वाली है. माना जा रहा है अगले हफ्ते दोनों नेता एक दूसरे से मिल सकते हैं. ट्रंप ने जो सीजफायर का प्लान बनाया है, उसमें कहा गया है कि यूक्रेन के जिस हिस्से पर रूस का कब्जा हो चुका है. वो सीजफायर के बाद रूस के पास ही रहेगा. ट्रंप को बखूबी पता है कि जेलेंस्की ऐसे किसी सौदे पर राजी नहीं होंगे लेकिन ट्रंप ये संकेत दे पाएंगे कि उन्होंने युद्ध खत्म कराने की कोशिश की थी और इसी बीच वो पुतिन को घेरने के लिए मध्य एशिया में अपनी पहुंच और प्रभाव में इजाफा करने की तरफ लगातार कदम आगे बढ़ाते जाएंगे.