NATO Meeting For Defence Budget: ट्रंप की मांग है कि NATO देश अपनी GDP का 5 प्रतिशत हिस्सा डिफेंस बजट पर खर्च करें. इसको लेकर आनाकानी के बीच बैठक का आयोजन हो रहा है.
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NATO Summit 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने NATO के सदस्यों को धमकी दी है कि अगर वे अपना डिफेंस बजट नहीं बढ़ाएंगे तो अमेरिका भी अपने खर्चों से हाथ पीछे कर लेगा. इससे NATO के भरोसे रहने वाले देशों के लिए मुसीबत खड़ी हो जाएगी. कई देश इस पर राजी हैं तो कई इससे कन्नी काट रहे हैं. ऐसे में NATO ने डिफेंस बजट बढ़ाने को लेकर एक बैठक बुलाई है. अब माना जा रहा है कि ये देश अपना रक्षा बजट बढ़ाने के लिए तैयार हो गए हैं.
डिफेंस बजट बढ़ाने की मांग
नीदरलैंड के हेग में 24-25 जून 2025 को NATO का शिखर सम्मेलन आयोजित हो रहा है. इसमें इटली, फ्रांस, स्पेन और कनाडा जैसे देश शामिल है. इस बैठक का मुख्य एजेंडा अेमरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यूरोपीय देशों से रक्षा बजट बढ़ाने की मांग है. ट्रंप चाहते हैं के NATO देश अपने रक्षा बजट में GDP का 5 प्रतिशत खर्च करें, जो वर्तमान में केवल 2 प्रतिशत है. ट्रंप का मानना है कि अमेरिका की ओर से NATO को काफी पैसा दिया जाता है, लेकिन बाकी देश अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभा रहे हैं.
ट्रंप से सहमत हुए NATO देश?
बता दें कि NATO के शिखर सम्मेलन में सभी देशों के ट्रंप के डिफेंस बजट में बढ़ोत्तरी की मांग का समर्थन करने की उम्मीद जताई जा रही है. ऐसा करके वे इस गठबंधन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के संदेह को भी दूर करने में सक्षम होंगे, जिसपर ट्रंप ने सवाल खड़े किए थे. इसको लेकर NATO के महासचिव मार्क रूट ने कहा कि देशों के लिए ऐसा करना आसान नहीं है, लेकिन यह करना बेहद जरूरी है. उन्होंने 25 जून 2025 को बैठक में कहा कहा, 'मेज पर बैठे मेरे सहयोगियों को पूरा विश्वास है कि रूस की ओर से खतरे को देखते हुए और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा स्थिति को देखते हुए और कोई विकल्प नहीं है.'
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NATO में नया प्रस्ताव
आनाकानी के बीच लगभग सभी NATO के सदस्य देशों ने 5 प्रतिशत के इस नए लक्ष्य पर अपना समर्थन दिया है, हालांकि स्पेन का कहना है कि उसे इस लक्ष्य की कोई आवश्यकता नहीं है. मैड्रिड का कहना है कि वह कम खर्च में भी NATO के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखा सकता है, हालांकि मार्क रूट ने स्पेन के इस बयान पर सहमति जताई है. NATO में चल रहे इस मतभेद के बीच NATO महासचिव ने नया प्रस्ताव रखा है, जिसमें सदस्य देशों को अपनी GDP का 3.5 प्रतिशत सेना-हथियारों पर खर्च करना होगा और 1.5 प्रतिशत रक्षा से जुड़े कामों पर खर्च करना होगा.