DNA: ट्रंप पर चढ़ा 'खलीफा' बनने का शौक! व्हाइट हाउस में बुलाया 'रेसलर' , आखिर क्या चाहते हैं अमेरिकी राष्ट्रपति
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DNA: ट्रंप पर चढ़ा 'खलीफा' बनने का शौक! व्हाइट हाउस में बुलाया 'रेसलर' , आखिर क्या चाहते हैं अमेरिकी राष्ट्रपति

DNA Analysis: ट्रंप को मॉस्को से उन्हीं की भाषा में जवाब मिला है लेकिन ट्रंप फिर भी सुधरने का नाम नहीं ले रहे.  ट्रंप ने अब एक और प्लान तैयार किया है. जिसका मकसद नजर आता है ट्रंप को मध्य एशिया में खलीफा यानी शक्तिशाली नेता की कुर्सी तक पहुंचाना. 

DNA: ट्रंप पर चढ़ा 'खलीफा' बनने का शौक! व्हाइट हाउस में बुलाया 'रेसलर' , आखिर क्या चाहते हैं अमेरिकी राष्ट्रपति

DNA Analysis: ट्रंप को मॉस्को से उन्हीं की भाषा में जवाब मिला है लेकिन ट्रंप फिर भी सुधरने का नाम नहीं ले रहे. ट्रंप ने अब एक और प्लान तैयार किया है. जिसका मकसद नजर आता है ट्रंप को मध्य एशिया में खलीफा यानी शक्तिशाली नेता की कुर्सी तक पहुंचाना और इसके लिए उन्हें आतंक प्रेमी देशों से भी कोई परहेज नहीं है. ट्रंप के मिशन खलीफा पर आपको हमारा अगला विश्लेषण ध्यान से देखना चाहिए. अमेरिकी मीडिया में आई रिपोर्ट्स के मुताबिक ट्रंप अब अब्राहम समझौते का दायरा बढ़ाकर अजरबैजान को शामिल करना चाहते हैं. ट्रंप के विशेष प्रतिनिधि स्टीव विटकॉफ ने इस बारे में अजरबैजान के राष्ट्रपति से मुलाकात भी कर ली है.

बताया जा रहा है कि ट्रंप के कहने पर अजरबैजान की सरकार ने अपने पड़ोसी देशों कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान से भी इस समझौते में शामिल होने के लिए बात की है. अगर बातचीत आगे बढ़ी तो संभव है कि ट्रंप का अब्राहम समझौता 2.0 वाला प्लान कामयाब हो जाए. हो सकता है कि आपके अंदर ये सवाल उठ रहा हो कि अचानक ट्रंप ने मध्य एशिया में इतनी दिलचस्पी दिखानी क्यों शुरु कर दी है. दरअसल ट्रंप एक तीर से दो शिकार करने की फिराक में हैं अब्राहम समझौते का दायरा बढ़ाकर वो पुतिन के खिलाफ एक नया कूटनीतिक मंच खोलना चाहते हैं.

तो दूसरी तरफ वो अपने दिल की टीस यानी सीजफायर का सरपंच बनने का ख्वाब भी पूरा करना चाहते हैं. इन दोनों इरादों का विश्लेषण भी हम करेंगे लेकिन पहले आपको उस अब्राहम समझौते को गौर से समझना चाहिए. जिसका दायरा बढ़ाकर ट्रंप खुद को खलीफा की तरह पेश करना चाहते हैं. अब्राहम अकॉर्ड्स उस समझौते को कहा जाता है जो इजरायल और अरब देशों के बीच हुआ था. वर्ष 2020 में ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान ही इस समझौते पर दस्तखत हुए थे. इस समझौते के जरिए कुछ अरब देशों ने इजरायल को मान्यता दी थी और इजरायल ने भी दस्तखत करने वाले देशों से शांतिपूर्ण रिश्ते रखने का भरोसा दिया था. पहले चरण में बहरीन और UAE इस समझौते से जुड़े थे. दूसरे चरण में मोरक्को और सूडान ने भी समझौते पर दस्तखत कर दिए थे.

इस समझौते के तीसरे चरण को पूरा करने के लिए ट्रंप ने अजरबैजान और उसके जरिए दूसरे मध्य एशियाई देशों की तरफ हाथ बढ़ाया है. अब हम आपको ट्रंप के मिशन खलीफा का पहला मकसद बताने जा रहे हैं. जिसे आपको बेहद गौर से समझना चाहिए. अब्राहम समझौते में शामिल करने के लिए ट्रंप सरकार ने अजरबैजान के सामने एक शर्त रखी है. ये शर्त है कि अजरबैजान और आर्मीनिया को स्थायी युद्धविराम पर सहमति जतानी होगी. अगर अजरबैजान स्थायी युद्धविराम पर सहमत नहीं होता है तो उसे अब्राहम समझौते का हिस्सेदार नहीं बनाया जाएगा. अगर अजरबैजान और आर्मीनिया ने हामी भरी तो बड़े सीजफायर का क्रेडिट ट्रंप ले जाएंगे और आखिरकार अमेरिका कह पाएगा कि हां ट्रंप ने एक ही सही लेकिन सीजफायर तो कराया है.

दरअसल अजरबैजान और आर्मीनिया के बीच नागोर्नो काराबाख नाम के क्षेत्र को लेकर पिछले 35 सालों से तनाव बना हुआ है. इस क्षेत्र पर कब्जे को लेकर दोनों देश छोटे बड़े 6 युद्ध ले चुके हैं. वर्ष 2023 में अजरबैजान ने बड़ा हमला करके इस इलाके से आर्मीनियाई फौज को खदेड़ दिया था. जिसके बाद विवादित क्षेत्र पर अजरबैजानी कब्जा हो गया था. सीजफायर का सरपंच बनने के साथ ही साथ ट्रंप का मकसद मध्य एशिया का खलीफा बनना भी है ताकि रूस के पड़ोस में भारी सैन्य मौजूदगी और अमेरिका समर्थित सरकारों को बढ़ावा दिया जा सके. ट्रंप का मकसद है कि पुतिन को वो एक स्थानीय तनातनी में फंसा दें. जिससे रूस पर सामरिक प्रेशर बढाया जा सके लेकिन तीन साल से चल रहे यूक्रेन युद्ध ने बता दिया है. जब अमेरिका और नाटो से समर्थित यूक्रेन जैसा बड़ा देश पुतिन के इरादों को नहीं डिगा पाया तो ट्रंप का मध्य एशिया वाला प्लान पुतिन की पावर को क्या ही नुकसान पहुंचा पाएगा.

 

यूक्रेन युद्ध की वजह से लगे प्रतिबंधों के बावजूद रूस का डटकर खड़ा रहना और ट्रंप की आंखों में आंख डालकर बात कहना ये वो हालात हैं जिनकी वजह से ट्रंप मानों तिलमिला चुके हैं और इसी वजह से ट्रंप अब नैतिकता और नीयत दोनों को ताक पर रखने को तैयार नजर आ रहे हैं. हम ऐसा क्यों कह रहे हैं. ये समझने के लिए आपको दो तस्वीरें और उनसे जुड़ी खबर जरूर देखनी चाहिए. जिस अजरबैजान से ट्रंप हाथ मिलाना चाहते हैं. उसके SCO समिट में शामिल होने पर भारत ने ऐतराज जताया है. भारत का दावा है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अजरबैजान ने आतंक परस्त पाकिस्तान को सामरिक मदद दी थी. इसी वजह से भारत SCO में अजरबैजान की मौजूदगी नहीं चाहता. इससे पहले सीरिया में रूस का प्रभाव कम करने के लिए ट्रंप पहले ही अहमद-अल-शारा की आतंकी सरकार से हाथ मिला चुके हैं. ट्रंप ने अहमद शारा की सरकार से प्रतिबंध हटाए हैं और आर्थिक मदद का वादा भी किया है.

ट्रंप के फैसले बताते हैं कि अपने हितों को साधने के लिए उन्हें आतंकी और आतंकियों की मदद करने वाले देश भी कबूल हैं तो क्या ये माना जाए कि ट्रंप भी GOOD TERRORIST, BAD TERRORIST की उस नीति पर चलने लगे हैं. जो पाकिस्तानी डॉक्ट्रिन का अहम हिस्सा है. इस वीडियो में माइक पर आपको अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप नजर आएंगे. उनकी दाईं तरफ खड़े हैं अमेरिका के उपराष्ट्रपति जे डी वेंस और साथ में हैं कुछ सुरक्षाकर्मी और सहयोगी लेकिन इस वीडियो में सबकी नजर टिकी रही WWE के रेसलर TRIPLE  H पर जो ट्रंप की बाईं तरफ खड़े थे. व्हाइट हाउस के मंच से ट्रंप ने TRIPLE H की शान में कसीदे भी पढ़े. 

 

ट्रंप ने व्हाइट हाउस में WWE का रेसलर क्यों बुलाया है. ये जानने के लिए आपको ट्रंप का नया प्लान गौर से देखना और समझना चाहिए. डॉनल्ड ट्रंप ने अमेरिकी स्कूलों में बच्चों के फिटनेस टेस्ट को दोबारा शुरु करने का ऑर्डर दिया है. वर्ष 1966 में  अमेरिकी स्कूलों में फिटनेस टेस्ट की परंपरा शुरु हुई थी. जिसके तहत बच्चों को मुश्किल बाधाओं को पार करना होता था चूंकि ये टेस्ट बहुत कठिन था तो वर्ष 2012 में तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इसपर रोक लगा दी थी लेकिन ट्रंप की वापसी के साथ ही अमेरिकी स्कूलों में ये परंपरा भी लौट आई है और इस आदेश को जारी करने के आयोजन पर. बतौर विशेष मेहमान WWE रेसलर TRIPLE H को बुलाया गया था.जिन्होंने विशेष मेहमान का रोल निभाने के लिए साथ ही साथ व्हाइट हाउस के अंदर WWE स्टाइल में स्टंट भी किया.

दुनिया के बड़े बड़े नेताओं से लेकर अपने दोस्तों तक से लड़ने वाले ट्रंप ने एक WWE रेसलर को ही अपने फिटनेस प्लान के प्रमोशन में क्यों बुलाया इस सवाल का जवाब जानने के लिए आपको ट्रंप और WWE फाइट्स का कनेक्शन बताती हमारी स्पेशल रिपोर्ट जरूर देखनी चाहिए.

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अभिनव त्रिपाठी

जी न्यूज में न्यूज डेस्क पर बतौर सब एडिटर कार्यरत. देश- विदेश की खबरों को सरल भाषा में लिखते हैं. साहित्य और राजनीति में विशेष दिलचस्पी. यूपी के सुल्तानपुर जिले से ग्रेजुएशन, महात्मा गांधी काशी विद...और पढ़ें

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